कंपनी कर में कटौती से पहले व्यक्तिगत आयकर आधार बढ़ाना जरूरी : अधिया
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि कंपनी कर में एक प्रतिशत कटौती करने से राजस्व में 18,000 से 19,000 करोड़ रुपये की कमी आती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2015 में पेश बजट में कारपोरेट कर दर को चार साल में 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। हालांकि, इसके साथ ही यह भी कहा गया कि कंपनियों को दी जाने वाली तमाम तरह की रियायतों और छूट को भी धीरे-धीरे समाप्त किया जायेगा।
राजस्व सचिव ने बजट बाद उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उद्योगपतियों को संबोधित करते हुये कहा, इस बारे में कई मुद्दे उठाये गये कि हमारे देश में कंपनी कर की दर वैश्विक लिहाज से प्रतिस्पर्धी नहीं है। विशेषतौर से हम अपनी अमेरिका के साथ नहीं बल्कि चीन के साथ तुलना करते रहे हैं। अमेरिका में यह 40 प्रतिशत है, लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं। चीन के साथ तुलना करते हुये यह कहा जाता रहा कि कारपोरेट कर को घटाकर 25 प्रतिशत किया जाना चाहिये।
हमने कहा कि हम यह सबके के लिये करना चाहेंगे लेकिन हमारे समक्ष बजट की अड़चनें हैं। उन्होंने कहा, हमारे समक्ष संसाधन पाने की समस्या है।
अधिया ने कहा, जब तक हम व्यक्तिगत आयकर में वृद्धि को और तेज नहीं करते हैं, जब तक अधिक से अधिक लोग खुद आगे आकर अपनी आय का सही-सही ब्यौरा नहीं देते हैं, यह हमारे लिये चुनौती है। हम यही सब करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण समग्र राजस्व में व्यक्तिगत आयकर का हिस्सा बढ़ाना है। यह निहायत ही कम है, यदि आप जीडीपी से इसकी तुलना करें तो यह उसका मात्र दो प्रतिशत है। संभवत: यह दुनिया में सबसे कम होगा। जीडीपी का दो प्रतिशत व्यक्तिगत आयकर से प्राप्त होना बहुत चकित करने वाली बात है।
अधिया ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर से जितना कर मिलता है वह आंकड़े देश में खपत के आंकड़ों से मेल नहीं खाते हैं। यह कैसे संभव है कि देश में केवल 76 लाख लोग अपनी आय पांच लाख रुपये से अधिक बताते हैं और इनमें भी 56 लाख लोग वेतनभोगी हैं? हमें इस मामले में कुछ करने की जरूरत है और यह हमारे लिये बड़ी चुनौती है।
देश में नई विनिर्माण इकाई लगाने के लिये आकर्षित करने के वास्ते पिछले साल के बजट में ऐसी कंपनियों के लिये कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत कर दी गई थी। भविष्य के लिये हमने पिछले बजट में ही रास्ता तय कर लिया है। जहां तक मौजूदा काम कर रही कंपनियों का सवाल है, जो मुनाफा कमा रही हैं, क्या सरकार को उन्हें कुछ लाभ देना चाहिये। हम उन्हें देना चाहते हैं, लेकिन सवाल है संसाधनों का, सरकार को संसाधन कहां से प्राप्त होंगे।
भाषा