धनतेरस पर मिलेंगे अशोक चक्र वाले 'स्वदेशी' सोने के सिक्के
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी को करीब-करीब 70 साल हुए, लेकिन अब तक हम विदेशी सोने के सिक्कों का ही उपयोग करते रहे हैं। गोल्ड बुनियन बार भी विदेशी उपयोग करते हैं। हमारे देश का स्वदेशी मार्का क्यों नहीं होना चाहिए और इसीलिए आने वाले वाले हफ्ते में और धनतेरस के पूर्व सामान्य नागरिकों को स्वदेशी सोने के सिक्के उपलब्ध हो जाएंगे। पांच ग्राम और दस ग्राम का अशोक चक्र वाला भारतीय सोने का सिक्का शुरू किया जा रहा है। इसके साथ ही बीस ग्राम का गोल्ड गुनियन भी लोगों के लिए उपलब्ध होगा।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम द्वारा भारत स्वर्ण-मुद्रा की ढलाई हो रही है। प्रारंभ में पांच ग्राम के 20,000 तथा 10 ग्राम के 30,000 सिक्के उपलब्ध कराए जाएंगे ये स्वर्ण मुद्रा बाजार से सस्ते होंगे और बैंकों तथा डाकघरों के जरिए दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि मोदी सरकार का स्वदेशी सोने के सिक्के ढालकर बेचने का यह फैसले यूपीए सरकार के सोने के सिक्कों की ब्रिकी पर पाबंदी के फैसले के एकदम उलट है। यूपीए सरकार ने सोने के आयात पर अंकुश्ा लगाने के लिए बैंकों के साथ-साथ ज्वैलर्स के जरिये भी सोने के सिक्कों पर रोक लगवा दी थी। इस बार मन की बात में पीएम मोदी ने सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के बारे में भी विस्तार से बताया है। यह योजना भी सरकार दीपावली से पहले लांच होने जा रही है।
आर्थिक शक्ति बन सकता है सोना: पीएम मोदी
उनका कहना है कि हमारे देश में सोना एक प्रकार से सामाजिक जीवन का हिस्सा बन गया है। ये समाज-जीवन में सदियों से आ रही परंपरा है। लेकिन, सोने को डेड मनी के रूप में रखना भी ठीक नहीं है। सोना आर्थिक शक्ति बन सकता है। दीवाली और धनतेरस के दिन खासतौर पर लोग सोना खरीदते हैं, तो, उसके पूर्व ही हम महत्वपूर्ण योजनाओं को लॉन्च करने जा रहे हैं। ‘गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम’ के अंतर्गत अपना गोल्ड बैंक में जमा कर सकते हैं और बैंक उस पर आपको ब्याज देगी जैसे कि आप अपने पैसे जमा करें और ब्याज मिलता है।
इस योजना की खूबियों को गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले गोल्ड लॉकर में रखते थे और लॉकर का किराया हमें देना पड़ता था। अब गोल्ड बैंक में रखेंगे और पैसा बैंक आपको ब्याज के रूप में देगा। अब घर में गोल्ड मत रखिए। उसकी सुरक्षा और उसका ब्याज दो-दो लाभ उठाइये। इन योजनाओं का मकसद घरों और मंदिरों में निष्क्रिय पड़े 20,000 टन सोने को बाजार में लाना है ताकि उसका विकास के लिए उपयोग में लाया जा सके।