Advertisement
18 February 2015

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे: प्रधानमंत्री

पीआइबी

 मोदी ने विदेशी कंपनियों से कहा कि वे सिर्फ विक्रेता नहीं, बल्कि रणनीति भागीदार बन कर भारत आएं। बेंगलुरू में 10वीं एयरो इंडिया प्रदर्शनी का उद‍्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के समक्ष सुरक्षा की चुनौतियां सर्वविदित हैं और इसके लिए उसे रक्षा तैयारी बढ़ाने और अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरण की जरूरत है।

 प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत को अगले पांच साल में अपने लिए जरूरी सैन्य साजो-सामान का 70 प्रतिशत विनिर्माण देश में ही करने का लक्ष्य रखना चाहिए ताकि रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आयातक देश का तमगा भारत से हटाया जा सके।

प्रधानमंत्राी मोदी ने कहा, घरेलू रक्षा उद्योग का विकास मेक इन इंडिया अभियान के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि हम एेसा उद्योग बनाएंगे जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और विदेशी कंपनियों  सभी के लिए गुंजाइश होगी। उन्होंने कहा विक्रेताओं से लकर विदेशी कंपनियों को रणनीतिक भागीदार बनना चाहिए। हमें प्रौद्योगिकी, कौशल, प्रणाली एकीकरण और विनिर्माण की क्षमता की जरूरत है।

Advertisement

मोदी ने कहा कि विदेशी कंपनियां भारत को अपनी वैश्विक आपूर्ति शृंखला की कड़ी के तौर पर ले सकती हैं। एेसा करने से उन्हें भारत की कम खर्चीली लेकिन परिष्कृत विनिर्माण तथा इंजीनियरिंग सेवाओं की बदौलत अपनी लागत कम करने में मदद मिल सकती है।

मोदी ने कहा कि एेसी भागीदारियों में भारत अन्य देशों के लिए निर्यात का केंद्र भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार रक्षा खरीद नीति एवं प्रक्रिया में बदलाव कर रही है। उन्होंने कहा भारत में उपकरण विनिमाण के लिए स्पष्ट तरजीह होगी। हमारी खरीद प्रक्रिया आसान, जिम्मेदार और तेज निर्णय पद्धति वाली होगी।

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्वीकृत सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी है और यदि परियोजना आधुनिकतम प्रौद्योगिकी पेश करती है तो यह सीमा और बढ़यी जा सकती है।

 प्रधानमंत्री ने कहा  हमने 24 प्रतिशत तक विदेशी संस्थागत निवेश की भी अनुमति दी है और अब यह जरूरी नहीं है कि संयुक्त उद्यम में कोई अकेला भारतीय निवेशक 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखे। कई उत्पादों के लिए औद्योगिक लाइसंेसिंग अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। जहां इनकी जरूरत है इस प्रक्रिया का आसान बना दिया गया है।

 उन्होंने कहा हमें भविष्य की जरूरत के लिए अपने-आपको तैयार करना है जिसमें प्रौद्योगिकी की प्रमुख भूमिका होगी। एक अरब आबादी वाले देश के तौर पर हमारी आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन से जुड़ी अनिवार्यताएं बहुत अधिक हैं।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े उत्पादों के मामलों में भी निजी क्षेत्रों की भूमिका के विस्तार की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है सभी के लिए कारोबार के समान अवसर मुहैया कराना। हम राष्टीय क्षमता की में बात करेंगे न कि सार्वजनिक क्षेत्रा या निजी क्षेत्रा के तौर पर।

प्रधानमंत्री ने भागीदारी करने वाले विदेशी शिष्टमंडलों से कहा कि उनमें से बहुतों के लिए भारत कारोबार का बड़ा अवसर है क्यों कि देश की ख्याति विश्व के सबसे बड़े रक्षा उपकरण आयातक की है। मोदी ने इस द्विवार्षिक समारोह के मौके पर कहा आपमें से बहुतों को यह सुनने में अच्छा लग सकता है लेकिन यह एेसा क्षेत्रा है जिसमें हम नंबर एक आयातक नहीं रहना चाहेंगे। इस समारोह में 250 से अधिक भारतीय कंपनियों और 300 से अधिक विदेशी कंपनियां हिस्सा ले रही हैं।

मोदी ने रक्षा आयात पर देश के भारी खर्च से नाखुशी जताते हुए कहा  भारत विदेश से खरीद पर हजारों अरब डालर खर्चता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मिशन की भावना से आयात घटाने और घरलू रक्षा उद्योग के विकसित करने का लक्ष्य रखा है जो हमारे मेक इन इंडिया कार्यक्रम का केंद्रबिंदु है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: रक्षा उतदन, आत्मनिर्भरता, प्रधानमंत्री, बेगलुरू एयर शो, रक्षा तैयारी, सेना का आधुनिकीकरण
OUTLOOK 18 February, 2015
Advertisement