ग्रोथ चाहिए तो 'जुगाड़' छोड़ो, 'सिस्टम' सुधारो: रघुराम राजन
राजन ने मुंबई में चौथे सी.के. प्रह्लाद स्मृति व्याख्यान में कहा कि जुगाड़ या जैसे-तैसे किसी मुश्किल से निपटना एक ठेठ भारतीय तरीका है लेकिन यह मुश्किल या असंभव कारोबारी माहौल का संकेत देता है। इससे शॉर्ट-कट अपनाने या टाल-मटोल करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है जो आखिरकार किसी उत्पाद की गुणवत्ता या सतत आर्थिक वृद्धि में मददगार नहीं है। राजन ने कहा कि हमारे अंदर आवश्यक संस्थाओं के निर्माण और टिकाऊ वृद्धि के नए रास्ते तैयार करने की रणनीति पर अडिग रहने का अनुशासन होना चाहिए। ऐसा करने में जुगाड़ की जरूरत नहीं पड़ती है।
मुश्किल दौर में कारोबार करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा हमें सिस्टम को बेहतर बनाने की जरूरत है और एेसा करते हुए कारोबारी समुदाय को सहयोग करना होगा। गौरतलब है कि जुगाड़ या समस्या सुलझाने के ठेठ भारतीय तरीके को लेकर विद्वानों में भी मतभेद हैं। कुछ लोग इसे इन्नोवेशन के तौर पर देखते हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि हमें जुगाड़ को इन्नोवेशन समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।