जीएसटी विधेयक पर राज्यसभा समिति की मुहर
नयी दिल्ली। ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी विधेयक को राज्यसभा की प्रवर समिति के बहुमत का समर्थन प्राप्त हुआ है। समिति ने विधेयक के ज्यादातर प्रावधानों पर सहमति जतायी है और केन्द्र की ओर से राज्यों को पांच साल तक राजस्व भरपाई करने की तृणमूल कांग्रेस की मांग सहित विभिन्न पार्टियों की मांग पर भी सहमति जताई है। भारतीय जनता पार्टी के भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने सदन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में राजस्व क्षतिपूर्ति और सामानों की अंतरराज्यीय आपूर्ति के मामले में राज्यों द्वारा एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने संबंधी प्रावधानों में बदलाव का सुझाव दिया है। हालांकि रिपोर्ट में कांग्रेस, अन्नाद्रमुक और वाम दलों की ओर से असहमति के नोट लगाये गये हैं। इन पार्टियों ने मौजूदा स्वरूप में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर अपना विरोध जताया है।
लोकसभा में पास हो चुका है जीएसटी विधेयक
जीएसटी विधेयक को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है अब इसे राज्यसभा में विचार एवं पारित करने के लिये आगे बढ़ाया जायेगा। संविधान संशोधन विधेयक होने की वजह से इसे राज्य सभा के दो तिहाई सदस्यों की मंजूरी से पारित कराना होगा। केन्द्र की सत्तारुढ़ भाजपा सरकार के पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है। ऐसे में उसे विधेयक पारित कराने के लिये अपने सहयोगी दलों और क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन पर निर्भर रहना होगा।
प्रवर समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि जीएसटी लागू होने की स्थिति में राज्यों को राजस्व में होने वाले घाटे की केन्द्र सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति की जा सकती है। राज्यों द्वारा एक प्रतिशत अतिरिक्त कर से संबंधित प्रावधान के बारे में समिति ने सुझाव दिया है कि इस प्रकार का अतिरिक्त शुल्क केवल लाभ पाने के लिये की गई सभी तरह की आपूर्ति पर लगना चाहिये। समिति ने हालांकि, केन्द्र और राज्यों का प्रतिनिधित्व एक तिहाई और दो-तिहाई पर बरकरार रखा है। इसमें केन्द्र का प्रतिनिधित्व एक तिहाई से कम करके एक-चौथाई करने की मांग की जा रही थी।
अप्रैल 2016 से लागू हो सकेगा जीएसटी
सरकार ने अगले साल एक अप्रैल 2016 से देश में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में वस्तु एवं सेवाकर की एकल दर व्यवस्था लागू करने की योजना बनाई है। जीएसटी को स्वतंत्रता के बाद अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। इसमें उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्यों में लगने वाला मूल्य वर्धित कर तथा अन्य स्थानीय कर सब समाहित हो जाएंगे।
राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने यहां संवाददाताओं से कहा, प्रशासनिक तौर पर हम केन्द्र और राज्यों के स्तर पर सभी कदम उठा रहे हैं ताकि अप्रैल 2016 की समयसीमा पर खरा उतरा जा सके। प्रयास रहेगा कि जीएसटी की तर्कसंगत दर रखी जाये ताकि पूरे देश के लिये जीएसटी एक सफल अनुभव बनकर सामने आये।