रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार, अगले साल 6 फीसदी रहेगी विकास दर
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 5.15 फीसदी पर बरकार रखा है।उसने दूसरी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआइ ने आर्थिक विकास दर में तेजी लाने के लिए स्थिर ब्याज दर को प्राथमिकता दी है। उसने चालू वित्त वर्ष में 5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में 6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान लगाया है।
विकास-महंगाई के बीच संतुलन जरूरी
मौद्रिक नीति समीक्षा (एमपीसी) ने कहा है कि आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं। हाल में सुधार दर्शाने के कुछ संकेत मिले हैं लेकिन उनका व्यापक आधार पर असर दिखना अभी बाकी है। विकास-महंगाई के बीच संतुलन बनाते हुए इस बार ब्याज दर पूर्ववत रखने का फैसला किया गया है।
पॉलिसी का रुख अकोमेडेटिव
मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के सभी 6 सदस्य ब्याज दरों में कटौती न करने के पक्ष में थे. एमपीसी ने पॉलिसी का रुख अकोमेडेटिव बरकरार रखा है. यानी आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बनी हुई है. अगली मौद्रिक समीक्षा बैठक अप्रैल 2020 को होगी. बता दें कि पिछली मॉनेटरी पॉलिसी में भी आरबीआई ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है. रिजर्व बैंक ने सीआरआर 4 फीसदी और एसएलआर 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है.
छोटी अवधि में बढ़ सकती है महंगाई
आरबीआई के अनुसार छोटी अवधि में महंगाई बढ़ सकती है. रिजर्व बैंक ने जनवरी से मार्च के बी महंगाई में हल्की बढ़ोत्तरी का अनुमान जताया है. वहीं, अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच सीपीआई इनफ्लेशन 5 से 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि जनवरी में सीपीआई इनफ्लेशन क्या रह सकता है, इस पर कोई अनुमान नहीं दिया है।
अगले साल 6 फीसदी ग्रोथ रेट
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021 के लिए जीडीपी 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जबकि अक्टूबर से दिसंबर 2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान जीडीपी ग्रोथ 5.5 से 6 फीसदी रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक के अनुसार घरेलू मांग में कमी धीमी ग्रोथ का सबसे बड़ा कारण है।