रिजर्व बैंक ने रेपो दर कम की
ऐसा मुख्य तौर पर मुद्रास्फीति में नरमी और सरकार की राजकोषीय पुनर्गठन कार्यक्रम को जारी रखने की प्रतिबद्धता के मद्देनजर किया गया। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार की सुबह प्रेस विज्ञप्ति जारी कर घोषणा की कि अल्पकालिक ऋण दर तुरंत प्रभाव से 7.75 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया जाएगा और अन्य दरों को इसी आधार पर समायोजित किया जाएगा। दरों में कटौती की घोषणा के तुरंत बाद बंबई शेयर बाजार का सूचकांक शुरूआती कारोबार में 30,000 अंक की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया।
पिछले दो महीने में यह दूसरा मौका है जबकि आरबीआई ने नियमित नीतिगत समीक्षा के अलावा ब्याज दरों में कटौती की है। केंद्रीय बैंक ने इससे पहले 15 जनवरी को रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया था। राजन ने कहा 2015-16 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति का आंकड़ा नरम रहने की उम्मीद है जिसके बाद दूसरी छमाही में यह बढ़कर छह प्रतिशत से कम के स्तर पर पहुंच जाएगी। उद्योग चेंबर एसोचैम ने इस कटौती का स्वागत किया है और कहा है कि इससे अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी।
राजन ने कहा कि क्षमता में कम उपयोग और उत्पाद एवं ऋण उठान के अभी भी कमजोर संकेतकों के मद्देनजर आरबीआई के लिए अपनी नीतिगत पहल करना उचित है ताकि मौद्रिक समायोजन के लिए उपलब्ध गुंजाइश का उपयोग किया जा सके। आरबीआई ने कहा कि जनवरी में दर्ज 5.1 प्रतिशत खुदरा मुद्रास्फीति लक्ष्य से बहुत कम है।
प्रतिक्रियाएं
आरबीआई की इस पहल पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि दरों में कटौती से अल्पकालिक स्तर पर प्रोत्साहन मिलेगा। आने वाले दिनों में दर चक्र आंकड़ों पर आधारित होगा। सिन्हा ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में वृहत् आर्थिक आंकड़ा दरों में कटौती की और गुंजाइश पेश करेगा। उन्होंने कहा कि अब हमें कर्ज की मासिक किस्तें कम होती दिखेंगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मणियन ने कहा कि सरकार और आरबीआई का आर्थिक संभावना का आकलन एक जैसा है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में वृद्धि बढ़ेगी, मुद्रास्फीति में गिरावट का रुझान है और सरकार का राजकोषीय पुनर्गठन लक्ष्य के मुताबिक चल रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा कि हम आरबीआई द्वारा रेपो दर में कटौती का स्वागत करते हैं। सरकार के उच्च कोटि के राजकोषीय पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने और मुद्रास्फीति को औपचारिक रूप से आधार बनाए जाने से मुद्रास्फीति कम रहने की उम्मीद है और इससे बैंकों को फैसला करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, हमारा बैंक सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आधार दर में कटौती पर उचित पहल करेगा।