इन्फोसिस की इस ‘पुनीत’ कृपा के पीछे यह वजह तो नहीं है
वह भी तब जबकि पुनीता सिन्हा का पिछला कॅरिअर और अनुभव सूचना तकनीक क्षेत्र का नहीं बल्कि फंड प्रबंधन का रहा है। अपने 25 वर्षों से अधिक के कॅरिअर में उन्होंने ज्यादा वक्त फंड मैनेजमेंट और निवेश सलाहकार के रूप में गुजारा है।
इन्फोसिस को वित्त मंत्रालय का ठेका सितंबर, 2015 में जीसटीएन का तकनीकी ढांचा तैयार करने के लिए दिया गया था। जीएसटी को इसी वर्ष से अस्तित्व में आना था मगर संसद ने अबतक जीएसटी विधेयक पारित ही नहीं किया है इसलिए फिलहाल इस पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। वैसे यह ठेका हासिल करने के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विस(टीसीएस), टेक महिंद्रा, विप्रो और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियां दौड़ में थीं मगर इन्फोसिस ने सबको पछाड़कर यह ठेका हासिल किया था। कंपनी की 2014-15 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार इन्फोसिस के बोर्ड में शामिल एक स्वतंत्र निदेशक को एक करोड़ रुपये सालाना तथा अन्य भत्ते दिए गए। अभी यह सामने नहीं आया है कि पुनीता सिन्हा को क्या भुगतान किया जाएगा मगर यदि इतना भुगतान भी किया जाए तो यह बड़ी राशि है।
वैसे कंपनी का दावा है कि पुनीता सिन्हा के व्यापक पेशेवर अनुभव को देखते हुए उसने यह नियुक्ति की है। नियुक्ति 14 जनवरी, 2016 से प्रभावी मानी जाएगी। पुनीता पेसिफिक पैराडिग्म एडवाइजर्स की संस्थापक और प्रबंधन में साझेदार हैं। यह कंपनी एक स्वतंत्र निवेश परामर्श तथा प्रबंधन कंपनी है। वह वरिष्ठ सलाहकार तथा कई कंपनियों में बतौर स्वतंत्र निदेशक काम कर रही हैं।
कंपनी ने कहा, इन्फोसिस के निदेशक मंडल की नामांकन समिति की ऐसे लोगों को चिह्नित करने और उनका मूल्यांकन करने की एक सुगठित प्रक्रिया है जो बोर्ड को विविधतापूर्ण कौशल और विशेषज्ञता प्रदान कर सकते हैं। डॉ. सिन्हा की नियुक्ति में इस प्रक्रिया का पालन किया गया है।