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14 July 2015

मंदी के कारण हीरा उद्योग की चमक फीकी

SOUMIK KAR

 अहमदाबाद। सूरत का हीरा उद्योग मंदी के बुरे दौर से गुजर रहा है। हीरा तराशनेवाली कई इकाइयां मंदी की चपेट में हैं। कुछ कंपनियों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। हीरा उद्योग विदेशी राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है और करोड़ों लोगों के लिए आजीविका का साधन भी है। विदेशी मांग घटने और कच्चे हीरे की बढ़ती कीमत के मुकाबले तराशे गए हीरे की कीमत स्थिर रहने की वजह से कारोबार में मंदी आई है।

 

हीरे की विदेशी मांग घटी

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सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश नवादिया के मुताबिक इस समय विदेशी मांग काफी कम है।  यदि 2014 से कच्चे हीरे की कीमत में बढ़ोतरी से तुलना करें तो तराशे गए हीरे के मूल्य में कोई बढ़त नहीं हुई है। नवादिया ने इस नरमी को अप्रत्याशित बताया। उन्होंने कहा ऐसा कई बार होता है लेकिन तीन-चार महीने में आम तौर पर हालात सुधर जाते हैं। इस बार संकट थोड़ा लंबे समय तक खिंच गया है। नवादिया का कहना है कि अफवाहों के कारण हालात और खराब हो रहे हैं।

गोधानी जेम्स नाम की एक हीरा कंपनी में ।,500 कर्मचारी काम करते थे। यह इकाई बंद हो गई है। इसी तरह कोई 25 इकाइयां दिवालिया हो गई हैं। हीरा कामगारों की स्थिति के बारे में नवादिया ने कहा कि बाजार में मंदी के दौर में अकुशल और अर्ध-कुशल कामगारों के लिए रोजगार ढूंढना मुश्किल होता है।

 

कच्चे हीरे के दाम बढ़े

एक अन्य हीरा कारोबारी अनिरुद्ध का कहना है कि चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, खाड़ी, यूरोप और अमेरिका से तराशे गए हीरे की मांग बहुत कम है। इसकी वजह से हीरा उद्योग में तैयार माल का काफी भंडार जमा है। अनिरुद्ध ने बताया कि कच्चे हीरे का दाम तीन साल में 65 से 70 प्रतिशत तक बढ़ा है जबकि पॉलिश और तराशे गये हीरे के दाम में इस दौरान कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। यह स्थिर बना हुआ है जिससे कि मुनाफे का मार्जिन काफी कम हो गया। सूरत भारत की हीरा राजधानी कहा जाता है। हीरा उद्योग में छायी मंदी से इससे जुड़े हजारों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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TAGS: सूरत, हीरा उद्योग, मंदी
OUTLOOK 14 July, 2015
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