रिजर्व बैंक ने देश के बैंकों में इस्लामी बैंकिंग सुविधा का प्रस्ताव दिया
केंद्र तथा रिजर्व बैंक दोनों ही लंबे समय से देश में समाज के ऐसे लोगों को इस तरह की बैंक सुविधाएं पेश करने की संभावनाओं पर विचार करते रहे हैं जो धार्मिक कारणों से बैंकों से दूर हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा, हमारा विचार है कि इस्लामी वित्तीय कारोबार की जटिलताओं और उसमें विभिन्न नियामकीय एवं निगरानी तथा पर्यवेक्षण संबंधी चुनौतियों तथा भारतीय बैंकों को इसका अनुभव नहीं होने को देखते हुए देश में इस्लामी बैंकिंग सुविधा की दिशा में धीरे-धीरे कदम रखा जा सकता है। सूचना के अधिकार के तहत समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर से मांगी गई जानकारी के जवाब में प्राप्त इस पत्र के अनुसार आरबीआई की राय है, सरकार द्वारा जरूरी अधिसूचना के बाद शुरू में इस इस्लामिक बैंक सुविधा के तहत परंपरागत बैंकों में साधारण किस्म की योजनाएं पेश की जा सकती हैं जो परंपरागत बैंक उत्पादों की योजनाओं जैसी ही होंगी।
पत्र के अनुसार, बाद में समय के साथ होने वाले अनुभव के आधार पर पूर्ण इस्लामिक बैंकिंग पेश करने पर विचार किया जा सकता है जिसमें हानि लाभ में हिस्सेदारी वाले जटिल उत्पाद शामिल किए जा सकते हैं। इस्लामी या शरिया बैंकिग एक प्रकार की वित्त व्यवस्था जो ब्याज नहीं लेने के सिद्धांत पर आधारित है क्योंकि इस्लाम में ब्याज की मनाही है। केंद्र सरकार का प्रस्ताव अंतर विभागीय समूह (आईडीसी) की सिफारिश के आधार पर देश में इस्लामी बैंक पेश करने की व्यवहार्यता के संदर्भ में कानूनी, तकनीकी और नियामकीय मुद्दों की जांच-परख पर आधारित है। रिजर्व बैंक ने तकनीकी विश्लेषण रिपोर्ट भी तैयार की है जिसे वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है।
पत्र में यह भी कहा गया, अगर देश में इस्लामी बैंक उत्पाद पेश करने का निर्णय किया जाता है, रिजर्व बैंक को परिचालन एवं नियामकीय मसौदे रखने के लिए आगे काम करना होगा ताकि देश में बैंकों द्वारा इस प्रकार के उत्पादों को सुगमता से पेश किया जा सके। इसके अनुसार रिजर्व बैंक को शरिया के तहत निर्धारित बातों के अलावा इस्लामिक उत्पादों के लिए उपयुक्त मानदंड भी तैयार करने की जरूरत होगी। केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2015-16 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय समाज का कुछ तबका धार्मिक कारणों से बैंकिंग सुविधाओं से वंचित है। धार्मिक कारणों से वे ब्याज से जुड़े बैंक उत्पादों के उपयोग नहीं कर पाते। इसमें कहा गया है कि इन तबकों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार के साथ विचार-विमर्श के साथ देश में ब्याज मुक्त बैंक उत्पाद पेश करने की संभावना तलाशने का प्रस्ताव किया गया है।