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10 August 2015

केरोसिन सब्सिडी 12 रुपये लीटर, एलपीजी सब्सिडी 18 रुपये किलो तय

केरोसिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये 14.96 रुपये प्रति लीटर पर बेचा जा रहा है जबकि इसकी वास्तविक लागत 29.91 रुपये है। दोनों के बीच 14.95 रुपये प्रति लीटर का फर्क है जिसे राजस्व नुकसान या लागत से कम वसूली कहा जाता है। उन्होंने कहा सरकार केरोसिन की वास्तविक लागत और राशन में बिक्री मूल्य के अंतर की भरपाई के लिए 12 रुपये उपलब्ध कराएगी जबकि शेष 2.95 रुपये का बोझ तेल उत्पादक कंपनियों ओएनजीसी और आॅयल इंडिया लिमिटेड उठाएंगी।

इसी तरह हर 14.2 किलो के सब्सिडीशुदा एलपीजी सिलिंडर पर लागत से कम वसूली 167.18 रुपये है। सब्सिडीशुदा रसोई गैस सिलिंडर की मौजूदा कीमत 417.82 रुपये है। इस लिहाज से मौजूदा दर पर लागत से कम वसूली की पूरी भरपाई तय सब्सिडी सीमा के दायरे में है।

प्रधान ने कहा कि इस समय सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली कंपनियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले केरोसिन और सब्सिडीशुदा घरेलू एलपीजी की बिक्री पर ही राजस्व नुकसान होता है। पेट्रोल और डीजल का दाम अब बाजार मूल्य के अनुसार तय होता है। पेट्रोल जून 2010 से और डीजल अक्तूबर 2014 से बाजार मूल्य पर बेचा जा रहा है। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान सरकार ने केरोसिन के लिए 12 रुपये प्रति लीटर की बजटीय सहायता को मंजूरी दी है जबकि शेष राजस्व नुकसान का बोझ तेल उत्खनन कंपनियां उठाएंगी।

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प्रधान ने लोकसभा को एक प्रश्न के लिखित जवाब में भी कहा है सरकार ने घरेलू एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत 18 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी तय की है। वर्तमान मूल्य पर तेल उत्पादन एवं खोज कंपनियों को पूरे साल के दौरान केरोसिन की 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी बोझ उठाना होगा। वर्ष 2015-16 के बजट में एलपीजी सब्सिडी के लिये 22,000 करोड़ रुपये और केरोसिन सब्सिडी के लिये 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

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TAGS: Subsidy, Petroleum Prices, revenue deficit, Dharmendra Pradhan, एलपीजी, केरोसिन, बाजार मूल्य
OUTLOOK 10 August, 2015
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