सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, आरबीआई सुनिश्चित करे कि मोरेटोरियम का निर्देश बैंक ठीक से लागू करें
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कर्ज लौटाने पर तीन महीने के मोरेटोरियम संबंधी निर्देश का बैंक सही-सही पालन करें। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने बैंकों से कहा था कि वे चाहें तो ग्राहकों को मार्च से मई तक कर्ज की ईएमआई स्थगित करने (मोरेटोरियम) की छूट दे सकते हैं। लेकिन ऐसी खबरें आ रही हैं कि अनेक बैंक ग्राहकों को यह सुविधा नहीं दे रहे हैं।
याचिका में सर्कुलर रद्द करने का आग्रह किया गया था
इस संबंध में जारी याचिका में कहा गया था कि रिजर्व बैंक के 27 मार्च के सर्कुलर का बैंक सही-सही पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए इस सर्कुलर को रद्द कर दिया जाना चाहिए। गुरुवार को इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की तरफ से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक की तरफ से दी गई सुविधा ग्राहकों तक नहीं पहुंच रही है।
सर्कुलर में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
यह याचिका कमल कुमार कालिया नाम के व्यक्ति ने दायर की थी। उनके वकील संजू जैकब से कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता ने कितना लोन लिया है, इस पर जैकब ने कहा कि उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है। इस पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बी.आर. गवई की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता स्वयं पीड़ित नहीं हैं, इसलिए कोर्ट रिजर्व बैंक के सर्कुलर में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। बेंच ने कहा कि यह नीतिगत मसला है और इसमें पीड़ित पक्ष का होना जरूरी है।
इससे संबंधित तीन याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार
बेंच ने कहा कि कोई दिशानिर्देश होना चाहिए ताकि बैंक इस सुविधा का लाभ ग्राहकों को दें। रिजर्व बैंक के 27 मार्च के सर्कुलर पर तीन और लोगों ने जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन इनमें से किसी ने भी लोन नहीं लिया था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इनकी याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।