टाटा का दबाव लाया रंग, सरकार ने बदली विमानन नीति
अभी तक वही कंपनी अन्तरराष्ट्रीय उड़ानों की सेवा दे सकती थी जिसे घरेलू उड़ानों का पांच वर्ष का अनुभव हो और जिसके पास कम से कम 20 एयरक्राफ्ट हों। नई नीति में एयरक्राफ्ट तो कम से कम 20 ही होने चाहिए लेकिन अनुभव होना जरूरी नहीं है। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 5/20 नियम पर कहा, विरासत में मिली संदेहास्पद व्यवस्था को कूड़ेदान में डाल दिया गया है। माना जा रहा है कि इससे टाटा समूह की एयर एशिया और विस्तारा सरीखी कंपनियों को फायदा होगा। टाटा समूह लंबे समय से यह मांग कर रहा था कि अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कम से कम पांच वर्ष के अनुभव वाले नियम को खत्म किया जाना चाहिए। दूसरी ओर स्पाइस जेट और इंडिगो जैसी कंपनियां जिन्हें पुराने नियम के अनुसार लाइसेंस मिला था इसमें छूट दिए जाने के खिलाफ थीं। इसे लेकर रतन टाटा और स्पाइस जेट के अजय सिंह के बीच हल्की बहस भी हुई थी।
रतन टाटा का कहना था कि इस नियम के पक्षधर दरअसल विमानन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा से डर रहे हैं और सरकारी संरक्षण की पुरानी प्रवृति से ग्रस्त हैं। इसके जवाब में अजय सिंह ने कहा था कि विस्तारा और एयर एशिया में टाटा के साथ विदेशी कंपनियों का पैसा लगा है और अगर इन्हें नियम के अनुसार पहले भारत की 5 वर्ष सेवा करने के लिए कहा जा रहा है तो गलत क्या है। दरअसल पुरानी कंपनियों का तर्क है कि उन्हें तो पुराने नियम के अनुसार घाटे वाले रूटों पर भी विमान सेवा देने के लिए बाध्य किया गया जबकि इन नई कंपनियों को सीधे विदेशी उड़ान सेवा का मौका दिया जा रहा है। गौरतलब है कि विस्तारा की शुरुआत जनवरी, 2015 में हुई और अभी इसके बेड़े में सिर्फ 11 विमान हैं जबकि एयर एशिया इंडिया की शुरुआत जून, 2014 में हुई है और इसके पास भी अभी जरूरी 20 विमान नहीं हैं। मगर ये दोनों ही बड़ी कंपनियां हैं और विमानन नीति के नए मसौदे के अनुरूप विमान खरीदने में इन्हें समय नहीं लगेगा।