बैंकिंग नकद लेनदेन पर कर की सिफारिश पर विचार करेगी सरकार
डिजिटल लेनदेन पर सुझाव देने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के संयोजकत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी गयी अपनी रपट में इस तरह के कर की सिफारिश की है। रपट में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित और नकद लेन देन को हतोत्साहित करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं।
समिति ने अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने रखने के उद्देश्य से सभी तरह के बड़े लेनदेन में नकद लेनदेन की एक सीमा तय करने तथा 50,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर शुल्क लगाने की सिफारिश की है। समिति ने कार्ड और ऐसे दूसरे साधनों के जरिये भुगतान के लिये कई तरह के प्रोत्साहनों की भी सिफारिश की है।
वित्त मंत्रालय ने जारी वक्तव्य में कहा है कि इन सिफारिशों पर सावधानी के साथ गौर किया जाएगा और उचित समय पर यथोचित निर्णय लिए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया में समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बारे में कई तरह के समाचार आये हैं। इसमें यह सिफारिश 50,000 रुपये और इससे अधिक के नकद लेनदेन पर बैंक नकद लेनदेन कर लगाने के बारे में भी है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन सिफारिशों पर अभी अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
सरकार ने गत नवंबर में 1000 और 500 रुपये मूल्य के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के निर्णय के बाद मुख्यमंत्रियों की इस समिति का गठन किया था। समिति को नकदी के प्रयोग को कम करने के लिए डिजिटल भुगतान के समाधान अपनाने के बारे में सुझाव प्रस्तुत करने को कहा था।
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि गैर-करदाताओं और छोटे व्यापारियों द्वारा स्मार्टफोन खरीदने पर 1,000 रुपये की सब्सिडी दी जानी चाहिये। समिति ने कहा है कि सरकारी प्रतिष्ठानों, एजेंसियों को डिजिटल तरीके से भुगतान किये जाने पर शून्य अथवा कम से कम मर्चेंट रियायती दर :एमडीआर: रखा जाना चाहिये।
इससे पहले 2005 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन :संप्रग: सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बैंकों से नकद लेन देन पर कर लगाने की शुरुआत की थी। हालांकि इस कर को एक अप्रैल 2009 से वापस ले लिया गया था। भाषा