दो दिन में बदले इनकम टैक्स और बीमा के ये 2 नियम, ये होगा असर
बीते दो दिन रविवार (16 जून) और सोमवार (17 जून) के बीच दो नियम बदल गए हैं। इनमें से एक नियम इनकम टैक्स से संबंधित है तो वहीं दूसरा नियम बीमा सेक्टर से जुड़ा है। इन नए नियमों का सीधा प्रभाव आपकी जिंदगी पर पड़ने वाला है। आइए, जानते हैं आखिर क्या है ये नियम...
पहला नियम: वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा महंगा
बीते 16 जून से कार और दोपहिया वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा महंगा हो गया है। बीमा नियामक इरडा के आदेश के अनुसार 1,000 सीसी से कम क्षमता वाली छोटी कारों का थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में 12 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। अब प्रीमियम 1,850 रुपये से बढ़कर 2,072 रुपये हो गया है।
वहीं 1,000-1,500 सीसी के वाहनों का बीमा प्रीमियम 12.5 प्रतिशत बढ़कर 3,221 रुपये हो गया है। यदि दोपहिया वाहनों की बात करें तो 75 सीसी से कम के टू-व्हीलर के लिए थर्ड पार्टी प्रीमियम 12.88 फीसदी बढ़कर 482 रुपये हो गया।
75 से 150 सीसी के दोपहिया वाहन के लिए प्रीमियम 752 रुपये किया गया है। इसी प्रकार 150-350 सीसी क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में सबसे अधिक वृद्धि की गई है।
गौरतलब है कि मोटर व्हीकल्स एक्ट के अनुसार सभी मोटर वाहनों के लिए थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस या थर्ड पार्टी बीमा कवर लेना जरूरी है। यह बीमा पॉलिसी आपके वाहन से दूसरे लोग और उनकी संपत्ति को हुई क्षति को कवर करती है।
दूसरा नियम: सीबीडीटी ने आयकर ‘कम्पाउंडिंग’ के नए दिशानिर्देश जारी किए
17 जून को इनकम टैक्स से जुड़ा नियम बदल गया है। दरअसल, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर भरने में चूक या गड़बड़ी के मामलों में कुछ जुर्माना या शुल्क चुकाकर उसे नियमित करने या कंपाउंडिग की प्रक्रिया के संबंधित नए दिशानिर्देश दिए हैं जिनसे अब मनी लांड्रिंग, आतंक के वित्तपोषण, भ्रष्टाचार, बेनामी संपत्ति रखने और विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने जैसे गंभीर मामलों में किसी व्यक्ति के लिए आयकर चोरी को लेकर राहत पाने के सभी दरवाजे बंद हो गए हैं। ये दिशानिर्देश सोमवार से लागू हो गए हैं। कर विभाग के नीति बनाने वाले निकाय ने ‘प्रत्यक्ष कर कानून के तहत मामलों के निपटान-2019’ को लेकर 32 पृष्ठों के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों का क्रियान्वयन आयकर अधिनियम-1961 के तहत किया जाएगा।
नए दिशानिर्देशों में साफ किया गया है कि कर चोरी के मामलो में जुर्माना आदि चुकाकर निपटान ‘अधिकार’ का मामला नहीं है। विभाग इस तरह की राहत कुछेक मामलों तक सीमित रख सकता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति के व्यवहार के लिए अपराध कितना बड़ा है यह देखा जाएगा। साथ ही इसमें प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर भी गौर किया जाएगा। आयकर के परिप्रेक्ष्य में कम्पाउंडिंग के तात्पर्य है कि कर अधिकारी कर चोरी करने वाले व्यक्ति से बकाया कर और अधिभार के भुगतान के बाद अभियोजन दायर नहीं करेंगे। धारा 279 (2) के तहत इस तरह के मामलों का निपटान किया जाता है।
ताजा दिशानिर्देश कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से राष्ट्रविरोधी या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है या फिर संबंधित व्यक्ति धन शोधन रोधक कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय, भ्रष्टाचार रोधक कानून के तहत सीबीआई, लोकपाल या लोकायुक्त या किसी अन्य केंद्रीय और राज्य एजेंसी मसलन पुलिस की जांच के घेरे में है तो उसे आयकर चोरी के मामले में जुर्माना, शुल्क आदि का भुगतान करने से राहत नहीं मिलेगी।