Advertisement
26 June 2015

1930 जैसी महामंदी का खतरा: रघुराम राजन

फाइल फोटो

राजन पहले भी केंद्रीय बैंकों के बीच मौद्रिक नीति को उदार बनाने की होड़ के प्रति आगाह करते रहे हैं। हालांकि, उन्‍होंने माना है कि भारत में हालात अलग हैं जहां आरबीआई को अभी निवेश प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत दरों में कटौती करनी है। लंदन बिजनेस स्कूल में कल शाम हुए एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, हमें बेहतर समाधान ढूंढने के लिए नए नियमों की जरूरत है। केंद्रीय बैंक की कोशिशों के लिहाज से क्या स्वीकृत है और क्‍या नहीं, इस संबंध में वैश्विक नियमों पर विचार करने का समय आ गया है। 

 

केंद्रीय बैंकों पर ग्रोथ बढ़ाने का दबाव 

Advertisement

ब्‍याज दरों में कटौती और देश की विकास दर में तेजी लाने के उपायों को लेकर सरकार के दबाव में न आने वाले रघुराम राजन ने कहा है कि विकास दर बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंकों पर भारी दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा, सवाल यह है हम एेसे दायरे में प्रवेश कर रहे हैं जहां हम बिना किसी आधार के वृद्धि पैदा कर रहे हैं और वृद्धि के सृजन के बजाय एक जगह से दूसरी जगह वृद्धि को खिसका रहे हैं। निश्चित तौर पर महामंदी के दौर में इसका इतिहास रहा है जबकि हम प्रतिस्पर्धी अवमूल्य कर रहे थे। 

 
भारत में स्थितियां अलग 
राजन ने सभी केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रि‍क नीति‍यों में नरमी करने वालों कदमों पर चिंता जाहि‍र की है। हालांकि‍, उन्‍होंने कहा कि‍ भारत में स्‍थि‍ति‍यां अलग हैं जहां आरबीआई अब भी नि‍वेश हासि‍ल करने के लि‍ए ब्‍याज दरों में कटौती करने की जरूरत है। भारतीय परि‍दृश्‍य के मुताबि‍क ब्‍याज दरों में कटौती के बारे में उन्‍होंने कहा, जहां तक हो सके मैं बाजार की हलचल को बंद करने की कोशि‍श कर रहा हूं। हम (भारत) ऐसी स्‍थि‍ति‍ में हैं जहां नि‍वेश की जरूरत है और मैं इसे लेकर सबसे ज्‍यादा चिंति‍त हूं। उन्‍होंने कहा कि‍ मैं एसेट कीमतों (तेजी) की हलचल को बंद करना चाहता हूं और इस बारे में ज्‍यादा सोच रहा हूं कि‍ क्‍या इससे बैंकों की ब्‍याज दर में कमी आए और कंपनि‍यों को सस्‍ता कर्ज मि‍लने से नि‍वेश बढ़ेगा। हालांकि‍, मामला दूसरे मार्केट्स के लि‍ए ज्‍यादा पेचीदा है।
 
 
 
 
 
 
 
अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: वैश्विक मंदी, भविष्‍यवाणी, आरबीआई, गवर्नर, रघुराम राजन, RBI, Raghuram Rajan, Great Depression, World economy
OUTLOOK 26 June, 2015
Advertisement