1930 जैसी महामंदी का खतरा: रघुराम राजन
राजन पहले भी केंद्रीय बैंकों के बीच मौद्रिक नीति को उदार बनाने की होड़ के प्रति आगाह करते रहे हैं। हालांकि, उन्होंने माना है कि भारत में हालात अलग हैं जहां आरबीआई को अभी निवेश प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत दरों में कटौती करनी है। लंदन बिजनेस स्कूल में कल शाम हुए एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, हमें बेहतर समाधान ढूंढने के लिए नए नियमों की जरूरत है। केंद्रीय बैंक की कोशिशों के लिहाज से क्या स्वीकृत है और क्या नहीं, इस संबंध में वैश्विक नियमों पर विचार करने का समय आ गया है।
केंद्रीय बैंकों पर ग्रोथ बढ़ाने का दबाव
ब्याज दरों में कटौती और देश की विकास दर में तेजी लाने के उपायों को लेकर सरकार के दबाव में न आने वाले रघुराम राजन ने कहा है कि विकास दर बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंकों पर भारी दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा, सवाल यह है हम एेसे दायरे में प्रवेश कर रहे हैं जहां हम बिना किसी आधार के वृद्धि पैदा कर रहे हैं और वृद्धि के सृजन के बजाय एक जगह से दूसरी जगह वृद्धि को खिसका रहे हैं। निश्चित तौर पर महामंदी के दौर में इसका इतिहास रहा है जबकि हम प्रतिस्पर्धी अवमूल्य कर रहे थे।