रूस और यूक्रेन युद्ध का असर कमोडिटी की कीमतों पर पड़ा है: मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लगातार 49 दिन से जारी है और अब इसका असर भारत के उपर भी दिखना शुरू हो गया है। दोनों देशों के बीच चल रहे तनातनी के कारण कमोडिटी और कच्चे तेलों की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है।
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) द्वारा आयोजित नेशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा, "रूस-यूक्रेन संकट के कारण स्पिलओवर प्रत्यक्ष से अधिक अप्रत्यक्ष होने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भू-राजनीतिक तनाव का असर कमोडिटी की कीमतों पर पड़ रहा है।"
आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लिखित विकास अनुमानों में संशोधन के बारे में पूछे जाने पर, नागेश्वरन ने कहा, “यह कहना जल्दबाजी होगी कि वे अनुमान बड़े संशोधन के लिए उत्तरदायी हैं।" नागेश्वरन ने आगे कहा कि अगर वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें सितंबर तक 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहती हैं, तो सरकार को 2022-23 के लिए विकास और सब्सिडी पर अपने बजट अनुमानों को संशोधित करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन उच्च वैश्विक कीमतों का बोझ जनता के साथ और तेल विपणन कंपनियों के साथ साझा करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर एक तिमाही के लिए तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहती है, तो इसका असर उपभोक्ता के ऊपर पड़ सकता है।
नागेश्वरन ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंडरा रही अनिश्चितताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भू-राजनीतिक मोर्चे पर अनिश्चितता का नवीनीकरण हो रहा है। साथ ही, यूएस फेड द्वारा ब्याज दर में वृद्धि का स्वाभाविक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी देशों के वित्तीय बाजारों पर प्रभाव पड़ेगा। नागेश्वरन ने कहा कि पूंजीगत व्यय पर जोर और एक मजबूत कॉर्पोरेट बैलेंस शीट भारत को अनिश्चितता से उबरने में सक्षम बनाएगी।