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04 December 2015

सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से परेशानी नहीं: जेटली

उन्होंने स्वीकार किया कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का सरकारी खजाने पर असर 2-3 साल तक जरूर रहेगा क्योंकि इसके लिए सालाना 1.02 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय की जरूरत है। वित्त मंत्री ने एचटी लीडरशिप सम्मेलन में वेतन आयोग की सिफारिशों के राजकोष पर संभावित प्रभावित के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मैं राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर खास चिंतित नहीं हूं।’

उन्होंने कहा कि इसके लक्ष्यों को पूरा करने के साथ-साथ उनकी सरकार राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता को सुधारने में भी कामयाब रही है। सरकार ने राजकोषीय घाटे को चालू वित्त वर्ष में 2015-16 में जीडीपी के 3.9 प्रतिशत, 2016-17 में 3.5 प्रतिशत और 2017-18 तक इसे तीन प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है। जेटली ने कहा यदि आप खर्च काट कर या कर-रिफंड रोक कर दिखाते हैं कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा हो गया तो आप ने सांख्यिकीय तौर पर आंकड़ा जरूर पूरा कर लिया होगा पर राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता हमेशा संदिग्ध रहेगी ... हमने राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया है और हम शायद इसे बरकरार रखने में कामयाब रहेंगे।

केंद्रीय बैंक के कर्मचरियों को वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरूप वेतन देने के संबंध में जेटली ने कहा कि सामान्य नियम है कि वेतन और पेंशन पर व्यय सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए। उन्होंने कहा सिफारिशों पर अमल के शुरुआती वर्ष में यह अनुपात गड़बड़ होगा पर ..सकल घरेलू उत्पाद का आधार बढ़ने पर तीसरे या चौथे साल में (वेतन-पेंशन खर्च) के अनुपात में यह उछाल कम हो जाएगा और (इसके बाद) आप पुन: तर्कसंगत तरीके से 2.5 प्रतिशत के आंकड़े पर वापस लौट आएंगे। .. यह दबाव अगले दो-तीन साल के लिए ही होगा।

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TAGS: Arun Jaitley, Fiscal deficit, Pay Commission, एचटी लीडरशिप, वित्त मंत्री, राजकोषीय घाटा, अरुण जेटली
OUTLOOK 04 December, 2015
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