देश का पहला भारतीय महिला बैंक होगा बंद
बीएमबी का खूब प्रचार-प्रसार किया गया। दरअसल इस बैंक का उद्देश्य छोटे-मोटे कारोबार शुरू करने के लिए कम से कम ब्याज दर पर महिलाओं को कर्ज देना था। ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सके। बैंक तो गठित कर दिया गया लेकिन न तो इसके लिए अलग से स्टाफ नियुक्त किया गया और न ही महिलाओं को इससे फायदा हुआ। खाता खोलने के लिए यहां उतनी पेचीदा प्रक्रिया रही जितनी कि दूसरे बैंकों में होती है। कर्ज लेने के लिए इतनी पेचीदा प्रक्रिया कि इससे अच्छा महिलाएं सोचें कि किसी साहूकार से कर्ज ले लो। और तो और गठित होने के एक साल बाद भी बैंक खाते ऑनलाइन नहीं हुए। यहां तक कि चैकबुक पर एकाउंट नंबर हाथ से लिख कर दिए जा रहे थे।
अब एसबीआई ने भारतीय महिला बैंक के खुद में विलय के लिए मंजूरी मांगी है। इस प्रस्ताव के तहत एसबीआई इन बैंकों का कारोबार, परिसंपत्तियों तथा देनदारियों सहित का अधिग्रहण करेगा। बैंक ने कहा कि यह फैसला शुद्ध रूप से अभी संभावना के स्तर पर है और इन अधिग्रहणों को पूरा करने को लेकर कोई निश्चितता नहीं है। बेहतर तरीके से कामकाज के संचालन जिससे पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके, की वजह इस फैसले के पीछे है।
बाकी के पांचों बैंकों के बोर्ड ने एसबीआई में विलय को अपनी मंजूरी दे दी है। वहीं सभी पांचों सहयोगी बैंकों के विलय की घोषणा के कर्मचारी यूनियनों ने हड़ताल की चेतावनी दी है। ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन ने बयान में कहा कि एबसीआई प्रबंधन के मनमाने और अहंकारपूर्ण रवैये की वजह से पांचों सहयोगी बैंक 20 मई को हड़ताल पर रहेंगे। ये सहायक बैंक हैं स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद।