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12 May 2016

सुब्रत राय 200 करोड़ नहीं चुकाए तो 11 जुलाई के बाद दोबारा खाएंगे तिहाड़ की हवा

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न्यायालय ने कहा कि अगर वे 11 जुलाई तक 200 करोड़ रुपए जमा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें समर्पण करना होगा और तिहाड़ जेल वापस जाना होगा। न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी की कि सेबी सहारा की संपत्तियों की नीलामी जारी रखेगा। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राय तथा सहारा समूह के निदेशक अशोक राय चौधरी को अपनी प्रमाणिकता तथा गंभीरता साबित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से हलफनामा देने को कहा। दोनों को छह मई को चार सप्ताह के लिए पैरोल पर रिहा किया गया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एआर दवे और एके सीकरी भी हैं। बाजार नियामक सेबी के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद के संदर्भ में शीर्ष अदालत के आदेश से सहारा प्रमुख चार मार्च 2014 से जेल में हैं। पीठ ने कहा कि हम सुब्रत राय तथा आशोक राय चौधरी को 200 करोड़ रुपए जमा करने की पेशकश को साबित करने को लेकर 11 जुलाई तक का समय देना चाहते हैं। पीठ में शामिल अन्य न्यायाधीश एआर दवे तथा न्यायाधीश एके सिकरी हैं। इसके अनुसार ही पीठ ने निर्देश दिया है कि छह मई का आदेश 11 जुलाई तक प्रभावी रहेगा बशर्ते वे राय और चौधरी व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत कर दें। पीठ ने यह भी कहा कि छह मई के आदेश के अनुसार राय तथा चौधरी संपत्ति के संभावित खरीदारों से मुलाकात करने तथा पुलिस सुरक्षा में देश के भीतर आने जाने को लेकर आजाद हैं। न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी की कि सेबी सहारा की संपत्तियों की नीलामी जारी रखेगा। पीठ ने कहा कि सहारा बैंक गारंटी के रूप में 5,000 करोड़ रुपए जुटाने को लेकर अन्य संपत्ति की बिक्री और हस्तांतरण के लिए भी कदम उठा सकता है। उन्हें जमानत के लिए 5,000 करोड़ रुपए के अलावा 5,000 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा करनी है।

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TAGS: उच्चतम न्यायालय, सहारा प्रमुख सुब्रत राय, सेबी, 200 करोड़ रुपए, supreme court, Subrata Roy, sahara, sebi.
OUTLOOK 12 May, 2016
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