जानें क्या है रिलायंस और अमेजन विवाद जिसमें मुकेश अंबानी को लगा बड़ा झटका
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि रिलायंस रिटेल में किशोर बियानी की कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के विलय पर सिंगापुर आर्बिट्रेशन कोर्ट की आपत्ति जायज है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अमेजन की आपत्ति को भी सही ठहराया है। विलय का यह सौदा 24,731 करोड रुपए में तय हुआ था। सिंगापुर आर्बिट्रेशन कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए विलय प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को भी विलय के सौदे पर कोई निर्णय देने से मना किया था।
अमेरिकी कंपनी अमेजन ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने इस सौदे को मंजूरी दे दी थी। अमेजन ने किशोर बियानी और 15 अन्य को इसमें वादी बनाया है, जिसमें फ्यूचर रिटेल लिमिटेड और फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल हैं। 8 फरवरी को खंडपीठ ने सभी पक्षों से यथास्थिति बनाए रखने को कहा था।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह देखेगा कि आर्बिट्रेशन का निर्णय आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट की धारा 17 (1) के अधीन आता है या नहीं। अगर यह आता है तो धारा 17 (2) के तहत उस पर अमल किया जा सकता है या नहीं। आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट की धारा 17 आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के अंतरिम अवार्ड से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भारतीय कानूनों के अनुसार इमरजेंसी आर्बिट्रेशन का आदेश मान्य है।
अमेजन का कहना है कि आर्बिट्रेटर का आदेश भारत में भी मान्य है, जबकि फ्यूचर की दलील इसके खिलाफ है। अमेजन का कहना है कि उसका फ्यूचर के साथ ‘पहले मना करने’ का समझौता हुआ है। रिलायंस-फ्यूचर सौदे में इसका उल्लंघन हुआ है। देश के करीब 400 शहरों में फ्यूचर के लगभग 1,700 आउटलेट हैं।