2 लाख करोड़ के कालेधन पर जांच का शिकंजा
नई दिल्ली। काले धन के खिलाफ राजस्व खुफिया एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिलती दिखाई दे रही है। गैर-कानूनी तरीके से जुटाने के 500 मामले राजस्व खुफिया एजेसियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सेबी की जांच के दायरे में आये हैं। इन मामलों में कुल दो लाख करोड़ रुपये के काले धन की हेराफेरी का अनुमान है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस तरह के वित्तीय साधनों का इस्तेमाल काले धन को जुटाने के लिए किए जाने का संदेह है। राजस्व खुफिया एजेंसियों ने इस मामलों की जानकारी जुटाकर सेबी के साथ आगे की कार्रवाई पर की रणनीति तैयार कर ली है।
हालांकि, एनसीडी जारी करना व प्रतिभूतियों का निजी नियोजन उचित वित्तीय लेनदेन है, लेकिन जांच में सामने आया है कि कई गैर-सूचीबद्ध कंपनियों ने कम से कम 500 मामलों में गैर-कानूनी तरीके से करीब दो लाख करोड़ रपये की राशि जुटाई है। गौरतलब है कि एनसीडी वह वित्तीय उत्पाद है जिसे शेयरों में तब्दील नहीं किया जा सकता।
जल्द बनेगी चेतावनी प्रणाली
इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश के लिए जल्द एक चेतावनी देने वाली प्रणाली का प्रस्ताव है। इसमें आरओसी द्वारा सेबी को इस तरह के मामलों की समय पर जानकारी दी जाएगी। राजस्व खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने कहा, इस बारे में उच्च स्तर पर विचार विमर्श हुआ है और उचित उपाय किए जाएंगे जिससे काले धन को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों के माध्यम से लाया न जा सके।
सेबी ने हाल में निवेशकों को सतर्क करते हुए कहा है कि कुछ गैर सूचीबद्ध कंपनियां निवेशकों को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के रूप में प्रतिभूतियां जारी कर लुभाने का प्रयास कर रही हैं। एेसा करते समय वे कंपनी कानून के प्रावधानों व सेबी के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं।
धन जुटाने वाली ये कंपनियां एेसा करते समय सेबी की जांच पड़ताल से बचती हैं और महत्वपूर्ण सूचनायें भी नहीं देतीं हैं। इनमें निवेशकों की संख्या और धन जुटाने के लिये वित्तीय साधन की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की जाती है। धन जुटाने की एेसी प्रक्रिया जिसमें 49 से ज्यादा निवेशकों का योगदान होता है वह सार्वजनिक पेशकश मानी जाती है और वह सेबी के अधिकार क्षेत्रा में आ जाती है।