शेयर बाजार में बढ़त बरकरार, सेंसेक्स 464 अंकों की मजबूती के साथ बंद, निफ्टी 10,886 के करीब
दिनभर के कारोबार के बाद मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर शेयर बाजार में उछाल बरकरार रहा। सेंसेक्स ने 464.77 अंकों (1.30%) की बढ़त के साथ 36,318.33 के स्तर पर कारोबार बंद किया। वहीं, निफ्टी ने 149.20 अंकों की (1.39%) उछाल के साथ 10,886.80 के स्तर पर कारोबार बंद किया।
शुरुआती कारोबार में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 328.44 अंकों की बढ़त के साथ 36,182 के स्तर पर खुला। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों का सेवंदी सूचकांक निफ्टी 93.65 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 10,831.25 पर खुला। कुछ ही देर बाद सेंसेक्स 366.05 (1.02%) अंकों की उछाल के साथ 36,219.61 के स्तर पर कारोबार करते दिया। वहीं, निफ्टी ने 110.45 (1.03%) अंकों की मजबूती के साथ 10,848.05 के स्तर पर कारोबार किया। कारोबार के दौरान यस बैंक, इन्फोसिस, रिलायंस, टीसीएस , एशियन पेंट, कोल इंडिया और बजाज फाइनेंस हैं। वहीं मारुति, पावर ग्रिड और भारती एयरटेल के शेयर में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है।
यस बैंक के शेयर में तेजी के पीछे ये है वजह
मंगलवार के कारोबार में यस बैंक, इन्फोसिस और रिलायंस इंडस्ट्रीज में 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल रही है। सोमवार को भी यस बैंक के शेयर में 6.22 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। दरअसल, लंबे समय से खाली पड़े यस बैंक के सीईओ पद के लिए चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर रजत मोंगा का नाम सबसे आगे चल रहा है। इस पद के लिए एक विदेशी बैंक के सीईओ का नाम भी छांटा गया है। बता दें कि सितंबर 2018 में आरबीआई के आदेश के बाद यस बैंक के सीईओ राणा कपूर का कार्यकाल घटाकर 31 जनवरी 2019 तक कर दिया गया था।
इन्फोसिस के शेयर में मजबूती की वजह
मंगलवार को इन्फोसिस के शेयर में भी 2 फीसदी के करीब बढ़त देखी गई। देश की दिग्गज आईटी कंपनी ने बीते शुक्रवार को बायबैक की घोषणा की थी। इसके लिए कंपनी ने 8,260 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया था। वहीं, अपने शेयरधारकों को 4 रुपये का विशेष लाभांश देने का भी फैसला किया है।
रुपये की कमजोर शुरुआत
मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर शुरुआत हुई और यह 10 पैसे गिरकर 71 से नीचे चला गया। इससे पहले सोमवार को रुपया 43 पैसे घटकर 70.92 पर बंद हुआ था। यह लगभग पिछले एक माह का निचला स्तर था। इस कमजोरी की वजह विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी है।