Advertisement
04 April 2025

अभिनेता मनोज कुमार के "भारत कुमार" बनने की कहानी

आज हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता मनोज कुमार का 87वर्ष की आयु में निधन हो गया। मनोज कुमार हिन्दी सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता और निर्देशक थे।मनोज कुमार देशभक्ति पर आधारित फिल्मों के निर्माण के लिए विशेष रूप से जाने जाते थे।उन्होंने क्रांति, पूरब और पश्चिम, उपकार, शहीद जैसी कई शानदार फिल्मों का निर्माण किया, जिससे वह भारतीय जनमानस के हृदय में बस गए। मनोज कुमार को जनता ने इतना प्यार दिया कि उनका नाम "भारत कुमार" रख दिया। मनोज कुमार से भारत कुमार बनने की कहानी भी रोचक है।

 

शुरू में भगत सिंह पर फ़िल्म बनाने का मनोज कुमार का कोई इरादा नहीं था।हालांकि भगत सिंह उनके बचपन के हीरो थे और उनके बारे में ज़्यादा जानना चाहते थे। इसी खोज में वो दिल्ली और अमृतसर जाते और मद्रास में हिंदू अख़बार की लाइब्रेरी में घंटों रिसर्च करते।

Advertisement

 

इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फ़िल्म और राष्ट्रीय एकता के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला। इस समारोह के लिए मनोज कुमार ने भगत सिंह की माँ को भी बुलाया था।

 

जब अभिनेता डेविड ने मंच से नेश्नल अवॉर्ड की घोषणा की तो भगत सिंह की माँ विद्यावती को बुलाया गया और पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा था।मनोज कुमार ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि कैसे इंदिरा गांधी ने आकर भगत सिंह की माँ के पैर छूए थे।

 

फ़िल्म शहीद की स्क्रीनिंग के लिए दिल्ली में ख़ुद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आए थे।अपने घर पर दावत के दौरान शास्त्री जी ने मनोज कुमार से कहा था कि मेरा एक नारा है जय जवान, जय किसान- मैं चाहता हूँ कि तुम इस पर कोई फ़िल्म बनाओ।

लाल बहादुर शास्त्री की वो बात मनोज कुमार के मन में घर कर गई। सुबह दिल्ली से जब वो ट्रेन में बैठे तो अपने साथ कलम और डायरी लेकर बैठे। ये किस्सा मशहूर है कि जब ट्रेन बॉम्बे सेंट्रल पहुँची तो मनोज कुमार के पास फ़िल्म उपकार की कहानी तैयार थी।

उपकार में मनोज कुमार ने न सिर्फ़ अभिनय किया बल्कि पहली बार निर्देशन भी किया।उपकार के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर की ओर से सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ कहानी और सर्वश्रेष्ठ संवाद लिखने का पुरस्कार मिला और साथ ही राष्ट्रीय पुरस्कार भी।फिल्म शहीद और उपकार का भारतीय जनता पर ऐसा असर हुआ कि सभी मनोज कुमार को देशभक्ति फिल्मों का नायक मानने लगे और उनका नाम भारत कुमार रख दिया।

मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गोस्वामी था।उनके मनोज कुमार बनने का किस्सा भी रोचक है।बचपन में हरिकिशिन ने दिलीप कुमार (1949) की फ़िल्म 'शबनम' देखी थी।उस फ़िल्म में दिलीप कुमार का नाम था मनोज कुमार।बस बचपन से ही उन्हें फ़िल्मों की दुनिया और 'मनोज कुमार' नाम दोनों पसंद आ गए।यानी 12-13 साल की उम्र में ही तय हो गया कि हीरो बनना है और फ़िल्मी नाम होगा मनोज कुमार। मनोज कुमार अभिनेता दिलीप कुमार की प्रेरणा से ही मुंबई आए और उन्होंने फिल्मों में काम करने का मन बनाया।

जब लगातार विफलताओं से हताश होकर अभिनेता अमिताभ बच्चन मुंबई छोड़कर दिल्ली वापस जाने के बारे में सोच रहे थे तब मनोज कुमार ने ही अमिताभ को रोका और अपनी फ़िल्म 'रोटी, कपड़ा और मकान' में मौक़ा दिया।जब लोग अमिताभ को नाकामयाबी की वजह से ताने दे रहे थे, तब भी मनोज कुमार को उन पर पूरा भरोसा था कि अमिताभ बच्चन एक दिन बहुत बड़े स्टार बनेंगे।"

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Actor manoj kumar journey, Manoj Kumar dead, bollywood, entertainment hindi film news,
OUTLOOK 04 April, 2025
Advertisement