आदिल हुसैन - शालीन, सहज-सरल, शानदार अभिनेता
‘आदिल हुसैन’ भारतीय फिल्म उद्योग के बहुमुखी प्रतिभावान, बेहतरीन, सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में एक हैं जो मंच, फिल्मों और टेलीविजन पर सक्रिय हैं। वह अपनेआप में एक संस्थान हैं जो स्वतंत्र, मुख्यधारा और व्यावसायिक फिल्मों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने हिंदी-अंग्रेजी, असमिया-बंगाली, मलयालम-तमिल, मराठी, नॉर्वेजियन-फ़्रेंच फिल्मों में बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने 80 से अधिक फिल्मों और कई इंडो-यूरोपीय आर्ट हाउस सिनेमा परियोजनाओं में अभिनय किया है।
आदिल हुसैन का जन्म असम के गोलपाड़ा में हुआ था। उनके पिता प्रधानाध्यापक थे, माँ गृहिणी थीं और सात भाई-बहनों में वे सबसे छोटे हैं। आदिल ने स्कूल के नाटकों में भाग लिया और 18 साल की उम्र में गुवाहाटी के ‘बी बरुआ’ कॉलेज में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई के लिए चले गए, जहां स्टैंड-अप कॉमेडियन के रूप में अभिनय किया। स्थानीय हास्य अभिनेता समूह, ‘द भाया मामा ग्रुप’ के बतौर संस्थापक सदस्य, अभिनेताओं की नकल करके काफी लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने असम में मोबाइल थिएटर के माध्यम से 6 वर्षों तक राजनीतिक व्यंग्य प्रस्तुत किए। उन्होंने असमिया टीवी फिल्मों, वीडियो फिल्मों, स्ट्रीट और रेडियो नाटकों में अभिनय किया। उनकी शुरुआती असमिया फिल्में ‘सूत्रपात’, ‘पिता-पुत्र’ और ‘भाई-भाई’ थीं। आदिल को 1990-1993 तक ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति मिली। उन्होंने चार्ल्स वालेस इंडिया ट्रस्ट स्कॉलरशिप पर लंदन के ड्रामा स्टूडियो में अध्ययन किया। कुछ समय तक एम्स्टर्डम में इंटरनेशनल डांस थिएटर के साथ काम किया। आदिल ने 1994 में भारत लौटकर एक साल तक असम के मोबाइल ‘हेंगुल थिएटर’ में प्रदर्शन किया। वह स्टेज करियर शुरू करने हेतु दिल्ली गए पर खालिद तैयबजी के अधीन प्रशिक्षण जारी रखा। उन्होंने पुडुचेरी के अरबिंदो आश्रम में स्वपन बोस से और दिल्ली में दिलीप शंकर से प्रशिक्षण प्राप्त किया। आदिल ने मंच पर दर्जनों प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने अभिनय कला पर शोध करते हुए कलाकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह के साथ कर्नाटक में नदी द्वीप पर ढाई साल बिताए। उन्होंने ‘फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट, पुणे’ और ‘ड्रामा स्कूल, एम्स्टर्डम’ में अभिनय सिखाया।
1999 के एडिनबर्ग फिल्म फेस्टिवल के दौरान, रॉयस्टेन एबेल द्वारा निर्देशित नाटक ‘ओथेलो: ए प्ले इन ब्लैक एंड व्हाइट’ प्रदर्शित किया गया था। आदिल ने ‘ओथेलो’ और ‘क्रिस्टन जैन’ ने ‘डेसडेमोना’ की भूमिका निभाई। पटकथा के अनुसार, ओथेलो को डेस्डेमोना को मारना था। लेकिन प्रेम के वशीभूत, आदिल ने ‘डेस्डेमोना’ को मारने के बजाय गले लगा लिया, जिससे ‘क्रिस्टन’ और दर्शक स्तब्ध रह गए, जिसके परिणामस्वरूप पर्दा गिराना पड़ा। इस नाटक ने उन्हें लोकप्रियता, अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा दिलाई और उनका नाटक ‘एडिनबर्ग फ्रिंज फर्स्ट’ से सम्मानित किया गया। आदिल ने रॉयस्टेन एबेल द्वारा निर्देशित अन्य नाटक ‘अलविदा डेसडेमोना’ किया। यूके में ‘द स्कॉट्समैन’ और ‘द इंडिपेंडेंट’ ने उनकी भूमिका की सराहना की। यह नाटक पश्चिमी यूरोप, अफ्रीका और भारत में 10 वर्षों तक प्रदर्शित किया गया। (2007 में आदिल ने क्रिस्टन जैन से शादी की)। आदिल ने 2002-2003 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ट्रस्ट टीवी श्रृंखला ‘जासूस विजय’ में मुख्य भूमिका निभाकर टेलीविजन के माध्यम से प्रसिद्धि हासिल की। 2003 में लघु फिल्म ‘रसिकन रे’ और ‘बटरफ्लाई’ में अभिनय किया। 2004 से 2007 तक, आदिल हम्पी में सोसाइटी फॉर आर्टिस्ट्स एंड परफॉर्मर्स में कलात्मक निर्देशक, प्रशिक्षक थे। वे रॉयल कंज़र्वेटरी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, हेग में विजिटिंग फैकल्टी थे। वे अपनी मातृ संस्था, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में भी अतिथि शिक्षक हैं। 2004 में, आदिल ने बंगाली फिल्म ‘इति श्रीकांत’ में मुख्य भूमिका निभाई। 2009 में फिल्म ‘कमीने’ और ‘फॉर रियल’ में छोटी भूमिकाएं निभाईं। 2010 में, महाश्वेता देवी की कहानी पर आधारित, इटालो स्पिनेली की बंगाली फिल्म ‘गैंगोर’ में उन्होंने ‘उपिन’ की भूमिका निभाई। उन्होंने टीवी फिल्म ‘टकीला नाइट्स’ की। फिल्म ‘इश्किया’ में विद्या बालन के पति, गैंग-लॉर्ड ‘विद्याधर वर्मा/श्याम प्रसाद कुलश्रेष्ठ’ की भूमिका निभाई। 2012 में फिल्म ‘लेसन्स इन फॉरगेटिंग’ में चक्रवात विशेषज्ञ ‘जे.ए. कृष्णमूर्ति’ की भूमिका निभाई। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस फिल्म में उन्हें ‘न्यू जर्सी इंडिपेंडेंट साउथ एशियन सिनेफेस्ट’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।
‘एंग ली’ की 2012 में रिलीज हुई ऑस्कर विजेता फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ में आदिल ने नायक ‘पाई’ के पिता ‘संतोष पटेल’ की भूमिका निभाई। अंग्रेजी उपन्यास पर आधारित कहानी को हिंदी, तमिल-तेलुगु में डब किया गया था। 2012 में उन्होंने ‘इंग्लिश-विंग्लिश’ में अभिनेत्री श्रीदेवी के पति ‘सतीश गोडबोले’ की भूमिका निभाई। इस बहुप्रशंसित फिल्म में उनके शानदार अभिनय के लिए उनकी काफी सराहना हुई। 2012 में मीरा नायर की अंतर्राष्ट्रीय हिंदी/अंग्रेजी फिल्म ‘द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट’ में उन्होंने मुस्लिम कार्यकर्ता मुजाहिदीन ‘मुस्तफा फाजिल’ की भूमिका निभाई। 2012 में उनकी फिल्में ‘एजेंट विनोद’ और ‘बॉम्बे मोस्ट वांटेड’ रिलीज हुईं। 2013 में ‘बॉयज़ तो बॉयज़ हैं’ कॉमेडी में अतिथि भूमिका निभाई। ‘लुटेरा’ में इंस्पेक्टर ‘के.एन.सिंह’ का किरदार और शॉर्ट फिल्म ‘मुनिया’ में मामा का किरदार निभाया।
2014 में आदिल ने चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित राजनीतिक व्यंग्य ‘जेड प्लस’ में ‘असलम पंक्चरवाला’ की शानदार मुख्य भूमिका निभाई। 2014 में पहली असमिया फिल्म ‘राग: द रिदम ऑफ लव’ में ‘इकबाल’ की मुख्य भूमिका निभाने पर उन्हें ‘प्राग सिने अवार्ड्स’ द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। उनकी अन्य असमिया रिलीज़ ‘श्रृंगखाल’ और ‘रोडोर सिथी’ थीं। उन्होंने मराठी फिल्म ‘सनराइज’ में ‘जोशी’ के रूप में डेब्यू किया। उन्होंने हिंदी फिल्म ‘कांची: द अनब्रेकेबल’ में सीबीआई अधिकारी ‘अरुण रॉय’, ‘द एक्सपोज’ में ‘राजन’, ‘अनफ्रीडम’ में ‘देवराज’ और लघु फिल्म ‘वन लास्ट क्वेश्चन’ में ‘देउता’ की भूमिका निभाई। डेनिस टेनोविक की ‘टाइगर्स’ में आदिल ‘बिलाल’ के रूप में दिखाई दिए। ये फिल्म 2014 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गई और 2015 में रिलीज हुई। 2015 में आदिल फिल्म ‘पार्च्ड’ में रहस्यवादी प्रेमी की भूमिका निभाई। फिल्म का प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के स्पेशल प्रेजेंटेशन सेक्शन में हुआ। उन्होंने बंगाली थ्रिलर ‘हर हर ब्योमकेश’ में ज़मींदार ‘दीपनारायण सिंह’ की भूमिका निभाई। ‘मैं और चार्ल्स’ में ‘आमोद कंठ’, ‘जय हो डेमोक्रेसी’ में ‘मेजर बरुआ’, ‘एंग्री इंडियन गॉडेसेस’ में पुलिस अधीक्षक और ‘उमरिका’ में ‘पटेल’ की भूमिका निभाई। हिंदी/पंजाबी फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ में ‘राय बुलर’ की भूमिका निभाई। असमिया फिल्म ‘कोथानोडी’ में ‘देवीनाथ’ का किरदार निभाया। तमिल सिनेमा ‘यात्चन’ में ‘सेल्वम/वेट्री’ की भूमिका निभाई लेकिन आलोचकों की मिश्रित समीक्षाओं के कारण फिल्म फ्लॉप रही। 2015 में बौद्धायन मुखर्जी द्वारा निर्देशित आदिल की ‘द वायलिन प्लेयर’ को 15 सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्मों में शामिल किया गया।
2016 में, शुभाशीष भूटियानी की ‘होटल साल्वेशन/मुक्ति भवन’ में मुख्य अभिनेता ‘राजीव’ के रूप में आदिल का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ माना गया। इस फिल्म को दशक की 25 सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्मों की सूची में शामिल किया गया और 25 से अधिक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। आदिल को भारत में ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ (विशेष जूरी), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ‘जागरण फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड’, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ‘राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। फिल्म को ‘इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड’, ‘एफओआई ऑनलाइन स्पेशल मेंशन अवॉर्ड’ और ‘वाशिंगटन डीसी साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड’ मिला। 2016 में उन्होंने ‘फोर्स 2’ में एचआरडी मंत्री ‘बृजेश वर्मा’, लघु फिल्म ‘चटनी’ में ‘वीरी’, लघु फिल्म ‘आजाद’ में ‘आगा खान’ और अंग्रेजी फिल्म ‘फीस्ट ऑफ वाराणसी’ में ‘अर्जुन’ की भूमिका निभाई। आदिल को असमिया फिल्म ‘माज रति केतेकी’ में ‘प्रियेंदु हजारिका’ की भूमिका के लिए 2017 में ‘भारतीय राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ (विशेष जूरी) से सम्मानित किया गया। उनकी अन्य फिल्में हिंदी में ‘बायस्कोपवाला’, हिंदी-तेलुगु-तमिल में ‘कमांडो 2’ और अंग्रेजी में ‘मंत्र’ थीं। उन्होंने ‘दोबारा: सी योर ईवल’ में ‘एलेक्स मर्चेंट’ की भूमिका निभाई। उन्होंने मलयालम फिल्म ‘नवल एन्ना ज्वेल’ में ‘मुश्ताक’, ‘क्रैश टेस्ट एग्ले’ में ‘शंकर’ और लघु फिल्म ‘द्वारका’ में ‘कान्हा’ की भूमिका निभाई। 2017 में इरम हक की आदिल अभिनीत फिल्म ‘व्हाट विल पीपल से’ ने कई पुरस्कार जीते। आदिल को ‘नॉर्वेजियन कोस्मोरामा ट्रॉनहैम इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड’ और ‘बेस्ट एक्टर’ के लिए नॉर्वेजियन नेशनल अवॉर्ड ‘अमांडा’ मिला। 2018 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता श्रेणी में आदिल की फिल्में कई भाषाओं में रिलीज़ हुईं। ‘अय्यारी’ और ‘नाइन आवर्स इन मुंबई’ हिंदी में थीं। ‘2.0’ हिंदी-तमिल-तेलुगु में थी। ‘अब्यक्तो’, ‘माटी’ और ‘अहरे मोन’ बांग्ला में थीं। ‘लव सोनिया’ हिंदी-अंग्रेजी में थी। 2019 में आदिल की हिंदी-अंग्रेजी फिल्म ‘एक्सोन’ आई। उनकी हिंदी फिल्में ‘कबीर सिंह’, ‘गुड न्यूज’ और ‘बॉम्बेरिया’ थीं। ‘द वेफेयरर्स’ में न्यूनतम लेकिन मार्मिक प्रदर्शन में उन्होंने ग्रामीण भारत में दिहाड़ी मजदूर अनाथ ‘लखुआ’ की भूमिका निभाई। ‘निर्वाण इन’ में नाविक ‘जोगीराज’ की भूमिका निभाई, जो पर्यटकों को असम के नदी द्वीपों में एक पर ले जाता है।
2020 में फिल्म ‘परीक्षा’ में रिक्शा चालक ‘बुच्ची पासवान’ के किरदार में आदिल ने शानदार अभिनय करके उन बुलंदियों को छुआ जहां उनके बेहतरीन अभिनय की तुलना महान अभिनेता बलराज साहनी से की जा सकती है। ‘परीक्षा’ के लिए उन्हें IWM डिजिटल अवार्ड्स द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। उनकी अन्य रिलीज़ ‘लॉर्ड ऑफ़ द ऑर्फ़न्स’ और ‘एवरी 68 मिनट्स’ थीं। 2021 में लघु फिल्म ‘मील’ में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें पुणे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का ‘क्रिटिक्स चॉइस बेस्ट एक्टर अवॉर्ड’ और ‘बेस्ट एक्टर अवॉर्ड’ मिला। 2021 में उन्होंने ‘इंडिया स्वीट्स एंड स्पाइसेस’ कॉमेडी में ‘रंजीत कपूर’, ‘बेल बॉटम’ में ‘संतूक’ और लघु फिल्म ‘टी एंड ए रोज़’ में ‘मिस्टर सेन’ की भूमिका निभाई। 2022 में वेब श्रृंखला ‘मुखबिर: द स्टोरी ऑफ ए स्पाई’ में ‘रामकिशोर नेगी’ की भूमिका निभाई। उन्होंने ‘मैक्स, मिन और मेवज़ाकी’ कॉमेडी में ‘रमेश महादेवन’ की भूमिका निभाई। लघु फिल्म ‘सेविंग चिंटू’ में ‘डॉ.संजय’ की भूमिका निभाई। 2023 में आदिल की असमिया फिल्म ‘डॉ. बेजबरूआ 2’ रिलीज़ हुई। 2023 में उनकी बहुप्रशंसित फिल्म ‘फुटप्रिंट्स ऑन वॉटर’ ने कई पुरस्कार जीते। उनकी नई रिलीज़ आठ एपिसोड की टीवी श्रृंखला ‘टूथ परी’, फिल्म ‘सार्जेंट’ और नवीनतम फिल्म ‘एक बेतुके आदमी की अफ़रा रातें’ हैं।
2022 में आदिल पीरो स्पेस द्वारा आयोजित ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मेटावर्स कार्यक्रम में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले पहले व्यक्तित्व बने। आदिल ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कारों के लिए नामांकित होकर कई सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीते। उन्हें न्यूज़ लाइव टीवी चैनल द्वारा ‘बेस्ट असमिया पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड - 2015’ मिला जिससे उनके गृह राज्य असम के लोग अत्यधिक गौरवान्वित हुए। वैश्विक सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें लंदन इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का ‘आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड - 2020’ मिला। उन्हें प्राग टेलीविजन चैनल द्वारा ‘ग्लोबल आइकन अवार्ड 2021’ से सम्मानित किया गया। 2021 में उन्हें प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान कथा श्रृंखला ‘स्टार ट्रेक’ में ‘लेफ्टिनेंट आदित्य साहिल’ के रूप में उनकी भूमिका के लिए स्टार ट्रेक वैश्विक प्रशंसकों से अभूतपूर्व प्रशंसा मिली। 2022 में उन्होंने ‘दिल्ली क्राइम’ वेब सीरीज़ में मुख्य अभिनेताओं में एक ‘सीपी कुमार विजय’ की भूमिका निभाई। ‘दिल्ली क्राइम’ अंतर्राष्ट्रीय एमी पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला भारतीय प्रोडक्शन था। आदिल बेहद प्रतिभाशाली, अपार संभावनाओं के धनी अभिनेता हैं जो पुरस्कार विजेता फिल्मों में समीक्षकों द्वारा प्रशंसित अभिनय के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं। उनकी फिल्मों में बिल्कुल अलग भूमिकाओं ने वैश्विक स्तर पर उनकी बहुमुखी प्रतिभा को साबित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। अपनी संवेदनशील प्रकृति और परिष्कृत, परिमार्जित रूचि से श्रेष्ठ फिल्मों का चयन करने के कारण ही वे अत्यंत प्रसिद्ध, बेहद लोकप्रिय, सफल अभिनेता हैं। वे बहुत विनम्र, सहज-सरल, ज़मीन से जुड़े व्यक्ति हैं जिनमें अहंकार की लेशमात्र भावना नहीं। सफलता उनके सर पर नहीं चढ़ी है। आदिल के यही गुण उन्हें सर्वाधिक प्रिय, प्रशंसित, जीवित किंवदंती बनाते हैं।