अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन किरदार
जंजीर (1973)
निर्माता-निर्देशक प्रकाश मेहरा की फिल्म। सलीम-जावेद का लेखन। इस फिल्म से अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन छवि स्थापित हुई। अमिताभ बच्चन के अलावा जया बच्चन, प्राण, ओम प्रकाश, अजीत, इफ्तिखार ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। फिल्म का मुख्य किरदार विजय अपने माता-पिता की हत्या के बाद असामान्य बचपन गुजारता है। माता-पिता के हत्यारे की तलाश उसे पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर बनाती है और उसका सामना शेर खान से होता है।
दीवार (1975)
निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म। सलीम-जावेद का लेखन। मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, नीतू सिंह, परवीन बाबी, निरूपा रॉय ने निभाई। पिता के साथ हुए अपमान के कारण विजय अपने जीवन में ऐसी राह पकड़ता है जो जेल की सलाखों तक जाती है। विजय को जेल तक पहुंचाने का जिम्मा विजय के ही छोटे भाई रवि को मिलता है। विजय और रवि के आमने-सामने आने से मां सुमित्रा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है।
त्रिशूल (1978)
निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म। सलीम-जावेद का लेखन। मुख्य भूमिका में अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, वहीदा रहमान, राखी, शशि कपूर नजर आए। मुख्य किरदार राज कुमार गुप्ता एक अमीर औरत से शादी करने के लिए अपने प्यार शांति को बीच मझधार में छोड़ देता है। शांति को राज कुमार गुप्ता से एक बेटा होता है, जिसका नाम विजय होता है। विजय अपनी मां शांति की मौत के बाद राज कुमार गुप्ता से हर नाइंसाफी का बदला लेने का प्रयास करता है।
काला पत्थर (1979)
निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म। सलीम-जावेद का लेखन। मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, राखी, संजीव कुमार, नीतू सिंह, परवीन बाबी, शत्रुघ्न सिन्हा ने निभाई। एक कायराना हरकत के कारण फिल्म के मुख्य किरदार विजय को समाज द्वारा तिरस्कृत कर दिया जाता है। विजय नई जिंदगी शुरू करने की इच्छा से कोयले की खदान में काम करना शुरू करता है। अचानक आई बाढ़ में विजय अपने साथियों के साथ कोयले की खदान में फंस जाता है।
अग्निपथ (1990)
निर्देशक मुकुल आनंद की फिल्म। कादर खान और संतोष सरोज का लेखन। मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, डैनी डेन्जोंगपा, माधवी, नीलम ने निभाई। मुख्य किरदार विजय के पिता की हत्या कांचा चीना करता है और विजय अपनी मां के साथ संघर्षपूर्ण जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। विजय का एक लक्ष्य होता है और वह है कांचा चीना से बदला। इस बदले की आग में विजय दिन-रात जलता है और अग्निपथ पर चलता है।
कालिया (1981)
निर्देशक टीनू आनंद की फिल्म। टीनू आनंद और इंदर राज आनंद का लेखन। मुख्य भूमिका में अमिताभ बच्चन, कादर खान, आशा पारेख, अमजद खान, परवीन बाबी, प्राण नजर आए। मुख्य किरदार कल्लू खलनायक साहनी सेठ से अपने बड़े भाई के साथ हुए जुल्म का बदला लेने के लिए जुर्म की दुनिया में कदम रखता है और कालिया बनता है। बदले की आग में कालिया जुर्म के दलदल में धंसता जाता है।
मिली (1975)
निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म। राही मासूम रजा का लेखन। मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अशोक कुमार, असरानी, परीक्षित साहनी, अरुणा ईरानी ने निभाई। मुख्य किरदार शेखर, जो डिप्रेशन के कारण गुस्सैल शख्सियत का मालिक होता है और शराब को अपना सहारा मानता है, उसकी जब मिली नामक लड़की से जान-पहचान होती है तो जीवन रूपांतरित हो जाता है। सुख का यह क्षण तब निराशा में बदल जाता है जब मिली को लाइलाज बीमारी घेर लेती है। इस बीमारी के संघर्ष में शेखर जीवन के नए अर्थ समझता है।