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09 January 2023

जब कार के पास खड़ी लड़की को अनुराग कश्यप ने म्यूजिक डायरेक्टर बनाया

हिन्दी सिनेमा एक जादुई दुनिया है। यहां ऐसे हजारों किस्से, कहानियां हैं, जो इस बात को पुख्ता करती हैं कि हिन्दी सिनेमा में नसीब बहुत मायने रखता है। कोई एक कलाकार मौका पाकर रातों रात स्टार बन जाता है और कहीं दूसरे कलाकार की स्टारडम एक झटके में खत्म हो जाती है। इतना उतार चढ़ाव, उठा पटक और अनिश्चितता शायद ही किसी और फील्ड में देखने को मिलेगी। जो गायक, जो अभिनेता, जो संगीत, जो निर्देशक सबको रिलीवेंट लगता है, वह कुछ दिनों में खारिज कर दिया जाता है और उसे पूजने वाले ही उसे आउट ऑफ फैशन कह के हाशिए पर धकेल देते हैं। इस जादू के कई उदाहरण देखे जा सकते हैं। 

 

एक दिन की बात है। अनुराग कश्यप अपने ऑफिस जाने के लिए निकले तो उन्होंने देखा कि एक लड़की उनकी गाड़ी के पास खड़ी है। लड़की ने अनुराग कश्यप को देखकर अपना नाम बताया और कहा कि उन्हें अनुराग के दोस्त मकरंद ने भेजा है। जैसे ही लड़की ने मकरंद का नाम लिया, अनुराग कश्यप को याद आ गया कि उनके मित्र ने उनसे किसी उभरती हुई गायिका के विषय में बात की थी। अनुराग चूंकि अपने ऑफिस की तरफ़ जा रहे थे तो उन्होंने लड़की से कहा कि वह उनके साथ चले और रास्ते में अपना गाना सुनाए। इस तरह अनुराग कश्यप और वह लड़की गाड़ी में सवार होकर अनुराग कश्यप के ऑफिस की तरफ़ निकल पड़े। 

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रास्ते में अनुराग कश्यप ने लड़की से गाना सुनाने के लिए कहा। लड़की ने गाना सुनाया तो अनुराग बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने जब गीत के बारे में लड़की से पूछा तो लड़की ने जवाब दिया कि गीत उसकी ही कंपोजिशन है। अनुराग कश्यप को लड़की का गायन और संगीत पसंद आया था। उन्हें एक पल को यह यकीन नहीं हुआ कि यह लड़की, इतनी शानदार धुन बना सकती है। फिर अनुराग कश्यप को याद आया कि इस लड़की के गाने और संगीत प्रतिभा की प्रशंसा उनके मित्र मकरंद देशपांडे ने की थी। देश के काबिल अभिनेता और रंगकर्मी मकरंद देशपांडे यदि किसी की प्रशंसा करें तो वह व्यक्ति सच में गुणी होता है। 

 

अनुराग कश्यप को लड़की की प्रतिभा ने बहुत प्रभावित किया था। वह उसे अपने साथ ऑफिस ले आए और ऑफिस में लड़की को एक कागज थमाते हुए बोले "क्या तुम इसका गाना बना सकती हो?" अनुराग कश्यप की बात सुनकर लड़की चौंक गई। उसे समझ ही नहीं आया कि अनुराग कश्यप ने उसे संगीत बनाने के लिए कहा है। अनुराग कश्यप लड़की की स्थिति समझ गए। उन्होंने लड़की को समझाते हुए कहा कि वह अपनी फिल्म "मुक्काबाज" की तैयारी कर रहे हैं। इस फिल्म के लिए अभी उन्हें संगीतकार की तलाश है। चूंकि उन्हें लड़की का गायन पसंद आया है तो वह उसे एक मौका देना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि लड़की हिंदी के मशहूर कवि सुनील जोगी की रचना को धुन में पिरोकर एक फिल्मी गाने की शक्ल दे। अनुराग कश्यप कवि सुनील जोगी के बड़े प्रशंसक थे और यही कारण है कि उन्होंने सुनील जोगी की मशहूर रचना "मुश्किल है अपना मेल प्रिये" को अपनी फिल्म में बतौर गीत शामिल करने का निर्णय लिया। 

अनुराग कश्यप की बात सुनकर लड़की खुशी से झूम उठी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि अनुराग ने संगीत देने की पेशकश की थी। लड़की ने शिद्दत के साथ संगीत निर्माण की प्रक्रिया शुरु की और संगीत बनाकर अनुराग कश्यप के सामने गीत पेश किया। गीत सीधा अनुराग कश्यप के दिल में उतर गया और उन्होंने बिना किसी देरी के लड़की को अपनी फिल्म "मुक्काबाज" की म्यूजिक डायरेक्टर के रुप में साइन कर लिया। इस लड़की का नाम था रचिता अरोड़ा, जो कल तक गुमनाम और संघर्षरत थी। एक मुलाकात और कार के सफ़र ने उसकी जिंदगी बदल दी थी। अनुराग कश्यप हिंदी सिनेमा के ऐसे निर्देशक हैं, जिन्होंने महिला कलाकारों को बहुत सहयोग किया है। रचिता अरोड़ा के साथ साथ, स्नेहा खानविलकर को भी अनुराग कश्यप ने फिल्म "गैंग्स ऑफ वासेपुर" में बड़ा अवसर दिया, जिससे स्नेहा को पहचान मिली। इससे पहले स्नेहा भेजा फ्राई 2, लव सेक्स और धोखा जैसी फिल्में कर चुकी थीं। मगर गैंग्स ऑफ वासेपुर ने उन्हें हिन्दी सिनेमा जगत में जायज मुकाम दिलाया। 

 

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TAGS: Anurag kashyap, Bollywood, Hindi cinema, Entertainment Hindi films news, Indian films, Hindi film industry,
OUTLOOK 09 January, 2023
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