अब आई वजनदार की बारी
बॉलीवुड का ठुमका बड़ा महंगा होता है। एक ठुमके पर बॉक्स ऑफिस यहां से वहां हो जाता है। बस इस ठुमके की एक ही शर्त है, कमरिया... लहराती हुई कमरिया। इस पतली इकहरी कमरिया ने कई लड़कियों की फिल्मी दुनिया में आने की हसरत तोड़ दी है। जिसकी हड्डियों पर भी थोड़ा सा मांस चढ़ गया वह तो बिना कहे ही भाभी, दीदी या वही पतली कमरिया की छोरी की सहेली ही बनेगी परदे पर। फिल्मी दुनिया का यही दस्तूर है। पर शायद अब हम कह सकते हैं, था। क्योंकि भूमि पेडऩेकर ने उस परंपरा को तोड़ दिया है, जिसमें कमनीय काया पहली शर्त थी। दम लगा के हइशा जब रीलिज हुई तो मोटी ताजी भूमि को देख कर किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसी वजनी लडक़ी फिल्म की नायिका हो सकती है। उस भूमिका के लिए किसी दूसरी लडक़ी को भी रखा जा सकता था। लेकिन एक मध्यमवर्गीय परिवार की लडक़ी के तौर पर भूमि ने इतना सधा हुआ और वास्तविक अभिनय किया कि उनकी भारी काया अभिनय पर भारी पड़ गई। वैसे दुबले रहने के दीवानेपन में करीना कपूर का नाम तो स्वर्णाक्षरों में लिखा जाना चाहिए जिसने, 'साइज जीरो’ के पागलपन से पूरी एक पीढ़ी को पगलाए रखा।
साइज जीरो की इस होड़ में करीना अकेली नहीं थी। कैटरीना कैफ और ऐश्वर्या रॉय भी अपनी काया सुखा कर नायिका होने की शर्त पूरी करती रहीं। फिल्मी दुनिया में व्यक्तित्व कितना भी वजनदार हो, वजन कम होना अनिवार्य शर्त कब बन गई पता ही नहीं चला। हां नायक तो थोड़े बहुत खाते-पीते हो सकते थे, पर शाहरूख खान ने सिक्स पैक बना कर जब खुद को छुहारा बना लिया तो लडक़े भी सन्नी बाबा की तरह डोले-शोले बनाने के बजाय पिचके गालों के साथ फूली हुई पसलियां दिखाने लगे। ऐसा नहीं थिा कि मोटी लड़कियों के लिए पहते पर प्रतिबंध ही था। भारी काया के लिए एक से एक हास्य भूमिकाएं लिखी गईं। मनोरमा देवी से लेकर टुनटुन तक ने इन्हें बखूबी निभाया। टुनटुन के परदे पर आते ही दर्शक हंसने लगते थे। संवाद तो वह बाद में बोलती, दर्शकों को गुदगुदी पहले होने लगती थी। आखिर हंसने के लिए भारी काया से बड़ा चुटकुला और क्या हो सकता है। कमनीय काया लड़कियों के लिए फिल्म उद्योग में सबसे बड़ी संपदा मानी जाती है। फिर धीरे से टेलीविजन पर एक लडक़ी आई भारती सिंह। मध्यम वर्गीय परिवार की बातूनी भारती ने देखते ही देखते टेलीविजन के कई कार्यक्रमों में वर्चस्व बना लिया। हास्य के कार्यक्रम हों या नृत्य के कार्यक्रम, भारती का दिखना लगभग अनिवार्य हो गया। हास्य की दुनिया में जिसे 'सही टाइमिंग’ कहा जाता है वह भारती के पास है। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारती का वजन क्या है। वह टीवी की वजनदार शख्सियों में शामिल हो चुकी है।
संजीव कुमार में वह लडक़पन नहीं था फिर भी वह खूब चले। लेकिन दर्शकों ने खुद को कैद कर रखा था या फिर निर्माता-निर्देशकों लगता था कि हीरोपंती के लिए तो लडक़ा ही होना जरूरी है। लेकिन जब टेलीविजन पर राम कपूर बड़े अच्छे लगते हैं में रोमांस करते नजर आए तो उम्रदराज छोडि़ए, नई उमर की बालाएं भी राम कपूर पर फिदा हो गईं। राम कपूर का प्रेम बहते हुए दरिया की तरह था। गोया इसमें हर लडक़ी डूब जाना चाहती थी। उनकी सौम्यता और परिवार के प्रति समर्पण ने जैसे उनके शरीर को देखने ही नहीं दिया। लेकिन फिल्म के परदे पर अभी भी वह परंपरा टूटनी बाकी थी। जिसे भूमि पेडऩेकर ने न सिर्फ तोड़ा बल्कि उसे स्थापित भी कर दिया। भूमि का मुख्य भूमिका में आना कहीं न कहीं दर्शाता है कि वजन को लेकर सिनेमा अपनी परंपराएं तोड़ रहा है। इससे पहले विद्या बालन और सोनाक्षी सिन्हा ने इस दरवाजे पर दस्तक जरूर दी थी। इस दस्तक से यह फर्क पड़ा कि नायिकाओं के लिए भी अभिनय की कसौटी पर काम होने लगा। विद्या बालन ने अपने अभिनय का जलवा ऐसा बिखेरा कि दर्शक भूल गए कि उनका वजन परंपरागत नायिकाओं से कुछ ज्यादा है। लेकिन भूमि और उनकी तुलना इसलिए नहीं कि विद्या ने परिणिता के बाद सबसे बड़ी सफलता डर्टी पिक्चर से हासिल की जो ग्लैमर के मसाले से भरपूर थी। इसमें उनकी त्वचा भी कुछ ज्यादा ही दिखी। सोनाक्षी सिन्हा ने भी दबंग खान के साथ फिल्मों की शुरुआत की। इससे फर्क तो पड़ता ही है कि किसी नवोदित नायिका का नायक कौन था। और यह नायक यदि सल्लू भाई हो तो कहना ही क्या। ऐसे में भूमि की सफलता इसलिए बड़ी है क्योंकि यह नितांत साधारण पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है और इसमें भूमि ने एक घरेलू महिला की भूमिका निभाई है।
यह भारतीय सिनेमा में रुपहले परदे का कायांतरण है जो धीरे-धीरे ही सही लेकिन बदल रहा है। एक भूखी राजकुमारी की कहानी जिसमें वह खाने से डरती है क्योंकि कहीं उसका वजन न बढ़ जाए से नायिकाएं शायद अब आजाद हो पाएंगी। हमारी राजकुमारियां भी मन मारने के बजाय पेट भरना ज्यादा पसंद करेंगी।
कुछ भारतीय 'वजनदार’ व्यक्त्वि
1. फरहा खान
प्रसिद्ध कोरियोग्राफर। जब वह नाचती हैं तो जमाना नाचता है।
2. गणेश आचार्य
यह भी सितारों को नचाते ही हैं लेकिन इन्हें अगर कोई देख ले तो इस बात पर यकीन करना मुश्किल होगा।
3. विद्या बालन
अपने वजन के बजाय वह हमेशा अपने अभिनय को लेकर चर्चा में रहती हैं।
4. सोनाक्षी सिन्हा
क्या फर्क पड़ता है कि वह साइज जीरो नहीं है। दबंग गर्ल किसी की परवाह नहीं करती।
5. देलनाज इरानी
टीवी पर लोगों को हंसाने वाली एक और हस्ती। वह कहती हैं, ओवर साइज कपड़ों का विज्ञापन भी करना चाहिए। फिट नहीं तो क्या हम लोगों के पास 'फैट’ तो है।
इन लोगों की कतार लंबी है, अदनान सामी, बप्पी लाहिड़ी, उषा उथुप, हुमा खान, किरण खेर, गीता कपूर।