जन्मदिन विशेष: 51 रुपये से शुरु हुआ था गजल सम्राट पंकज उधास का सफर
गजल सम्राट पंकज महज सात साल की उम्र से ही गाना गाने लगे थे। उनके इस शौक को उनके बड़े भाई मनहर ने पहचाना और उन्हें इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। मनहर अक्सर संगीत से जुड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने पंकज को भी अपने साथ शामिल कर लिया।
‘चिठ्ठी आई है' गाने से मिली लोकप्रियता
तलत अजीज़ और जगजीत सिंह जैसे दिग्गज ग़ज़ल गायकों के साथ ग़ज़ल को लोकप्रिय बनाने वाले पंकज उधास को फ़िल्म 'नाम' (1986) के गीत ‘चिठ्ठी आई..'गाने से अपार लोकप्रियता मिली। उसके बाद से उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए अपनी मखमली आवाज दी है। इसके अलावा उन्होंने कई एल्बम भी रिकॉर्ड किए हैं।
पहली स्टेज परफॉर्मेंस पर मिले थे 51 रुपये
साल 1962 में, जब चीन-भारत के बीच जंग छिड़ी हुई थी। इस दौरान एक स्टेज प्रोग्राम में पंकज उधास को गाने का मौका मिला। 11 साल के पंकज ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों..'गाना गाया था। इस गाने के बदले इनाम के तौर पर उन्हें 51 रुपए मिले थे। उन्होंने 1996 में आई फिल्म 'नाम' में एक गजल 'चिट्ठी आई आई है...' गाकर खूब प्रसिद्धि पाई थी। उन्होंने कई फिल्मों में भी गाने गाए हैं। उन्होंने 'न कजरे की धार...' (फिल्म 'मोहरा', 1994), 'छुपाना भी नहीं आता...' (फिल्म 'बाजीगर', 1993), 'जिये तो जिये कैसे बिन आपके...' (फिल्म 'साजन', 1991), 'दिल देता है रो रो दुहाई...' (फिल्म 'फिर तेरी कहानी याद आई', 1993) सहित अन्य गानों को अपनी आवाज दी है। उन्होंने अभी तक करीब 40 एल्बम निकाले हैं।
संत जेवियर्स कॉलेज से ली शिक्षा
इस बीच वह राजकोट की संगीत नाट्य अकादमी से जुड़ गए और तबला बजाना सीखने लगे। कुछ साल के बाद पंकज उधास का परिवार बेहतर जिंदगी की तलाश में मुंबई आ गया। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई मुंबई के मशहूर संत जेवियर्स कॉलेज से हासिल की। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई करने के लिए दाखिला ले लिया लेकिन बाद में उनकी रुचि संगीत की ओर हो गई और उन्होंने उस्ताद नवरंग जी से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी।
टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाया गाना
पंकज उधास की सिने करियर की शुरुआत 1972 में प्रदर्शित फिल्म कामना से हुई लेकिन कमजोर कहानी और निर्देशन के कारण फिल्म बुरी तरह असफल साबित हुई। इसके बाद गजल गायक बनने के उद्देश्य से उन्होंने उर्दू की तालीम हासिल करनी शुरू कर दी। पंकज उधास ने लगभग दस महीने तक टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाना गाया।
लव लाइफ फिल्मी कहानी जैसी
भारतीय संगीत को एक नई ऊंचाई देने वाले पंकज उधास की लव लाइफ भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 70 के दशक की बात है जब पंकज ने फरीदा, जो अब उनकी वाइफ हैं को पहली बार अपने पड़ोसी के घर में देखा था। पड़ोसी ने ही पंकज और फरीदा की मुलाकात करवाई थी। उस दौरान पंकज ग्रैजुएशन कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं। दोनों में दोस्ती हुई और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया। कुछ ही महीनों में दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए थे।
पंकज का परिवार दोनों के रिश्ते के लिए राजी था जबकि फरीदा के परिवार वाले इस रिश्ते से नाखुश थे। चूंकि फरीदा पारसी कम्युनिटी से थी, यही वजह थी कि उनकी कम्युनिटी में जाति से बाहर शादी करने पर पांबदी थी। लेकिन पंकज और फरीदा ने तय किया कि शादी तभी करेंगे, जब दोनों परिवारों का आशीर्वाद मिलेगा।
पंकज अपने तीनों भाईयों में सबसे छोटे हैं। उनके सबसे बड़े भाई मनहर उधास, जिन्होंने बॉलीवुड में हिंदी पार्श्व गायक के रूप में कुछ सफलता प्राप्त की थी। उनके दूसरे बड़े भाई निर्मल उधास भी प्रसिद्ध गजल गायक हैं। इसलिए पंकज का रुझान भी संगीत में ही था। उन्होंने गजल गायिकी की दुनिया में कदम रखा और 1980 में अपना पहला एल्बम 'आहट' नाम से निकाला। पहला एल्बम लॉन्च होते ही उन्हें बॉलीवुड से कई ऑफर मिलने लगे। उन्होंने 1981 में उनका एल्बम 'तरन्नुम' और 1982 में 'महफिल' लॉन्च किया।
तीन एल्बम लॉन्च होने के बाद पंकज गायिकी की दुनिया में काफी मशहूर हो गए। इसी दौरान उन्होंने फरीदा के पिता से मुलाकात की। फरीदा के पिता रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे। इस मुलाकात के दौरान फरीदा के पिता ने उनसे कहा, यदि आप दोनों को ऐसा लगता है कि आप एक-साथ खुश रहेंगे तो आगे बढ़ें और शादी करें। परिवार के इस फैसले के बाद पंकज और फरीदा ने 11 फरवरी, 1982 को शादी की। दोनों की दो बेटियां हैं नायाब और रेवा।