बाघ के शिकार पर बनी फिल्म ‘आखेट’ को मिली सेंसर बोर्ड की मंजूरी
बाघ के शिकार कथानक पर बनी फिल्म ‘आखेट’ को सेंसर बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है। दुनिया में लगातार लुप्त होती बाघ की प्रजाति और हाल के अवनि टी1 बाघिन की मौत के मामले के बीच फिल्म को सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिलना अहम माना जा रहा है।
1900-10 की अवधि में जहां एक लाख बाघ थे लेकिन यह संख्या अब घटकर 2800 रह गई। पिछले सप्ताह अवनि टी1 बाघिन का की मौत का मामला भी सुर्खियों में हैं। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और दुनियाभर के वन्य संरक्षण से जुड़ी संस्थाएं खुला विरोध जता चुकी हैं।
मुंबई के लेखक-निर्देशक रवि बुले की यह पहली फिल्म है। फिल्म ‘आखेट’ एक पुराने रसूखदार-रईस परिवार के व्यक्ति नेपाल सिंह की कहानी है, जिसके अमीर पुरखों ने सैकड़ों बाघों का शिकार किया था। नेपाल सिंह को दुख है कि शिकारियों के खानदान में पैदा होने के बाजवूद वह आज तक बाघ का शिकार नहीं कर पाया। वह एक दिन बाघ के शिकार का फैसला करता है और जंगल की तरफ निकल पड़ता है
फिल्म में कई रोचक तथ्यों को किया गया है पेश
लेखक रवि बुले ने बताया कि ‘आखेट’ बाघ के शिकार और इसके पेशे से जुड़े लोगों की जिंदगी के रहस्यों से पर्दे उठाती है तथा शिकार को खेल समझने वाले लोगों की मानसिकता को भी सामने लाती है। आखिर में फिल्म कई रोचक तथ्यों के साथ एक सकारात्मक संदेश भी देती है। फिल्म में शिकार की बात पर बुले का कहना है कि यह फिल्म देखकर ही पता चलेगा लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे जरूर मंजूरी दे दी है। उनका कहना है कि फिल्म में जंगल, वनस्पति और बाघ के साथ मनुष्य के रिश्ते को नए नजरिये से दिखाने का प्रयास किया गया है।
पलामू के जंगलों में की गई है शूटिंग
फिल्म का निर्माण आशुतोष पाठक ने किया है तथा शूटिंग इस साल मार्च में झारखंड के पलामू स्थित घने जंगलों में की गई। फिल्म कोलकाता में रहने वाले हिंदी के चर्चित युवा लेखक कुणाल सिंह की कहानी आखेटक पर आधारित है। एपी मूव्हीटोन्स बैनर तले बनी फिल्म में आशुतोष पाठक, नरोत्तम बेन और तनिमा भट्टाचार्य मुख्य भूमिकाओं में हैं। संगीत डा विजय कपूर ने दिया है और गीत डा अनुपम ओझा ने लिखे हैं।