अभिनेत्री आशा पारेख को दिया जाने वाला दादा साहब फाल्के पुरस्कार है बेहद खास
हिन्दी सिनेमा की सफल अभिनेत्री आशा पारेख को हिन्दी सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सन 2020 के दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस बात की जानकारी केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। दादा साहब फाल्के से पहले आशा पारेख 1992 में पद्मश्री से सम्मानित हो चुकी हैं। आशा पारेख ने अपने फिल्मी करियर में "कटी पतंग", "दो बदन", "आन मिलो सजना", "तीसरी मंजिल", "दिल देके देखो" जैसी कई कामयाब फिल्मों में काम किया है।
यह पुरस्कार कई मायनों में खास है। सबसे खास बात यह है कि आशा नेगी आगामी 2 अक्टूबर 2022 को अपने जीवन के 80वें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। ऐसे में उनके जन्मदिन के पहले, उन्हें दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित करना बेहद खास है। इस साल राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह 30 सितंबर 2022 को आयोजित किया जा रहा है।
37सालों में आशा पारेख पहली अभिनेत्री हैं, जिन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल रहा है। उनके पहले साल 1983 के लिए अभिनेत्री दुर्गा खोटे को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाज की तरह ही दादा साहब फाल्के पुरस्कार पर भी पुरुषों का वर्चस्व रहा है।
दादा साहब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत सन 1969 में अभिनेत्री देविका रानी के साथ हुई थी, जब 1970 में 17 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में देविका को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 2000 के लिए आशा भोसले को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
आशा पारेख ने अपने फिल्मी करियर में हिंदी भाषा के साथ साथ पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है। आशा पारेख साल 1998 से 2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की अध्यक्ष भी रही हैं। फिलहाल अमरीका में रह रहीं आशा पारेख, 29 सितंबर को मुंबई पहुँच जाएंगी और फिर दिल्ली में दादा साहब फाल्के पुरस्कार लेने के लिए उपस्थित रहेंगी।