26 September 2016
गांधीगिरी में दादागिरी
इस बारे में सनोज का कहना है कि सारा मामला पैसों का है। निर्माता ने मुझे पूरा मेहनताना तक नहीं दिया जबकि मैं इस पर भी राजी था कि फिल्म रिलीज होने के बाद जो पैसा आए, उसमें से मुझे मेरी फीस दे दी जाए। लेकिन निर्माताओं ने दादागिरी दिखाते हुए मेरा नाम ही हटा दिया। सनोज बताते हैं कि इस फिल्म को बनाने का ऐलान उन्होंने 2006 में अपनी पहली भोजपुरी फिल्म बनाने के बाद ही कर दिया था। सनोज अपनी बरसों की मेहनत को यूं बेकार जाता देख कर दुखी और चिंतित हैं और कहते हैं कि अब मेरे पास सिवाय कोर्ट में जाने के और कोई रास्ता नहीं बचा है।