समीक्षा - एबीसीडी-2
पूरी फिल्म में डांस होगा यह तो नाम से ही लग जाता है। एबीसीडी यानी एनी बडी कैन डांस के सीक्वेल में इस बार वरुण धवन और श्रद्धा कपूर हैं। मुंबई के नालसोपारा इलाके के कुछ लड़कों ने एक डांस ग्रुप बनाया था और टेलीविजन के एक रीयलिटी शो में हिस्सा ले कर देश में खूब नाम कमाया था। इस फिल्म की कहानी उन्हीं लड़कों से प्रेरणा ले कर बनाई गई है।
फिल्म में नृत्य गुरु मां का बेटा अपना एक ग्रुप बनाता है, जिसमें वेटर, बार टेंडर, पिज्जा डिलीवरी बॉय, ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली एक लड़की जैसे ही लोग हैं और उन सब का शौक से बढ़कर जुनून एक ही है, डांस। एक बड़े रिलयलिटी शो में फाइनल तक पहुंच कर उन पर विदेश के किसी डांस समूह की नकल का आरोप लगता है और यह ग्रुप बदनाम हो जाता है। इस बदनामी के दाग को धोने का एक ही उपाय है, लास वेगास में हो रहे अंतरराष्ट्रीय हिप हॉप प्रतियोगिता को जीतना। यह फिल्म उसी लक्ष्य का पीछा करते-करते ढाई घंटे तक चलती है।
रेमो डिसूजा अच्छे डांसर हो सकते हैं और अच्छा नाचने वाले की लय-ताल में निर्देशकीय कुशलता भी हो यह जरूरी नहीं है। अभिनय के लिए इस फिल्म में कोई खास गुंजाइश तो थी नहीं इसलिए अभिनय जैसा इस फिल्म में कुछ नहीं है। रही बात डांस की तो कुछ अच्छे स्टैप्स तो आपको देखने को मिलेंगे ही।
जब पूरी ही फिल्म डांस पर आधारित थी तो निर्देशक को नायक-नायिका के लिए अलग से नृत्य गीत रखने से बचा जा सकता था। इससे नृत्य का ओवरडोज हो गया है। थ्रीडी की वजह से कुछ दृश्य बहुत असरकारी बन गए है। बच्चे हो सकता है इस फिल्म को पसंद करें। कई बार तो फिल्म देखते-देखते लगता है आप टीवी के किसी रियलिटी शो को बड़े परदे पर देख रहे हैं। कुल मिलाकर यह औसत किस्म की फिल्म है जिसे बच्चों के साथ देखें तो शायद आप भी इस फिल्म का मजा ले सकें।