आखिर क्यों देखनी चाहिए बाहुबली, 5 वजहें
बाहुबली फिल्म में आखिर ऐसा क्या है जिसे लंदन के प्रतिष्ठित अखबार द गार्जियन ने पांच में से चार स्टार दिए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस फिल्म को 3.5 स्टार आंका है। आपको लग रहा होगा कि कहीं ये रेटिंग गलती से तो नहीं हो गई।
तो जवाब है बिलकुल नहीं। एसएस राजमौली की फिल्म बाहुबली हर लिहाज से खुद को एक बड़ी फिल्म साबित करती है। इस फिल्म का बजट बड़ा है। फिल्म के हीरोज़ बड़े हैं। फिल्म के सेट्स भव्य हैं। फिल्म में फाइटिंग के दृश्यों की भयावहता बड़ी है। और फिल्म का एकालाप यानी खुद से बातचीत इतनी देर तक चलती है कि आपको लगेगा कि दो या उससे अधिक लोग आपस में बातें कर रहे हैं और गलती से उन्हें लगता है कि ये फिल्म के डायलॉग हैं। तेलगु फिल्मों से हिंदी क्षेत्र के लोग आमतौर पर ऐसी उम्मीद नहीं करते। फिर जब फिल्मों की समीक्षा करनेवाले दो बड़े दिग्गज राजीव मसंद और शुभ्रा गुप्ता भी बाहुबली को पांच में से चार स्टार दें और दोनी ही ये कहें कि-“ मैं फिल्म के दूसरे भाग का बेसब्री से इंतजार करने से खुद को रोक नहीं सकता जो अगले वर्ष 2016 में सिनेमाघरों में पहुंचेगी ”। आप समझ सकते हैं कि ये फिल्म सचमुच कितनी बड़ी है।
किसी भी फिल्म को उसकी मौलिक भाषा में देखने में जितना आनंद आता है उतना अनूदित भाषा में नहीं। तेलगु में इस फिल्म को देखने का मजा ही कुछ और है जबकि बड़ी तादाद में लोग हिंदी में डब किए गए संस्करण को देख रहे हैं।
- वास्तव में ये फिल्म सलमान खान, अक्षय खन्ना, अजय देवगन की उन फिल्मों से कई गुना बेहतर है, जो कि तेलगु और तमिल फिल्मों की ही रीमेक होती हैं। तो उन फिल्मों की बेहूदा रीमेक देखने से बहुत अच्छा है कि एक बेहतर मौलिक फिल्म देखी जाए।
- अमर चित्रकथा कॉमिक्स पढ़कर बड़ी हुई पीढ़ी अब सिनेमाघरों में नहीं दिखायी देती। मल्टीप्लेक्स में फिल्में देखने आ रहे लोग पॉपकॉर्न और पेप्सी पर तो खूब पैसे खर्च करते ही हैं, काल्पनिक और पौराणिक फिल्मों पर भी पैसे खर्च करने से उन्हें गुरेज नहीं है।
- शंकर की एक के बाद एक फ्लॉप फिल्मों के बाद दक्षिण भारतीय सिनेमा एक नए सुपरस्टार निर्देशक के लिए तरस रहा है। 200 करोड़ रुपये के बजट वाली बाहुबली फिल्म बनाकर राजमौली ने उस जगह को भरने की उम्मीद पैदा की है। तेलगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ टेक्सस (टीएएनटीईएक्स) और दूसरे प्रवासी संगठन की निगाहें भी इस ओर हैं।
- और फिर जुलाई के महीने में न तो आईपीएल होता है, न कोई और ऐसा मौका जो लोगों का ध्यान खींचे। सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस ने विमबल्डन का महिला और मिक्स्ड डबल्स का खिताब जरूर जीता, लेकिन ज्यादातर भारतीयों को इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान अभी एक हफ्ता दूर है तो ऐसे में बाहुबली के लिए बड़ी जगह तो बनती है न।
- सिनेमा लोगों का अनुकरण करती है जो कि सिनेमा का अनुकरण करते हैं। सिनेमा हम लोगों के दिल दिमाग पर राज करता है जैसे कि नरेंद्र मोदी 14 महीने पहले कर रहे थे, अरविंद केजरीवाल 4 महीने पहले लोगों के दिलोदिमाग पर छाए थे, उसी तरह बाहुबली चार दिन पहले लोगों पर अपना जादू चला रहा है।