Advertisement
18 November 2017

जिस शांताराम को भूला हिंदी फिल्म जगत, उसे गूगल ने याद किया

पिछले एक साल से सर्च इंजन गूगल में चर्चित भारतीय व्यक्तित्वों पर डूडल बना कर उन्हें याद करने का चलन बढ़ गया है। आज गूगल ने हिंदी फिल्म जगत के बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार वी. शांताराम को अपने अंदाज में याद किया है। आज फिल्मकार शांताराम की 116वीं जयंती है।

वी. शांताराम का जन्म 18 नवंबर 1901 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। राजाराम वांकुडरे शांताराम ने हिंदी फिल्म जगत को अलग-अलग वैरायटी की इतनी फिल्में दीं, जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है। प्रयोगधर्मी शांताराम अपनी फिल्म नवरंग के लिए सीन को रंगीन दिखाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की, तकनीशियनों से बात की और अंततः उस एक शॉट को रंगीन दिखाने में सफल रहे।

डॉक्टर कोटनीस के अवदान को भारत में लोगों के सामने लाने का श्रेय शांताराम को ही जाता है। डॉ. द्वारकानाथ कोटनीस ने द्वतीय विश्वयुद्ध में चीन के सैनिकों की बहुत सेवा की थी। इन्हीं कोटनीस पर वी. शांताराम ने डॉ. कोटनीस की अमर कहानी नाम से फिल्म बनाई थी। वह न सिर्फ अच्छे निर्देशक थे बल्कि उतने ही अच्छे अभिनेता भी थे।

Advertisement

मराठी फिल्में बनाने वाले डॉ. कोटनीस ने 1946 से हिंदी फिल्म उद्योग में काम करना शुरू किया था। 'अमर भूपाली' (1951), 'झनक-झनक पायल बाजे' (1955), 'दो आंखें बारह हाथ' (1957) और 'नवरंग' (1959) जैसी फिल्में बना कर उन्होंने हिंदी फिल्म जगत में अपना एक खास मुकाम बनाया। संगीत उनकी फिल्मों की खास विशेषता रहती थी। उन्होंने हमेशा संदेशपरक फिल्में बनाईं। कैदियों को सुधरने का एक मौका दिए जाने की पैरोकारी करते हुए उन्होंने दो आंखें बारह हाथ फिल्म बनाई थी जो उनकी सबसे चर्चित फिल्म है। इस फिल्म में उन्होंने एक जेलर की भूमिका निभाई थी। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: v. shantaram, google doodle, वी. शांताराम, गूगल डूडल
OUTLOOK 18 November, 2017
Advertisement