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12 August 2017

इस ‘पहरुए’ के ‘संस्कारी’ कन्धों से बोझ उतारा तो मुल्क में यूं जश्न मना

फिल्म जगत में खुशी की लहर दौड़ गई। खुशी में पटाखे फोड़े तो नहीं गए पर खुशी की फुलझड़ियां खूब नजर आईं। मिठाइयां खुले-आम बांटी तो नहीं गई फिर भी कई लोगों के मन में लड्डू फूटा कि चलो निहलानी से पीछा छूटा।

ढाई साल के अपने ‘शासनकाल’ में पहलाज निहलानी ने फिल्मों पर जो कहर बरपाया, उसे तारीखों में दर्ज रखा जाएगा। अपने बूढ़े ‘संस्कारी’ कन्धों पर पूरी संस्कृति का भार अकेले उठाए इस ‘पहरुए’ से आखिरकार उसके कन्धों का भार उतार लिया गया। 

सिनेमा का इतिहास पहलाज निहलानी को पता नहीं 'स्वर्ण' अक्षरों में याद रखेगा या उनके नाम पर भी कैंची चला दी जाएगी या उनके नाम को ''बीप'' कर दिया जाएगा, ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन वर्तमान समय जरूर बता रहा है कि 'संस्कृति के इस सिपाही' को फिलहाल खुशी-खुशी विदाई दी जा रही है।

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पहलाज निहलानी का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ अगर खंगाला जाए तो निहलानी फिल्मों से की गई क्रूरता के मामले में ठीक-ठाक 'हिस्ट्री शीटर' ठहरते हैं। उनमें से कुछ को बिंदुओं में एक बार याद कर लेते हैं। ताजा मामलों से शुरू करते हैं-

1. पहलाज निहलानी के चेयरमैन रहते हुए सेंसर बोर्ड ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी की आने वाली फिल्म बाबूमोशय बंदूकबाज में 48 कट लगाने का सुझाव दिया।

2. अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुरखा' को निहलानी ने जरूरत से ज्यादा 'महिला केन्द्रित' होने की वजह से पास करने से मना कर दिया हालांकि फिल्म लड़ाई लड़ने के बाद रिलीज हो सकी। विरोध के तौर पर फिल्म का एक पोस्टर भी रिलीज किया गया, जो कथित तौर पर सेंसर बोर्ड के लिए ही था.

3. अमर्त्य सेन की किताब 'ऐन अर्गुमेंटेटिव इंडियन' पर बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म में 'गाय', 'हिन्दू राष्ट्र', ‘हिंदुत्व’ जैसे शब्द हटाने को कहा गया।

4. मधुर भंडारकर की फिल्म 'इंदू सरकार' से निहलानी खुश चल रहे थे। कांग्रेस को फिल्म से आपत्ति थी कि फिल्म में इंदिरा और संजय गांधी को गलत तरीके से पेश किया गया है। बाद में इस फिल्म में भी सेंसर बोर्ड ने 12 कट लगाने की मांग की। फिल्म से 'आरएसएस', 'अकाली' जैसे शब्द हटाने को कहा गया।

5. इम्तियाज अली की शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा के साथ हालिया रिलीज 'जब हैरी मेट सेजल' के एक मिनी ट्रेल में 'इंटरकोर्स' शब्द से बोर्ड ने आपत्ति जताई थी।

6. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' शब्द को फिल्म 'समीर' से हटाने के लिए कहा गया।

7. पहलाज निहलानी का सबसे चर्चित केस रहा ‘उड़ता पंजाब’। इस फिल्म से वे फिल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगों के निशाने पर आ गए थे। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के नाम से ‘पंजाब’ शब्द हटाने को कहा था। पंजाब के विधानसभा चुनाव आने वाले थे और फिल्म में पंजाब की ड्रग्स समस्या को मुखरता से उठाया गया था। साथ ही फिल्म में एक-दो नहीं पूरे 89 कट लगाने की बात कही गई थी। फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक चौबे और निर्माता अनुराग कश्यप कोर्ट गए। बाद में सिर्फ तीन कट और कई डिस्क्लेमर के साथ फिल्म रिलीज हुई।

8. 2015 में आई जेम्स बांड सीरीज की फिल्म स्पेक्टर में किसिंग सीन में काट-छांट की गई थी, जिसको लेकर काफी चर्चा हुई थी।

9. हंसल मेहता की मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव के साथ आई फिल्म 'अलीगढ़' में समलैंगिकता समेत कई शब्दों पर आपत्ति की गई।

10. श्लोक शर्मा की नवाजुद्दीन सिद्दीकी अभिनीत फिल्म हरामखोर को सेंसर बोर्ड ने पास करने से ही मना कर दिया था। बाद में यह फिल्म ट्रिब्यूनल से पास होकर रिलीज हो सकी।

11. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के डायरेक्शन में बनी और सनी देओल की फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ को गालियों की वजह से लटका दिया गया।

12. अनुराग कश्यप की फिल्म बॉम्बे वेलवेट को यह कहकर ‘यूए’ सर्टिफिकेट देने से मना किया गया क्योंकि निहलानी का मानना था, फिल्म में हिंसा और गाली बहुत ज्यादा है, जबकि अनुराग कश्यप की 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के मुकाबले इस फिल्म की हिंसा और गालियां कुछ भी नहीं थीं।

इसके अलावा कई ऐसी फिल्में हैं, जिनके शब्द बदल दिए गए या उन्हें ‘ए’ की जगह ‘यूए’ सिर्टिफिकेट दिया गया। उन्हें जोड़ने बैठेंगे तो ये लिस्ट दुगनी भी हो सकती है। इसके अलावा उन्होंने नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हुए एक वीडियो भी बनवाया था लेकिन निहलानी की दाल ज्यादा दिनों तक ना गल सकी।

सोशल मीडिया पर पहलाज निहलानी के इस पद से हटाए जाने का जश्न मना। पहलाज निहलानी को धन्यवाद कहिए, जिनकी वजह से पता चला कि अगर फिल्मों में भावों को एक्सप्रेस करने से रोक दिया जाए तो रचनात्मक लोगों में कैसी घुटन होती है।

एक नजर इस खबर पर आए ट्वीट्स पर 

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OUTLOOK 12 August, 2017
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