Advertisement
09 September 2022

साहिर लुधियानवी की ईमानदारी से जुड़ा रोचक किस्सा

साहिर लुधियानवी जितने बड़े शायर थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थे। उन्होंने इश्किया शायरी के साथ साथ इंकलाबी शायरी के माध्यम से इंसान के हक, हुकूक, अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई। यही कारण था कि हिन्दी सिनेमा में इज्जत, शोहरत और अपनी मेहनत का जायज मुआवजा पाने वाले साहिर पहले गीतकार बने। 

 

साहिर के जीवन के शुरुआती दिन लुधियाना में बीते। लेकिन जीवन में ऐसी परिस्थितियां पैदा हुईं कि उन्हें लाहौर जाना पड़ा। लाहौर आकर साहिर उर्दू शायरी में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में मकबूल ढंग से लग गये। साहिर की मेहनत रंग लाई और 2 साल की कोशिशों के बाद, उनकी पहली किताब “तल्खियाँ” प्रकाशित हुई। इस किताब ने साहिर को रातों रात अदबी शायरी की दुनिया में बुलंदी पर पहुंचा दिया। साहिर से तमाम मुशायरों में अपनी नज़्मों से जनता का दिल जीता। 

Advertisement

 

साल 1946 में साहिर का लाहौर में रहते हुए, अदबी दुनिया में काफ़ी रुतबा था। साहिर “साकी” नाम से एक उर्दू पत्रिका निकाला करते थे। लेकिन साहिर की माली हालत खस्ताहाल थी। इसके चलते पत्रिक घाटे में चल रही थी। फिर भी साहिर इस बात का ख़ास ख्याल रखते कि पत्रिका में प्रकाशित होने वाले सभी शायरों को उनका वाजिब मेहनताना ज़रूर दिया जाए। 

 

 

एक बार की बात है। साहिर पत्रिका के लिए लिखने वाले, ग़ज़लकार शमा लाहौरी को वक़्त पर मेहनताना न भेज सके। इसी बीच, शमा लाहौरी को पैसों की सख़्त ज़रूरत आन पड़ी। इसी जरूरत में, सर्दियों की एक शाम ठंड से कांपते हुए शमा लाहौरी, साहिर के घर पहुंचे। साहिर ने दरवाज़ा खोला और शमा लाहौरी को बहुत इज़्ज़त के साथ घर के भीतर ले आए। फिर साहिर ने शमा को चाय बनाकर दी, जिसे पीकर शमा लाहौरी को ठंड से थोड़ी निजात मिली। इसके बाद, जब शमा लाहौरी ने साहिर से कहा कि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है और वहां अपनी प्रकाशित गजलों का मुआवजा लेने आए हैं तो, साहिर कुछ पल को बिलकुल खामोश हो गये। फिर कुछ सोचा और अपनी कुर्सी से उठकर, खूटी पे टंगा हुआ अपना गर्म कोट उतारा, जिसे उनके एक प्रशंसक ने कुछ दिनों पहले तोहफ़े में दिया था। कोट को शमा लाहौरी के हाथों में सौंपते हुए साहिर बोले “मेरे भाई बुरा न मानना, इस बार नक़द देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है, यही है जो मैं आपको दे सकता हूँ।"

 

इतना सुनकर शमा लाहौरी की आँखें नम हो गईं।वो कुछ बोल न सके। साहिर न केवल अधिकारों की बात करते थे बल्कि अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत को चुकाने के लिए तत्पर रहते थे। अपने नाम “साहिर” जिसके मायने होते हैं “जादूगर” की तरह ही, साहिर सच में जादूगर थे।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Sahir Ludhianvi, Bollywood, Hindi cinema, Entertainment Hindi news, article on Sahir Ludhianvi, story of Sahir Ludhianvi honesty
OUTLOOK 09 September, 2022
Advertisement