Advertisement
22 October 2022

कादर खान की जयंती पर पढ़ें उनके जीवन से जुड़ा रोचक प्रसंग

कादर खान को हिन्दी सिनेमा का सफल चरित्र अभिनेता और संवाद लेखक माना जाता है। कादर खान ने अपने जीवन के शुरुआती दौर में बहुत संघर्ष देखा। यह कादर खान की मेहनत और लगन थी, जो कमाठीपुरा जैसे पिछड़े इलाके से निकलकर, वह मायानगरी मुंबई में शीर्ष पर पहुंचे। यूं तो कादर खान की पूरी जिन्दगी ही एक रोचक दास्तान है मगर उनकी जिदंगी का एक किस्सा बहुत मशहूर है। 

 

बात तब की है, जब कादर खान एक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और शौकिया तौर पर रंगमंच से जुड़े हुए थे। शिक्षा और रंगमंच का तालमेल बना हुआ था। उन्हीं दिनों नाटक की एक प्रतियोगिता हुई। नाटक के पैशन के चलते कादर खान भी अपना नाटक " लोकल ट्रेन" लेकर प्रतियोगिता में शामिल होने पहुंचे। प्रतियोगिता में शामिल होने की एक और बड़ी वजह कादर खान के पास थी। कादर खान को शिक्षक की नौकरी से बहुत कम तनख्वाह मिलती थी। चूंकि कादर खान का स्वभाव परोपकार का था इसलिए उस तनख्वाह में गुजारा हो पाना मुश्किल था। हर समय जीवन में आर्थिक संकट रहता था। 

Advertisement

 

जब कादर खान को मालूम हुआ कि नाटक प्रतियोगिता के विजेता को 1500 रुपए बतौर ईनाम प्राप्त होंगे तो, उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई दी। कादर खान ने सोचा कि यदि वह नाटक प्रतियोगिता में जीत दर्ज करते हैं तो उनकी आर्थिक परेशानी कुछ हद तक दूर हो जाएगी। इसी विचार के साथ कादर खान नाटक खेलने के लिए शामिल हुए। उनका नाटक "लोकल ट्रेन" खेला गया। कादर खान इस कदर प्रतिभावान थे कि उनके नाटक "लोकल ट्रेन" को नाटक प्रतियोगिता में बेस्ट एक्टर, बेस्ट स्क्रिप्ट, बेस्ट डायरेक्टर समेत सारे ख़िताब हासिल हुए। बतौर ईनाम कादर खान को पूरे 1500 रूपये मिले। कादर खान खुश थे। 

 

नाटक प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में निर्देशक नरेंद्र बेदी, राजेन्द्र सिंह बेदी, अभिनेत्री कामिनी कौशल जैसे हिंदी फ़िल्म जगत के बड़े लोग शामिल थे। नरेंद्र बेदी, कादर खान के काम से बहुत प्रभावित हुए ।उन्होंने उसी समय कादर खान को उनकी फ़िल्म लिखने का ऑफ़र दिया।कादर खान ने कभी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं लिखी थी। इस कारण उनके भीतर एक डर, एक संकोच था। कादर खान ने झिझकते हुए नरेन्द्र बेदी से कहा कि उन्हें स्क्रिप्ट, डायलॉग्स लिखने नहीं आते। इस बात को सुनकर नरेंद्र बेदी ने कादर खान से कहा कि अभी तक जिस तरह वो अपने नाटक के सीन और संवाद लिखते आए हैं, ठीक उसी ढंग से फिल्मों में भी संवाद और दृश्य लिखने होते हैं। नरेन्द्र बेदी ने कादर खान से कहा कि यदि वह फिल्म लेखन के काम में शामिल होते हैं तो उन्हें इस काम के 1500 रूपये मिलेंगे। कादर खान उस वक़्त एक टेक्निकल स्कूल में पढ़ाते थे और 300 रूपये महीना उनकी तनख्वाह थी। ऐसे में 1500 रूपये एक बड़ी रकम थी। कादर खान ने नरेंद्र बेदी की बात मानी और फ़िल्म लिखने को राजी हो गए।  

 

तक़रीबन चार - पांच घंटे तक कादर खान एक पार्क में बैठकर फिल्म के सीन लिखते रहे। जब उन्हें अपने लिखे हुए पर संतुष्टि हुई तो, वह नरेन्द्र बेदी के ऑफिस पहुंचे। ऑफिस पहुंचकर कादर खान ने देखा कि नरेंद्र बेदी और बाक़ी लोग, बियर पीकर बेसुध पड़े थे। कादर खान ने नरेन्द्र बेदी को जगाने का प्रयास किया। नरेंद्र बेदी ने जब कादर खान को देखा तो उसी मदहोशी की हालत में बोले "इस गधे के बच्चे को लगता है कुछ समझ नहीं आया।"

 

नरेन्द्र बेदी की टिप्पणी कादर खान को पसंद नहीं आई थी। उन्होंने नरेन्द्र बेदी से कहा "सर, गाली मत दीजिए, मैं गधे का बच्चा नहीं मेहनती आदमी हूँ, आपने लिखने को कहा तो मैं लिखकर लाया हूँ।" यह सुनकर नरेंद्र बेदी चौंक गये। उन्हें यक़ीन ही नहीं हुआ कि कादर खान इतनी जल्दी फिल्म के सीन लिखकर ले आए थे। नरेंद्र बेदी का सारा नशा उतर गया। जब नरेन्द्र बेदी ने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी तो ख़ुशी से फूले न समाए। कादर खान ने लेखन का जबरदस्त प्रदर्शन किया था। नरेंद्र बेदी को अपनी टिप्पणी पर शर्मिंदगी भी महसूस हुई। तब नरेन्द्र बेदी ने कादर खान को गले से लगाया और उन्हें 1500 रूपये दिए। इस तरह कादर खान की एंट्री हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में हुई और आने वाले वर्षों में कादर खान हिंदी सिनेमा के सबसे कामयाब संवाद लेखक बनकर उभरे।

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Kadar Khan, Bollywood, kadar Khan Birth anniversary, article on kadar Khan, Hindi cinema, Entertainment Hindi films news
OUTLOOK 22 October, 2022
Advertisement