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05 December 2022

जब संगीतकार कल्याणजी वीरजी शाह ने गुलशन बावरा से किया वादा निभाया

कल्याणजी आनंदजी के कल्याणजी वीरजी शाह का हिंदी सिनेमा के संगीत में महत्वपूर्ण योगदान है। हिन्दी सिनेमा के संगीत में शास्त्रीय संगीत के साथ मॉडर्न और वेस्टर्न रंग घोलने का बड़ा कार्य कल्याणजी आनंदजी ने किया। फिल्म "डॉन", "कुर्बानी" के गीत इस बात का उदाहरण हैं कि किस तरह से कल्याणजी आनंदजी ने मॉडर्न संगीत को भारतीय दर्शकों के दिलों में पहुंचाने का कार्य किया। 

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिलाह खान अक्सर कहा करते थे कि यदि सुर में तासीर पैदा करनी है तो दिल में किसी किस्म का छल कपट नहीं होना चाहिए। एक अच्छा नेक इंसान ही कामयाब कलाकार बन सकता है। यह बात कल्याणजी वीरजी शाह की जिन्दगी में देखने को मिलती है। 

कल्याणजी वीरजी शाह ने अपने कैरियर में ऐसे कई गीतकारों और गायकों को अवसर दिया, जिनका नसीब कल्याणजी आनंदजी के साथ काम कर के चमक गया। बड़े बड़े सुपरस्टार्स के कैरियर को ऊंचा उठाने का काम कल्याणजी आनंदजी के संगीत ने किया। कामयाबी का एक ऐसा ही किस्सा कल्याणजी वीरजी शाह और गीतकार गुलशन बावरा से जुड़ा हुआ है। 

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गुलशन बावरा सन 1955 में मुंबई आए तो उन्होंने वेस्टर्न रेलवे में क्लर्क की नौकरी शुरू की। इसके साथ ही उन्होंने फिल्मों में गीत लेखन का काम हासिल करने के लिए संघर्ष शुरु किया। यह संघर्ष उन्हें संगीतकार कल्याण वीरजी शाह के पास ले गया। कल्याणजी फिल्म "चंद्रसेना" में संगीत दे रहे थे। उन्हें गुलशन बावरा में प्रतिभा नजर आई। उस दौर में मजरुह सुलतानपुरी, शैलेन्द्र जैसे गीतकारों का बोलबाला था। ऐसे में नए गीतकार के लिए काम हासिल करना, अपनी जगह बना पाना कठिन था। मगर इन सभी बातों को किनारे रखते हुए, कल्याणजी वीरजी शाह ने गुलशन बावरा को फिल्म चंद्रसेना से ब्रेक दिया। गायिका लता मंगेशकर ने 23 अगस्त 1958 को गुलशन बावरा का लिखा गीत " मैं क्या जानू काहे लागे ये सावन मतवाला रे" रिकॉर्ड किया। इस तरह गुलशन बावरा की हिन्दी फिल्मों में बतौर गीतकार शुरूआत हुई। कल्याणजी ने गुलशन बावरा के गीत की तारीफ की और भरोसा दिलाया कि आगे भी वह जरुर उन्हें अपनी फिल्मों में काम देंगे।

 

जब कल्याणजी वीरजी शाह ने आनंदजी के साथ जोड़ी बनाई और संगीत देना शुरू किया तो भी उन्होंने गुलशन बावरा को गीत लिखने का अवसर दिया। कल्याणजी आनंदजी के संगीत से सजी फिल्म "सट्टा बाजार" में गुलशन बावरा ने 3 गीत लिखे थे। दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म में गीत लिखने के लिए गुलशन बावरा के साथ गीतकार शैलेंद्र, हसरत जयपुरी, इंदीवर को भी साइन किया गया था। उस समय तक गुलशन बावरा अपने असली नाम गुलशन कुमार मेहता से ही जाने जाते थे।जब फिल्म के वितरक शांतिभाई पटेल ने गुलशन बावरा के लिखे गए गीत सुने तो वह बेहद प्रभावित हुए। तब तक शांतिभाई पटेल की गुलशन बावरा से मुलाकात नहीं हुई थी। जब शांतिभाई पटेल ने गुलशन बावरा को देखा तो वह चकित रह गए। इसका कारण यह था कि गुलशन बावरा ने रंग बिरंगे कपड़े पहने हुए थे, जिसे देखकर शांतिभाई पटेल के मन में यह प्रश्न उठा कि यह बावला सा दिखने वाला लड़का कैसे इतने गहरे अर्थ वाले गीत लिख सकता है। खैर शांतिभाई पटेल को गुलशन बावरा का स्वभाव पसंद आया और उन्होंने गुलशन बावरा का नाम गुलशन कुमार मेहता से बदलकर गुलशन बावरा रख दिया। फिल्म के गीत खूब पसंद किए गए और गुलशन बावरा ने सफलता की सीढ़ी चढ़नी शुरू कर दी। मजेदार बात यह है कि फिल्म में चार गीतकार होने के बावजूद फिल्म के पोस्टर पर निर्देशक, संगीतकार के साथ केवल गुलशन बावरा का नाम बतौर गीतकार छपा हुआ था। यहां से गुलशन बावरा के कैरियर ने रफ्तार पकड़ ली। 

 

आज के दौर में ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं, जब कोई किसी की निस्वार्थ भाव से मदद करता हो। ऐसे में कल्याणजी वीरजी शाह का उदाहरण समाज में उदाहरण कायम करता है कि यदि नेक नीयत से काम किया जाए, सही लोगों का सहयोग किया जाए, तो व्यक्ति स्वयं भी शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचता है। 

 

 

 

 

 

 

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TAGS: Kalyanji veerji Shah, Gulshan bawra, Bollywood, Hindi cinema, Hindi films, Indian film industry, Entertainment Hindi films news, Bollywood news,
OUTLOOK 05 December, 2022
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