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09 March 2017

करण जौहर की खुशी, सरोगेसी डॉक्टरों का गम

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सरोगेसी को नियंत्रित करने वाले कानून के संसद में लटक जाने से आईवीएफ प्रजनन विशेषज्ञों को यह आशा बंधी थी कि शायद मातृत्व के लिए बेहद उपयोगी इस विधि को नया जीवन मिल सकता है लेकिन करण जौहर ने सब गुड़ गोबर कर दिया। अब सरोगेसी के बचनेकी संभावना पूरी तरह से क्षीण हो गई है। करण जोहर ने सरोगेसी के विरोधियों को बड़ा हथियार थमा दिया है। वे यह भी मानती हैं कि एकल पैरेंट बच्चों की परवरिश के लिए आदर्श स्थिति नहीं है।

करण जौहर द्वारा एकल डैड बनने की मुनादी के बाद अगले ही दिन केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में यह आश्वान देना पड़ा कि इस घटना के बाद से एकल पेंरेट बनने की इजाजत किसी भी सूरत में नहीं दी जाएगी। सरकार की तरफ से यह आश्वासन भी दिया गया कि सरोगेसी को नियंत्रित करने का कानून जल्द से जल्द पारित करावाया जाएगा।

दिल्ली में नाराय़णा स्थित नर्चर प्रजनन केंद्र की प्रमुख एवं जानी मानी आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज ने आउटलुक हिंदी से कहा कि करण जौहर ने पापा बन कर गरीब महिलाओं के सशक्तिकरण एवं मातृत्व में सहभागिता के जज्बे की विधि सरोगेसी को कंलकित कर दिया है। करण जौहर ने इस विधि में अंतिम कील ठोंक दी। यह सरोगेसी के लिए अच्छा नहीं हुआ।

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डॉ. बजाज कहती हैं-सरोगेसी ने कोख किराए पर देने वाली महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना कर उनके जीवन को कितना बदल दिया है, इसके विरोधियों को यह पता नहीं है। सरोगेसी नियंत्रित हो,  प्रतिबंधित नहीं। एकल पैरेंटिंग पर तो रोक लगनी ही चाहिए। इससे बच्चे को पारिवारिक माहौल नहीं मिल पाता है। 

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TAGS: करण जौहर, सरोगेसी डॉक्टरों, Karan Johar, happiness, surrogacy doctor, sadness
OUTLOOK 09 March, 2017
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