फिल्म ‘मुगल ए आजम’ को आज रिलीज हुए 62 साल हो गए हैं, पढ़िए फिल्म से जुड़े कुछ रोचक किस्से
हिन्दी सिनेमा की महान फिल्म “मुगल -ए-आजम” को आज रिलीज हुए 62 साल हो गए हैं। 5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई, निर्देशक के आसिफ की इस कृति को हिन्दी सिनेमा की महत्वपूर्ण कृति माना जाता है। यह के आसिफ का जुनून ही था, जो इतनी भव्य फिल्म बन सकी। ‘मुगल -ए -आजम’ फिल्म के निर्माण से जितने किस्से जुड़े हुए हैं, उतने शायद किसी अन्य हिन्दी फिल्म से जुड़े हों। आज इस विशेष अवसर पर पढ़िए फिल्म ‘मुगल -ए -आजम’ से जुड़े कुछ ख़ास किस्से।
नौशाद ने खफा होकर फेंका पैसों से भरा ब्रीफकेस
के आसिफ चाहते थे कि फिल्म का संगीत इतना बेहतरीन हो कि दर्शकों को मुगल काल की संस्कृति, संगीत, कला की उत्कृष्टता महसूस होने लगे। इसी सोच के साथ उन्होंने संगीत निर्माण के लिए संगीतकार नौशाद को चुनने की ठान ली। एक दिन के आसिफ नौशाद के घर पहुँचे। घर पहुंचकर उन्होंने नौशाद को एक नोटों से भरा हुआ ब्रीफ़केस दिया और कहा कि उन्हें अपनी फ़िल्म ‘मुगल -ए- आजम’ के लिए संगीत चाहिए। के आसिफ के रवैए से नौशाद इतने खफा हो गए कि उन्होंने नोटों से भरा ब्रीफ़केस उठाया और घर की खिड़की से बाहर फेंक दिया। इसी बीच नौशाद की पत्नी कमरे में आ गईं। उन्होंने बात को संभालते हुए नौशाद को शांत कराया। तब तक के.आसिफ़ को अपनी भूल का एहसास हो चुका था। उन्होंने फौरन अपनी ग़लती के लिए नौशाद से माफी मांग ली। नौशाद मान गये और उन्होंने मुगल – ए – आजम’ का संगीत बनाने के लिए हामी भर दी।
उस्ताद बड़े गुलाम अली खान ने मांगे 25 हजार रुपए
नौशाद और के आसिफ फिल्म के संगीत को क्लासिकल संगीत और लोकसंगीत से लबरेज़ रखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने चाहा कि फिल्म में तानसेन के किरदार के लिए उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली खान गीत गाएं। जब के आसिफ उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली खान के पास पहुंचे तो ख़ान साहब ने गाने से मना कर दिया। उन दिनों क्लासिकल गायक फ़िल्मों में गाने को बुरा समझते थे। लेकिन के आसिफ भी अपनी धुन के पक्के थे। उन्होंने खान साहब से उनकी फ़ीस पूछी। खान साहब ने सोचा कि अगर वह ज़्यादा फ़ीस की मांग करेंगे तो के आसिफ़ वापस लौट जाएंगे। यही सोचकर उन्होंने जवाब दिया ‘ एक गीत के 25 हज़ार रूपए’। के आसिफ फौरन राजी हो गए। उन्होंने पैसे दिए और इस तरह उस्ताद बड़े गुलाम अली खान ने ‘मुगल -ए – आजम’ में दो गीत गाए।
मधुबाला के दिल में सुराख होने के कारण करना पड़ा बॉडी डबल का इस्तेमाल
फ़िल्म की शूटिंग के दौरान पता चला कि अभिनेत्री मधुबाला के दिल में सुराख़ है। इसके चलते मधुबाला बीमार रहने लगीं। इस बात से के आसिफ़ दुविधा में पड़ गये । वह मधुबाला पर दबाव नहीं डालना चाहते थे।मगर फिल्म की गुणवत्ता से भी समझौता नहीं किया जा सकता था। फिल्म के गानों के लिए शानदार नृत्य चाहिए था। तब के आसिफ ने इस मुश्किल का नायाब हल निकाला। के आसिफ ने तय किया कि मधुबाला गाने पर डांस करेंगी। जिन स्टेप्स को करते हुए मधुबाला को तकलीफ होगी, जिस समय मधुबाला की तबीयत बिगड़ जाएगी, तब नर्तक लक्ष्मीनारायण मधुबाला की जगह नृत्य करेंगे। इसके लिए एक विशेष योजना बनाई गई। तय किया गया कि प्रसिद्ध भारतीय मूर्तिकार बी.आर खेडकर, पिघले रबर से मधुबाला का एक मुखौटा तैयार करेंगे, जिसे पहनकर मशहूर नर्तक लक्ष्मीनारायण गीत “जब प्यार किया तो डरना क्या” का डांस सीक्वेंस शूट करेंगे। इस तरकीब से मधुबाला के खराब स्वास्थ्य के बीच ‘मुगल ए आजम’ का आइकॉनिक गीत शूट हुआ।
नौशाद ने शकील बदायूंनी के गीत के दर्जनों मुखड़े रिजेक्ट कर दिए
फिल्म के मशहूर गीत “जब प्यार किया तो डरना क्या” से जुड़ा रोचक प्रसंग देखने को मिलता है। गीत बनाने के लिए नौशाद और शकील बदायूंनी ने एक दिन, अपने आप को शाम होते ही एक कमरे में बंद कर लिया था।शकील ने क़रीब एक दर्जन मुखड़े लिखे। इसके लिए उन्होंने गीत और गजल लेखन विधा, दोनों का ही इस्तेमाल किया। मगर मुखड़े सुनकर नौशाद को अच्छा महसूस नहीं हुआ। उन्होंने सारे मुखड़े रिजेक्ट कर दिए। दोनों ने पूरी रात न कुछ खाया और न ही पिया। देर रात जाकर नौशाद को एक पूर्बी गीत का मुखड़ा याद आया जो उन्होंने अपने बचपन में सुना था। “प्रेम किया का चोरी करी”। इसी पूरबी गीत को शकील बदायूंनी ने सुना और लिखा
“प्यार किया तो डरना क्या, प्यार किया कोई चोरी नहीं की...”
मुखड़ा नौशाद को पसंद आ गया था। सुबह होने तक नौशाद और शकील बदायूंनी ने गीत तैयार कर लिया। इस तरह भूखे, प्यासे रहकर और रात भर जागकर नौशाद और शकील बदायूंनी ने फिल्म के आइकॉनिक गीत की रचना की।
गर्म बालू पर चलकर पृथ्वीराज कपूर के पांव में पड़े छाले
के आसिफ फिल्म में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार थे। फिल्म ‘मुगल -ए -आजम’ के कलाकारों ने भी इस जुनून में आसिफ का साथ दिया। कलाकारों के जुनून की मिसाल हमें अकबर का किरदार निभाने वाले पृथ्वीराज कपूर में नजर आती है। के आसिफ ने पृथ्वीराज कपूर का सलीम चिश्ती की मज़ार पर जाने का सीन तपती धूप और गर्म बालू पर फ़िल्माया था। उन्होंने पृथ्वीराज कपूर से कहा कि यदि गर्म बालू पर चलना कठिन हो जाए हो तो वह अपना हाथ अपने बग़ल में ले जा कर इशारा कर दें।शूटिंग को रोक दिया जाएगा। लेकिन पृथ्वीराज कपूर भी जुनूनी थे। उन्होंने ठान लिया कि यदि अकबर बादशाह गर्म बालू पर चल सकते हैं तो उन्हें भी किरदार की ईमानदारी और सच्चाई के लिए ऐसा करना चाहिए। पृथ्वीराज कपूर ने जब गर्म बालू पर चलना शुरु किया तो शॉट पूरा होने तक उफ्फ भी नहीं की। इससे उनके पैरों में बड़े बड़े छाले पड़ गए। के आसिफ ने जब यह देखा तो भावुकता में पृथ्वीराज कपूर को गले से लगा लिया।