क्यों हार जाती हैं हस्तियां
रविवार 14 जून को जब अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या की खबर आई तो जिसने भी सुना, वह दंग रह गया। हर किसी के जेहन में बरबस कुछ सवाल आए, आखिर हुआ क्या? इस मुकाम पर पहुंचकर सुशांत ने फांसी क्यों लगाई? अभी यह सवाल लोगों के मस्तिष्क में गूंज ही रहा था कि पता चला सुशांत डिप्रेशन के शिकार थे। वे पिछले छह महीने से इसका इलाज करा रहे थे। महज 34 साल की उम्र में सुशांत का आत्महत्या करना भले ही अचरज में डालता है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में हर साल सबसे ज्यादा 88,000 आत्महत्या 18-45 साल (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2018 के आंकड़े) के लोग कर रहे हैं। इसी तरह दुनिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 15-29 साल के लोगों में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। रिपोर्ट बताती हैं कि हर साल दुनिया में आठ लाख लोग और भारत में 1.30 लाख लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
सुशांत की आत्महत्या पर मासूमियत से 10 साल की अंशिका पूछती है कि अरे, उसने तो छिछोरे फिल्म में, अपने बेटे को समझाया था कि जिंदगी से हारना नहीं चाहिए, फिर उसने ऐसा क्यों किया, वह इतना फेमस था? असल में सेलिब्रिटी की आत्महत्या कोई नई बात नहीं है। सुशांत से पहले दिसंबर 2019 में कुशल पंजाबी ने 42 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली थी। वहीं, 2018 में आध्यात्मिक गुरु भैय्यू जी महाराज ने इंदौर में खुद को गोली मारकर और साल 2016 में बालिका वधू फेम प्रत्यूषा बनर्जी ने 25 साल की उम्र में आत्महत्या का कदम उठा लिया था। भारतीय सेलेब्स द्वारा आत्महत्या करने की इस काली फेहरिस्त में जिया खान, दिव्या भारती, प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और प्रोड्यूसर गुरुदत्त, सिल्क स्मिता का भी नाम है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या भारतीय सेलिब्रिटी में आत्महत्या के मामले ज्यादा हैं, तो ऐसा बिलकुल नहीं है। दुनिया भर में यह ट्रेंड बढ़ता ही जा रहा है। महज दो साल पहले (2018) तीन विश्व प्रसिद्ध सेलिब्रिटी ने आत्महत्या कर ली थी। फेमस फैशन डिजाइनर केट स्पेड, शेफ एवं टीवी होस्ट एंथोनी बॉर्डियन और फेमस डीजे अविसी ने अपना जीवन समाप्त कर लिया था। इसी कड़ी में दुनिया भर में अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध मर्निल मुनरो और जर्मनी के तानाशाह रुडॉल्फ हिटलर के भी नाम शामिल हैं। इसी तरह फुटबाल खिलाड़ी डेल राबर्ट्स, भारतीय क्रिकेटर वी.बी.चंद्रशेखर भी आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए।
इन नामों से साफ है कि फेमस लोगों की फेहरिस्त में फिल्म कलाकार, राजनेता, आध्यात्मिक गुरु, खिलाड़ी, टीवी कलाकार, फैशन और म्यूजिक वर्ल्ड सहित सभी क्षेत्र के लोग शामिल हैं, जिनके पास शोहरत और दौलत सब-कुछ था। लेकिन फिर उन्होंने क्यों आत्महत्या का कदम उठाया? इस पर बैटर माइंड्स और माइंड स्पेशलिस्ट्स के फाउंडर और सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. अवदेश शर्मा का कहना है, “जब कोई सेलिब्रिटी आत्महत्या करता है, तो वह सबकी नजर में आ जाता है। लोगों को यह समझ में नहीं आता कि उसने ऐसा क्यों किया? क्योंकि उसके पास तो सब-कुछ है, असल में आम आदमी जिन चीजों को सब-कुछ समझता है, वह सेलिब्रिटी के लिए सब-कुछ नहीं होता है। वह जब आत्महत्या जैसा कदम उठाता है, तो दूसरी कई समस्याओं से जूझ रहा होता है। सेलिब्रिटी के बारे में एक बात समझनी बेहद जरूरी है कि वह आम आदमी की तुलना में कहीं ज्यादा दबाव में रहते हैं। उनको अपनी शोहरत को बनाए रखने कादबाव रहता है। ऐसे में, उनके डिप्रेशन में जाने का खतरा ज्यादा होता है।” विशेषज्ञों के अनुसार इसी स्थिति में उन्हें पैनिक अटैक, इनसोमनिया, हिंसात्मक प्रवृत्ति, खाने-पीने में अनियमितता जैसे असर दिखने लगते हैं। शर्मा कहते हैं “एक अहम बात जो सेलिब्रिटी के लिए परेशानी बनती है, वह उनका सार्वजनिक रूप से मीडिया और दूसरे लोगों की निगरानी में रहना। ऐसे में, वह कई बार इस दबाव को विपरीत परिस्थितियों में नहीं झेल पाते हैं।”
कोई सेलिब्रिटी जब आत्महत्या के बारे में सोचता है, तो वह किन परिस्थितियों में इस नतीजे पर पहुंचता है, इसका खुलासा भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने अपने क्रिकेटर साथी रोहित शर्मा के इंस्टाग्राम चैट पर मई 2020 में किया। उन्होंने रोहित को बताया, “जब वह अपनी निजी समस्याओं से जूझ रहे थे, तो उन्होंने तीन बार आत्महत्या करने की सोची। उनका कहना था कि हमारा घर 24वें मंजिल पर था। मेरे घर वाले हमेशा इसी डर में रहते थे कि कहीं मैं कूदकर जान नहीं दे दूं। इस डर से मेरे दो से तीन दोस्त 24 घंटे मेरे साथ रहते थे।” शमी इस दौरान अपनी पत्नी हसीन जहां के साथ रिश्तों को लेकर काफी विवादों में रहे थे, साथ ही चोट की वजह से उन्हें क्रिकेट से भी दूर रहना पड़ा था। उस दौर को याद करते हुए शमी, रोहित से कहते हैं, “मुझे लगता था कि सब कुछ खत्म हो गया। अगर उस दौरान मेरे परिवार ने मेरा साथ नहीं दिया होता, तो मैं शायद उस दौर से बाहर नहीं निकल पाता। परिवार ने मुझे हर वक्त यह अहसास दिलाया कि मैं अकेला नहीं हूं।” शमी ने हाल ही में सुशांत की आत्महत्या पर एक इंटरव्यू में कहा कि डिप्रेशन एक समस्या है, जिसका इलाज बेहद जरूरी है। वह मेरा दोस्त भी था, अगर मुझे उसकी स्थिति का अंदाजा होता, तो मैं जरूर उससे बात करता।
शमी जिस डिप्रेशन की बात कर रहे हैं, वह समस्या पूरी दुनिया में बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 26.4 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। इसी तरह 7.5 फीसदी भारतीयों को किसी न किसी तरह का मानसिक रोग है, इनमें से 70 फीसदी को ही इलाज मिल पाता है। 2020 में भारत की करीब 20 फीसदी आबादी मानसिक रूप से बीमार या डिप्रेशन का शिकार हो सकती है।
सीिनयर साइकोलॉजिस्ट डॉ. शर्मा कहते हैं, “अगर डिप्रेशन का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो उसका अंत आत्महत्या भी हो सकती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि युवाओं में डिप्रेशन के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है। " सवाल उठता है कि भारतीय समाज में डिप्रेशन को लोग इतनी तेजी से क्यों शिकार हो रहे हैं? इसकी सबसे बड़ी वजह बदलती लाइफस्टाइल और परिवारों से दूरी बढ़ना है। ऐसे में, व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है और डिप्रेशन का शिकार होता है। रही बात सही इलाज नहीं मिल पाने की, तो उसका जिम्मेदार हमारे समाज का नजरिया भी है। डिप्रेशन को लोग पागलपन से जोड़ देते हैं। अगर कोई डॉक्टर के पास भी गया है, तो उसे पागल समझ लिया जाता है। कोई समझता नहीं है कि डिप्रेशन क्या है? तब पीड़ित व्यक्ति खुलकर अपनी समस्या लोगों तक नहीं रख पाता है। वह अपनी बदनामी से बचता है, जिसका खामियाजा आत्महत्या जैसे कदम के रूप में, उसे उठाना पड़ता है।
आम आमदी की तुलना में सेलिब्रिटी कहीं ज्यादा साधन-संपन्न और मुखर होते हैं। ऐसे में, वह अपना इलाज कराकर ठीक हो सकते हैं, जैसे कि सुशांत खुद डिप्रेशन का इलाज करा रहे थे, फिर, उन्होंने क्यों ऐसा कदम उठाया? इस सवाल पर बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद और बाहरी लोगों को इंडस्ट्री के नामचीनों की अनदेखी की बात भी सामने आ रही है। इंडस्ट्री से जुड़े एक स्ट्रगलर का कहना है, “जैसे दिल्ली में रसूखदारों के लिए लुटियन दिल्ली गैंग का तमगा लगा है, ऐसा ही हाल बॉलीवुड में भी है, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, अभिनेता-अभिनेत्रियों का गैंग है, जो बहुत प्रभावशाली है। ऐसे में, किसी भी नए स्ट्रगलर के लिए मुकाम बनाना बहुत मुश्किल होता है। इंडस्ट्री में सब-कुछ फेयर नहीं होता है। यहां एक छोटी सी बात पर लोगों को काम से निकाल दिया जाता है। कुछ लोग यह कह सकते हैं कि ऐसा तो दूसरी इंडस्ट्री में भी होता है। लेकिन समझने वाली बात यह है कि यहां हजारों लोग ऐसे हैं जो एक प्रोजेक्ट के आधार पर काम करते हैं, वह किसी कंपनी में काम करने वाले लोगों की तरह नौकरी नहीं करते हैं।
ऐसे में, अगर किसी बड़े अभिनेता, अभिनेत्री, प्रोड्यूसर को कोई पसंद नहीं है तो वह एक झटके में बेकार हो जाता है। यहीं नहीं, कई बार तो उसकी हालत ऐसी कर दी जाती है कि उसे फिर काम ही नहीं मिलता। इसके अलावा अगर सुशांत जैसे किसी बाहरी ने पहचान बना भी ली, तो भी कई समस्याएं खड़ी की जाती हैं। जैसे मुंबई के करीब-करीब हर समाचार पत्र में ब्लाइंड आयटम छपते हैं। जो पूरी तरह से गॉसिप होते हैं। इनमें भी किसी की छवि खराब करने के लिए बिना नाम लिए खबरें छपती हैं। जैसे किसी को स्कर्ट चेजर तो कोई और नाम दे दिया जाता है। भले ही आम आदमी को यह छोटी बात लगे, लेकिन इंडस्ट्री के लोग इसको बड़े चाव से पढ़ते हैं। जिसके बारे में ऐसी खबरें छपती हैं, उस पर बड़ा निगेटिव असर पड़ता है। इन सब वजहों से इंडस्ट्री का एक बड़ा वर्ग डिप्रेशन में रहता है। इसमें से कई लोगों को अपने परिवार का भी सपोर्ट नहीं मिल पाता है। शायद इन्हीं वजहों से कुछ लोग आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाते हैं।”
यह भी समझना जरूरी है कि डिप्रेशन के दौरान एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति क्या होती है। डिप्रेशन के दौरान व्यक्ति की सोच में दो तरह के बदलाव आते हैं। एक तरफ तो वह मानसिक तौर पर बुरा या दुखी महसूस करता है, तो दूसरी तरफ वह शारीरिक रूप से काफी शिथिल हो जाता है। पहले बदलाव की स्थिति में वह अपने आपको लाचार समझने लगता है। उसे लगता है कि वह अब कुछ भी नहीं कर सकता है। साथ ही उसे लगता है कि उसके मन में जो चल रहा है, वह किसी से कह भी नहीं सकता। दूसरा अहम बदलाव यह आता हैं कि उसे अपने भविष्य को लेकर उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। ऐसा, उसे इसलिए लगता है क्योंकि काफी वक्त से उसके जीवन में कुछ अच्छा नहीं घटता है। ऐसे में, उसे लगता है कि आगे का वक्त भी बुरा ही होगा और यह सब ऐसे ही चलेगा।
एक बात और जो साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति के साथ उसके बचपन का कोई ट्रॉमा जुड़ा हुआ है, तो उसके वयस्क होने पर कई बार उसे परेशान करता है। जैसे मशहूर फिल्म अभिनेत्री मर्लिन मुनरो के साथ हुआ था। उनका बचपन काफी मानसिक प्रताड़नाओं से गुजरा था। उनके माता-पिता से उनका अलगाव रहा। इस वजह से कामयाबी की बुलंदियों पर रहने के बावजूद वह डिप्रेशन का शिकार थीं। और आत्महत्या करने पर मजबूर हो गईं। लेकिन कई बार यह ट्रॉमा इतना ज्यादा हो जाता है कि सब-कुछ होने के बावजूद बेहद कम उम्र में व्यक्ति आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। जैसा कोरिया की “के-पॉप स्टार्स” ने किया। उन्होंने अपने म्यूजिक से पूरे एशिया में धूम मचा रखी थी। लेकिन के-पॉप स्टार्स की जोड़ी सुली और गो हारा, दोनों ने 2019 में 25 साल की उम्र में आत्महत्या कर अपने लाखों प्रशंसकों को सकते में डाल दिया। सुली इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाईं कि उनके वस्त्र पहनने के तरीके को लेकर उन्हें ऑनलाइन काफी भद्दे कमेंट मिल रहे थे। इसी तरह गो हारा को अपने पूर्व ब्वायफ्रेंड के खिलाफ मुकदमा करना महंगा पड़ गया। उनका पूर्व ब्वायफ्रेंड गो हारा का पॉर्न वीडियो बनाने की धमकी दे रहा था। लेकिन गो हारा खुद लोगों के निशाने पर आ गईं। वह भी आत्महत्या करने पर मजबूर हो गईं। भारत में इसी तरह बालिका वधू फेम अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी ने भी अपनी निजी जिंदगी में चल रही उथल-पुथल की वजह से 25 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली थी।
सेलिब्रिटी द्वारा की गई आत्महत्या पर 1950 के साइकोलॉजिस्ट फ्रीडा फ्रॉम रिचमैन का अध्ययन इस कारण से पर्दा उठाता है। उन्होंने अकेलेपन को एक बहुत बड़ा कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाने को बताया है। रिचमैन के अनुसार, यह अकेलापन कई बार लोगों की मौजूदगी में भी होता है। यानी व्यक्ति को लगता है कि वह चारों तरफ से लोगों से घिरा हुआ है, लेकिन फिर भी वह अकेला है। इस वजह से वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है। आत्महत्या के एक और अहम कारण को लखनऊ किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. पी.के.दलाल उजागर करते हैं। वह कहते हैं, “आत्महत्या का एक कारण बॉयोलॉजिकल भी होता है। इन कारणों से मस्तिष्क में न्यूरो ट्रांसमीटर जैसे सिरोटोनिन, नॉरपेनफ्रिन और डोपामिन की कमी हो जाती है और इंसान इस तरह की समस्या का शिकार होने लगता है। अगर किसी व्यक्ति की जेनेटिक हिस्ट्री है यानी परिवार में किसी को इस तरह की परेशानी है, तो उसका भी असर किसी इंसान पर हो सकता है। यानी किसी की आत्महत्या के लिए उसका पारिवारिक इतिहास भी जोखिम पैदा कर सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी के साथ ऐसा होगा, हालांकि कई मामलों में यह व्यक्ति की सोच पर निगेटिव असर डालते हैं।”
जैसा कि ऊपर जिक्र है, सेलिब्रिटी की तरह आम इंसान भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। भारत के संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कई चौंकाने वाले तथ्य सामने लाते हैं। साल 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा लोग महाराष्ट्र (13.4 फीसदी) में आत्महत्या करते हैं। उसके बाद तमिलनाडु (10.3 फीसदी), पश्चिम बंगाल (9.8 फीसदी), मध्य प्रदेश (8.8 फीसदी) का नंबर आता है। लेकिन प्रति एक लाख आबादी पर आत्महत्या करने वालों को देखा जाए तो अंडमान-निकोबार के आंकड़े काफी डरावने हैं। वहां पर हर एक लाख में 41 लोग आत्महत्या कर लेते हैं। इसी तरह पुदुच्चेरी में 33.2, सिक्किम में 30.2, छत्तीसगढ़ में 24.7, केरल में 23.2 लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं।
रिपोर्ट एक अहम बात और उजागर करती है। इसके अनुसार, भारत में 30.4 फीसदी लोग पारिवारिक समस्याओं की वजह से आत्महत्या करते हैं। जबकि 17.7 फीसदी बीमारी से परेशान होकर, शादी की समस्याओं से 6.2 फीसदी, प्यार में नाकाम होने को लेकर चार फीसदी लोग आत्महत्या करते हैं। इसी तरह आत्महत्या करने वाले लोगों के प्रोफेशन को देखा जाए तो दिहाड़ी पर काम करने वाले 22.4 फीसदी लोग है। इसके बाद 17.1 फीसदी हाउसवाइफ, अपना काम करने वाले 9.8 फीसदी और बेरोजगारी से परेशान 9.6 फीसदी, जबकि 8.9 फीसदी वेतन भोगी लोग आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। एक अहम आंकड़ा जो चौंकाने वाला है कि आत्महत्या करने वालों में 88 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो शिक्षित होते हैं। यानी अशिक्षित लोग कम आत्महत्या कर रहे हैं।
जाहिर है, आत्महत्या किसी खास विशेष वर्ग तक सीमित नहीं है। दुनिया में होने वाली कुल आत्महत्याओं में करीब 16 फीसदी भारत में हो रही हैं। और चिंता की बात यह है कि भारत में इसे बीमारी की नजरिए से नहीं देखा जाता है। ऐसे में आत्महत्या कैसे रोकी जा सकती है? इस पर मोहम्मद शमी के उदाहरण से सीख लेनी चाहिए। जो अपने परिवार और दोस्तों के सहयोग से आत्महत्या करने के ख्याल से वापस लौटकर एक बार फिर सफल करिअर के साथ अपना जीवन जी रहे हैं। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। वे एक समय डिप्रेशन का शिकार थीं, लेकिन उन्होंने निगेटिविटी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और खुद से लड़ाई लड़कर, जीवन को दोबारा पटरी पर लेकर आईं।
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गुरुदत्त
प्यासा और कागज के फूल जैसी फिल्में बनाने वाले गुरुदत्त ने 10 अक्टूबर 1964 को आत्महत्या कर ली थी। बताया जाता है कि उन्होंने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयास किया था। उन्होंने शराब में नींद की दवाइयां मिलाकर आत्महत्या को अंजाम दिया। गुरुदत्त की मौत की एक बड़ी वजह उनकी निजी जिंदगी थी। उनकी पत्नी गीता बाली से उनके रिश्ते सामान्य नहीं थे, इसलिए वह गीता बाली से अलग होकर अकेले जीवन जी रहे थे।
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सिल्क स्मिता
दक्षिण भारतीय सिनेमा में 1970 के दशक के आखिर से 1990 के शुरुआती दौर तक सिल्क स्मिता का जादू दर्शकों के सिर चढ़ कर बोलता था। वह बॉक्स ऑफिस पर भारी भीड़ खींचने की गारंटी बन गई थीं। कई बार तो तमिल और तेलुगु की ऐसी फिल्में, जिनमें नामी हीरो होने के बावजूद कोई उन्हें खरीदने को तैयार न था, उसमें यदि सिल्क का एक कैबरे डांस डाल दिया जाता, तो वह हाथो-हाथ बिक जाती थी। लेकिन महज 36 साल में सिल्क स्मिता की मौत ने दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक लोगों को स्तब्ध कर दिया था। सिल्क ने एक अभिनेत्री के घर में नौकरानी के रूप में काम शुरू किया और उसके बाद जल्द ही वह उसकी मेक-अप असिस्टेंट बन गईं। इसके बाद का सफर, किसी सुनहरे सपने जैसा रहा। 23 सितंबर, 1996 को विजयलक्ष्मी उर्फ सिल्क स्मिता अपने घर में पंखे से लटकी हुई मिलीं।
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प्रत्यूषा बनर्जी
बालिका वधू फेम प्रत्यूषा बनर्जी ने एक अप्रैल 2016 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। प्रत्यूषा बालिका वधू धारावाहिक के आनंदी किरदार से घर-घर में लोकप्रिय हो गई थीं। झारखंड के जमशेदपुर से मायानगरी में करिअर बनाने आई, प्रत्यूषा अपनी निजी जिंदगी और करिअर को लेकर परेशान बताई जा रही थीं। ऐसा कहा जाता है कि इसी वजह से उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
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कुलजीत रंधावा
आठ फरवरी 2006 को कुलजीत रंधावा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने करिअर की शुरुआत मॉडल के रूप में की थी। रंधावा को जैसी सफलता मॉडलिंग में मिली, वैसी सफलता वह बॉलीवुड में नहीं दोहरा पाईं। उन्हें फिल्मों में कभी लीड रोल नहीं मिला। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि वह जीवन में चल रहे दबावों को झेल नहीं पा रही हैं, इसलिए आत्महत्या करने पर मजबूर हैं।
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कुशल पंजाबी
लक्ष्य, कॉल जैसी फिल्मों में अहम भूमिका निभा चुके कुशल पंजाबी ने 26 दिसंबर 2019 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कुशल रियल्टी शो सहित कई धारावाहिकों में अहम भूमिका निभाकर एक चर्चित चेहरा बन गए थे। लेकिन निजी जीवन में उनको कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। वह वित्तीय संकट के साथ-साथ अपनी पत्नी के साथ बिगड़ते संबंधों को लेकर भी काफी परेशान चल रहे थे। ऐसे में, आत्महत्या करने की एक बड़ी वजह यही मानी गई।
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अवसाद से उबरे
दीपिका पादुकोण
प्रसिद्ध अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने 2015 में खुलासा किया था कि एक समय वह डिप्रेशन का शिकार थीं। उन्हें लगता था कि जीवन में सब-कुछ खत्म हो गया। लेकिन उस दौर से उबर कर वह बाहर आईं। उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ट्वीट करते हुए कहा कि डिप्रेशन, कैंसर, डायबिटीज की तरह ही एक बीमारी है। उन्होंने आगे कहा कि डिप्रेस्ड महसूस करना मतलब दुखी होना नहीं है। इसी तरह दुखी होना मतलब डिप्रेस्ड होना नहीं है। आपको डिप्रेशन से खुद ही निकलना होगा।
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प्रवीण कुमार
क्रिकेटर प्रवीण कुमार ने भी एक बार आत्महत्या करने के लिए कदम बढ़ाया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपनी कार में रिवॉल्वर लेकर हाईवे पर आत्महत्या करने के लिए निकल गए थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने कार में रखी अपने बच्चों की तसवीर देखी, तो उन्हें लगा कि वह क्या कर रहे हैं? उन्होंने तुरंत आत्महत्या का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दिया।
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मोहम्मद शमी
भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी एक समय डिप्रेशन के शिकार थे, उन्होंने अपने साथी रोहित शर्मा के साथ एक चैट शो में खुलासा किया कि वह निजी और करिअर की समस्याओं की वजह से तीन बार आत्महत्या करने का मन बना चुके थे। लेकिन परिवार और दोस्तों के साथ ने उन्हें ताकत दी और आज वह सफलता के ट्रैक पर हैं।
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भारत के संदर्भ में अहम तथ्य
हर साल 1.30 लाख लोग करते हैं आत्महत्या
सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होती है आत्महत्या
प्रति एक लाख आबादी पर अंडमान –निकोबार में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं
शिक्षित ज्यादा करते हैं आत्महत्या
दिहाड़ी पर काम करने वाले सबसे ज्यादा आत्महत्या को मजबूर
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कामयाब हस्तियों की अकाल जिंदगियां
एडॉल्फ हिटलर
जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को बर्लिन स्थित अपने मुख्यालय के बंकर में आत्महत्या कर ली। हिटलर ने साइनाइड कैप्सूल खाने के बाद अपने सिर में गोली मार ली थी। हिटलर की सेना का मित्र देशों की सेना के सामने आत्मसमर्पण करते ही उसके एक हजार साल तक दुनिया पर जर्मन लोगों के शासन करने का सपना भी टूट गया। हिटलर ने आत्महत्या करने के एक दिन पहले अपनी सहायिका ईवा ब्रॉन के साथ शादी की थी।
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मर्लिन मुनरो
प्रसिद्ध अभिनेत्री, गायिका और मॉडल ने चार अगस्त 1962 को केवल 36 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली। उन्होंने रात में सोते वक्त दवाइयों का ओवरडोज लेकर आत्महत्या की। मुनरो ने 1950 के दौर में एक प्रमुख सेक्स सिंबल बनकर पूरी दुनिया में धूम मचाई। उनके नाम द प्रिंस ऐंड द शो गर्ल और द सेवन ईयर इच, निआग्रा जैसी फिल्में रहीं। लेकिन उनका निजी जीवन सामान्य नहीं रहा। वह अपने मां-बाप के अलगाव से डिप्रेशन का शिकार थीं।
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स्टीफेन एडम्स
प्लेब्वाय की प्रसिद्ध मॉडल एडम्स ने मात्र 47 साल की उम्र में अपने बच्चे के साथ आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने घर की 25वीं मंजिल से पहले अपने सात साल के बेटे को नीचे फेंक दिया और उसके बाद खुद भी कूद गईं। एडम्स तलाक के बाद अपने पति के साथ बच्चे की कस्टडी के लिए मुकदमा लड़ रही थीं। उन्होंने 18 मई 2018 को न्यूयार्क के मैनहटन में आत्महत्या की थी। उनकी सफलता का आलम यह था कि वह मात्र 30 साल की उम्र में करोड़पति बन गईं।
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माइक अल्फांसो
ग्लैडिएटर के नाम से कुश्ती लड़ने वाले माइक अल्फांसो ने 42 साल की उम्र में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह कुश्ती के साथ-साथ हॉलीवुड में भी अपनी फिल्मों को लेकर काफी लोकप्रिय रहे। उन्होंने ईस्टर्न ऑफ चैंपियनशिप रेसलिंग, डब्ल्यूडबल्यूई स्मैकडाउन जैसी फिल्में की। वह अपनी कद-काठी के लिए काफी लोकप्रिय थे। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पत्नी डेलिसा बोअर्स ने तलाक लेने की बात कही थी, जिससे परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
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एंथोनी बोरडेन
आठ ऐमी और पीबॉडी पुरस्कार के विजेता बोरडेन ने 61 साल की उम्र में आठ जून 2018 को आत्महत्या की। वह शेफ, बेहतरीन यात्रा शो प्रस्तुतकर्ता और बेहतर लेखक के रूप में जाने जाते थे। लेकिन उसके बावजूद उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। वह नशे की लत से भी परेशान रहते थे। बोरडेन कई बार अपने डिप्रेशन और उसकी जद्दोजहद को लोगों से साझा किया करते थे।
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लुईस हेमिल्टन
लुईस हेमिल्टन ने अभिनेत्रियों की उस पहचान को स्थापित किया, जिन्होंने खूबसूरती और दिमाग दोनों के दम पर अपना मुकाम बनाया। वह दुनिया की प्रमुख मैगजीन में कवर पर छाई रहीं। उन्हें टाइम, कॉस्मोपॉलिटन, फॉर्च्यून जैसी मैगजीन के कवर पर जगह मिली। उसके अलावा उन्होंने कई सारे टीवी शो से भी अपनी अलग पहचान बनाई। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 23 मई 1999 को 56 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली। वह एक साल पहले हुई कार दुर्घटना में लगी गंभीर चोटों की वजह से वह परेशान थीं।