नेपोटिज्म बनाम प्रतिभा : आलिया भट्ट और कृति सैनन को मिले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ने साबित किया कि स्टार किड और आम कलाकार हो सकते हैं समान रूप से स्थापित
बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर लंबी बहस चलती आई है। लेकिन इस साल के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों ने यह साबित किया है कि बॉलीवुड प्रतिभा का मंच है। जिस तरह से आलिया भट्ट और कृति सैनन ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार साझा किया है, वह बताता है कि अंत में हुनर ही मायने रखता है।
आलिया भट्ट एक प्रतिष्ठित फिल्म बिरादरी से आती हैं।उनके पिता फिल्म निर्देशक महेश भट्ट और मां सोनी राजदान हैं। आलिया भट्ट की बहन पूजा भट्ट हिंदी सिनेमा की बेहद सफल अभिनेत्री रही हैं। बावजूद इसके आलिया भट्ट ने अपने दम पर मुकाम हासिल किया है। यह उनकी प्रतिभा और समर्पण की ही बदौलत है कि आज आलिया भट्ट हिंदी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्री बन गई हैं। उन पर लगे नेपोटिज्म के तमाम आरोपों का उन्होंने अपने काम से जवाब दिया है।
दूसरी ओर कृति सैनन दिल्ली से मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके हिंदी सिनेमा में किसी तरह के संबंध नहीं थे। कृति सैनन ने जो पाया है,खुद के दम पर पाया है। इससे बेहतर क्या हो सकता है कि केवल 9 साल के करियर में कृति सैनन न केवल हिंदी सिनेमा की उच्च श्रेणी की कलाकार बन गई हैं बल्कि उनकी झोली में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी आ चुका है। यह सब उनके समर्पण, धैर्य, अनुशासन से ही संभव हुआ है।
जिस तरह कृति सैनन और आलिया भट्ट ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है, उससे स्पष्ट संदेश जाता है कि कामयाबी के लिए परिश्रम ही जरूरी होता है। दर्शकों के दिलों में जगह बनाने के लिए आपके काम में बात होनी चाहिए। अन्य सभी बातें सूक्ष्म है। यदि आप के काम में बात है तो फर्क नहीं पड़ता कि आप स्टार किड हैं और बाहरीकलाकार।