'फुल्लू' को ‘ए’ सर्टिफिकेट देने पर, ट्विटर यूजर्स ने सेंसर बोर्ड पर खड़े किए सवाल
इस बार सेंसेर बोर्ड ने प्रकाश झा की फिल्म 'फुल्लू' को 'ए' सर्टिफिकेट दे दिया है। इस फैसले के बाद बोर्ड को सोशल मीडिया पर घेर लिया गया है। इस फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट दिए जाने पर सेंसर बोर्ड की आलोचना हो रही है। दरअसल, ट्विटर यूजर्स ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि आखिर किस आधार पर इस फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट दिया गया है।
More and More Of Movies like #Phullu is the need of the hout.
— Ashish Jain (@ashishjainiws) 15 June 2017
Excellent work team #Phullu
Keep it up pic.twitter.com/Fpw2FhilNM
फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट दिए जाने पर एक यूजर ने ट्वीट कर लिखा कि पीरीयड्स से जुड़ी जानकारियां किशोरियों के लिए ही सबसे ज्यादा है ऐसे में इस फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट क्यों दिया गया।
Why “A” certificate for #Phullu when education on menstrual cycle is important for teenage girls. pic.twitter.com/xRUPNRA0RT
— Indu Gupta (@NeelInduNeel) 15 June 2017
वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट क्यों दिया, जबकि यह एक सूचना और जागरुक करने वाली फिल्म है जिसे स्कूल की छात्राओं को जरुर देखनी चाहिए।
#Phullu should be made tax free, shown in every village, in every language
— Preeti Sharma Menon (@PreetiSMenon) 15 June 2017
Ostracising girls and women during periods has to stop. https://t.co/ApScNV3u3A
Is #Phullu being given an "A" by the Censor Board so it cannot compete with bhakt @akshaykumar's Padman?
— Preeti Sharma Menon (@PreetiSMenon) 15 June 2017
BJP politics has come to Bollywood https://t.co/GyQsqCRHzm
गौरतलब है कि फिल्म में शारिब अली ने 'फुल्लू' नामक लड़के का किरदार निभाया है, जिसे शहर जाकर ही सैनेटरी नैपकीन्स के बारे में पता चलता है। इसके बाद वो अपने गांव की महिलाओं के लिए उचित दाम पर सैनेटरी नैपकिन बनाने का निर्णय लेता है। इस निर्णय पर उसे गांव में लोगों की कई तरह की बातें सुननी पड़ती है। फिल्म को स्कूल की किशोरियों और महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट मिलने से अब स्कूल की लड़कियां इस फिल्म को देख ही नहीं पाएंगी।