22 February 2016
छोटी फिल्मों का बड़ा असर
15 मिनट की इस फिल्म में अभिनेत्री नेहा शर्मा भी नजर आएंगी। सन 2006 में जान-ए-मन फिल्म से अपने निर्देशकीय पारी की शुरूआत करने वाले शिरीष का मानना है कि लंबी व्यावसायिक फिल्मों की तुलना में लघु फिल्मों में कहानी को आसान लहजे में कहने की गुंजाइश अधिक रहती है जिसे बनाने में समय लगता है।
शिरीष ने बताया कि वह एक लघु फिल्म बना रहे हैं। डिजिटल क्षेत्र में मेरी काफी दिलचस्पी है और उन्होंने उसे उसी शैली में बनाने का निर्णय लिया है। फीचर फिल्मों को बनाने में समय लगता है और आखिर में इसे प्रदर्शित किया जाता है।
उन्होंने बताया, लघु फिल्मों में रोमांचक और आसान लहजे में कहानी कही जाती है। वह आज काफी अधिक देखी भी जाती हैं। इसकी लंबाई कम हो सकती है लेकिन इसका प्रदर्शन जबर्दस्त रहा है।