खेमचंद प्रकाश : जिसके संगीत के प्रकाश ने सहगल, किशोर और लता को रोशनी दी
आज खेमचंद प्रकाश की पुण्यतिथि है। 10 अगस्त सन 1950 को केवल 42 वर्ष की आयु में यह म्यूजिकल जीनियस दुनिया को छोड़कर चला गया था। आप खेमचंद प्रकाश की महानता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हिंदी फिल्म गायन के पितामह कुंदन लाल सहगल ने अपने करियर के श्रेष्ठ गीत खेमचंद प्रकाश के संगीत निर्देशन में गाए। खेमचंद प्रकाश ने किशोर कुमार की कुलबुलाहट को महसूस किया और उन्हें गायन में ब्रेक दिया। खेमचंद प्रकाश ने ही लता मंगेशकर को उनका पहला सुपरहिट गीत दिया, जिसने लता मंगेशकर को पहचान दी।
विरासत में मिला संगीत
12 दिसंबर 1907 को सुजानगढ़ में जन्म लेने वाले खेमचंद प्रकाश के पिता पंडित गोवर्धन प्रकाश, जयपुर के महाराज राजा माधो सिंह (द्वितीय) के दरबार में गाते थे। यह खेमचंद प्रकाश की लगन, प्रतिभा और मेहनत थी कि वह केवल 19 वर्ष की आयु में जयपुर के महाराज राजा माधो सिंह (द्वितीय) के दरबार में गायक और कथक नृत्यकार बन गए।
पृथ्वीराज कपूर ने मुंबई आने की दी सलाह
पृथ्वीराज कपूर ने कलकत्ता में खेमचन्द प्रकाश को देखा और मुुंबई आने का न्यौता दिया। 1939 में खेमचंद प्रकाश मुंबई पहुंचे। शुरूआत में कुछ फिल्मों में संगीत दिया। मगर उन्हें शोहरत मिली फिल्म "तानसेन" से। कुंदन लाल सहगल से खेमचंद प्रकाश ने गीत "दिया जलाओ जगमग जगमग" गवाकर अपना जायज मुकाम हासिल किया। इस फिल्म के बाद "ज़िद्दी" और "महल" के गीतों ने खेमचंद प्रकाश को कामयाबी के उरूज पर पहुंचाया।
किशोर की प्रतिभा को पहचाना
किशोर कुमार को गाने से बेइंतहा मुहब्बत थी। लेकिन उनके इस प्रेम, इस तड़प, इस जुनून को बहुत कम लोग ही समझ पाए। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार स्टार अभिनेता थे। किशोर ने कई बार चाहा कि अशोक कुमार उनके लिए गायन के मौक़े तलाशें। लेकिन इसके ठीक उलट अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर कुमार अभिनेता बनें। अभिनेता बनाने के लिए ही अशोक कुमार ने किशोर कुमार को अपने साथ रखा हुआ था। एक रोज़ अशोक कुमार के दफ्तर अहाते में किशोर, कुंदन लाल सहगल का एक गाना गुनगुना रहे थे। यहीं पहली बार मशहूर संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने किशोर को गाते हुए सुना। खेमचंद प्रकाश किशोर की प्रतिभा को एक क्षण में भांप गए और उन्होंने किशोर कुमार के गायक बनने के सपने को पूरा किया। उन्होंने किशोर कुमार से फिल्म ज़िद्दी का गीत "करने की दुआएं क्यों मांगू" गवाया। यह पारखी नजर थी खेमचंद प्रकाश की। दूसरी तरफ नौशाद, सलिल चौधरी, सी रामचंद्र जैसे महान संगीतकारों को किशोर कुमार पहली झलक में गायन के लिए कमजोर, अपरिपक्व और कच्चे महसूस हुए और इन्हीं लोगों ने बाद में अपनी भूल स्वीकार करते हुए किशोर कुमार की प्रतिभा को उचित सम्मान दिया।
लता मंगेशकर को दी पहचान
लता मंगेशकर को उनके शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा। उनकी पतली आवाज को लेकर तरह तरह की टिप्पणी भी हुई। लेकिन लता मंगेशकर ने हिम्मत नहीं हारी। खेमचंद प्रकाश को लता से बहुत उम्मीदें थीं। इसलिए उन्होंने लता मंगेशकर को अपनी फिल्म में गवाने के लिए बाकायदा संघर्ष भी किया। जब खेमचंद प्रकाश के संगीत निर्देशन में फिल्म "महल" आई तो लता मंगेशकर की आवाज से सजा गीत "आएगा आएगा आएगा आने वाला" सुपरहिट साबित हुआ। इस फिल्म में गाने से पहले तक म्यूजिक रिकॉर्ड पर कंपनी गायिका का नाम न देकर, उस चरित्र का नाम देती थी, जिस पर फिल्म में गीत फिल्माया गया होता था। लता मंगेशकर इस बात से बेहद नाराज हो गईं। महल की कामयाबी के बाद लता मंगेशकर उस जगह थीं, जहां उनका प्रतिरोध मायने रखता था। इसलिए लता मंगेशकर की बात को महत्व देते हुए म्यूजिक कंपनी ने इस फिल्म के बाद से म्यूजिक एल्बम रिकॉर्ड पर गायिका का नाम देना शुरु कर दिया।
लता ने की खेमचंद प्रकाश से किशोर की शिकायत
लता मंगेशकर, किशोर कुमार और खेमचंद प्रकाश का एक रोचक किस्सा है, जो खूब सुना और सुनाया जाता है। एक रोज लता मंगेशकर गाने की रिकॉर्डिंग के लिए लोकल ट्रेन से बॉम्बे टाकीज़ के स्टूडियो गोरेगांव जा रहीं थीं। उनके साथ एक दुबला सा लड़का भी था। वह लड़का उतरा और उनके पीछे हो लिया। लता आगे जाते हुए, जब जब लड़के की तरफ देखती तो पातीं लड़का कुछ अजीब सी हरकतें कर रहा होता था। कभी हंसता, कभी छड़ी घुमाता। लड़के की निगाह लता मंगेशकर पर रहती। लता डरकर किसी तरह स्टूडियो पहुंचीं और खेमचंद प्रकाश को सारा क़िस्सा बताया। यह बताने के बाद जैसे ही लता मुड़ीं तो उस लड़के को खड़ा पाकर लगभग बदहवास हो गयीं। तब खेमचंद प्रकाश ने लता मंगेशकर को बताया कि यह लड़का कोई और नहीं बल्कि अशोक कुमार का छोटा भाई किशोर कुमार है। इस तरह लता मंगेशकर की जान में जान आई।
पीड़ा में बीते अंतिम दिन
खेमचंद प्रकाश अपने फिल्मी करियर में कामयाबी हासिल कर रहे थे। मगर तभी उन्हें लिवर की बीमारी ने घेर लिया और उनकी 41 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। खेमचंद प्रकाश के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब होती चली गई। फिल्म जगत से किसी ने भी खेमचंद प्रकाश की पत्नी और बेटी का साथ नहीं दिया। खेमचंद प्रकाश ने अपनी बेटी चंद्रकला के लिए सुजानगढ़ में एक हवेली खरीदी थी, जिसे तंगी के दिनों में गिरवी रखा गया।