सचिन देव बर्मन और गीतकार नीरज से जुड़ा खूबसूरत प्रसंग
हिन्दी कविता के शीर्ष पुरुष गोपालदास नीरज के अभिनेता देव आनंद से अच्छे संबंध थे। नीरज को फिल्मों में काम करने के कई अवसर मिले लेकिन उन्होंने खास रुचि नहीं दिखाई। नीरज हिंदी कवि सम्मेलन मंच से ही सुखी और संतुष्ट थे। इसी बीच नीरज को जब देव आनंद ने किसी कवि सम्मेलन में सुना तो अपनी फ़िल्म में गीत लिखने का निमंत्रण दिया। नीरज देव आनन्द का आदर करते थे। इसलिए उनके आग्रह पर बंबई आ गए। देव आनंद अपनी फ़िल्म " प्रेम पुजारी " के संदर्भ में नीरज को संगीतकार सचिन देव बर्मन से मिलवाने ले गए।
जब सचिन देव बर्मन ने नीरज को देखा और उन्हें मालूम हुआ कि नीरज गीत लिखने वाले हैं तो उन्होंने नीरज को एक चुनौती पूर्ण कार्य दिया। उन्होंने नीरज को फ़िल्म प्रेम पुजारी की एक सिचुएशन बताते हुए कहा " नीरज, फ़िल्म की मुख्य नायिका गांव की लड़की है, जो शहर पहुंचती है और शराब के नशे में झूमकर नाचने लगती है, गाने लगती है। इस नाचने, गाने से वह अपनी पीड़ा, मनोभावना जताती है। तुम इस स्थिति को बताने वाला गीत लिखो मगर ध्यान रहे कि इन उर्दू शायरों की तरह जाम, मय, शराब, बेहोशी, मदहोशी जैसे शब्द गीत में न प्रयोग किए जाएं।" यह कठिन काम था। एक गाना शराब पीकर झूमने वाली लड़की पर लिखना था। मगर यह ख्याल रखना था कि शराब या उससे मिलते हुए शब्द न आए।
नीरज ने चुनौती स्वीकार की। आख़िर वे हिंदी कवि सम्मेलन के राजकुमार थे। जनता ने उन्हें पलकों पर बिठा के रखा था। अब नीरज के लिए परीक्षा की घड़ी थी। नीरज परीक्षा में सफल रहे। नीरज ने लिखा
" रंगीला रे तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन
छलिया रे न बुझे है किसी जल से ये जलन ".
यहां जल का मतलब शराब से है। यानी सीधे न कहते हुए भी नीरज ने सब कुछ कह दिया। सचिन देव बर्मन ने जब गीत सुना तो बेहद प्रभावित हुए। यह गीत जब फिल्म में शामिल हुआ तो लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचा। इस तरह नीरज, सचिन देव बर्मन और देव आनंद का साथ शुरु हुआ, जिसने हिंदी सिनेमा के दर्शकों को कई शानदार गीत सौंपे।