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11 March 2015

हां मैं सलमान का पापा हूं

आउटलुक

नई पीढ़ी आपको सलमान खान के पिता के रूप में ज्यादा जानती है।

एक पिता के तौर पर मुझे यह अच्छा तो लगता ही है। आपके बच्चे आपसे ज्यादा आगे बढ़ जाएं इससे अच्छा और क्या होगा। हां मैं सलमान का पिता तो हूं ही।

अब एक अलग तरह का वातावरण हो रहा है। विश्वास दरक रहा है।

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सबसे पहले एक अच्छा इंसान होना जरूरी है। फिर धर्म और जाति आती है। जो अच्छा इंसान होगा वही अपने धर्म की इज्जत कर सकता है। अपने धर्म के प्रति सबसे बड़ी निष्ठा ही यह है कि आप दूसरों की इज्जत करें और किसी को विशेष नजर से न देखें।

अब मुस्लिम होने का मतलब आतंकी होता जा रहा है।

नहीं कम से कम भारत में अभी भी ऐसी स्थिति नहीं आई है। पर जो भी इस्लाम का वास्ता देकर ऐसा कुछ भी करता है तो यह गंभीर मसला है। कोई भी रसूल को मानने का दावा करता है मगर उसूल को नहीं मानता। मेरा यही कहना है कि कुरान अच्छे से पढि़ए और उसे समझिए। उसे कपड़े में लपेट कर ऊपर रख देने से काम नहीं चलेगा।

आपके लेखन में इतना लंबा अंतराल क्यों आ गया?

बस कुछ मन नहीं किया और जब किया तो इंडस्ट्री इतनी बदल चुकी थी कि मेरे जैसे व्यक्ति के लिए जगह नहीं रही। मैं अब सिर्फ पढऩे का आनंद उठाना चाहता हूं। सभी धर्म ग्रंथ पढ़ डाले हैं। शायद यही वजह है कि मैं इतनी शांति से जीवन बिता पा रहा हूं। इतना पढ़ कर ही मैंने समझा है कि दरअसल मानवीयता के सिवाय हमारे पार कोई विकल्प नहीं है।

सर्व धर्म समभाव आपके अंदर क्या इसलिए है कि आपकी पहली पत्नी का धर्म अलग है?

नहीं मेरे अंदर पहले से सर्वधर्म समभाव था शायद इसलिए मैं दूसरे धर्म की लडक़ी से शादी भी कर पाया। जब मैं शादी के लिए उनके परिवार के लोगों से मिलने गया तो मेरी उम्र 23 साल थी। मैंने उनके माता-पिता को भी यही कहा था कि हमारे बीच और कई तरह के मतभेद हो सकते हैं, लेकिन धर्म कभी मसला नहीं बनेगा। मुझे खुशी है कि हमने यह बात निभाई भी।

आपका बचपन कहां बीता?

मेरी पैदाइश इंदौर की है। बचपन भी वहीं बीता। बहुत ही उम्दा औ संजीता शहर है। जब बंटवारा हुआ था तब भी वहां शांति थी। पूरा भारत सांप्रदायिक दंगों की आग में था। लेकिन वहां शांति थी। तब मैं बारह साल का था। पर मुझे किसी दोस्त ने महसूस नहीं होने दिया कि हम अलग हैं।

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TAGS: सलीम खान, सलमान खान, लेखक, शोले, दीवार
OUTLOOK 11 March, 2015
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