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18 January 2023

शबाना आजमी और फारुक शेख की दोस्ती का किस्सा

हिन्दी सिनेमा के सफल अभिनेता फ़ारूक़ शेख को रंगमंच से भी बहुत लगाव था। उनकी मित्र शबाना आजमी भी रंगमंच में बेहद सक्रिय थीं। शबाना आजमी के पिता कैफ़ी आजमी तरक्की पसंद तहरीक और भारतीय जन नाट्य संघ के पुरोधाओं में एक थे। फारुक शेख और शबाना आजमी मुम्बई में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान मित्र बने। दोनों के रुझान एक से थे। यही कारण है कि दोनों ने हिन्दी सिनेमा में कलात्मक फिल्मों में अभिनय के माध्यम से अपनी पहचान बनाई।

फारुक शेख और शबाना आजमी ने "तुम्हारी अमृता" नामक नाटक में एक साथ काम किया और यह नाटक रंगमंच की दुनिया का ऐतिहासिक नाटक बना। इस नाटक की परिकल्पना और मंचन से बेहद खूबसूरत कहानी जुड़ी है। 

 

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नाटककार फ़िरोज़ अब्बास खान, ने एक अंग्रेज़ी नाटक पढ़ा, जिससे वह बेहद मुतासिर हुए। उनके मन में यह ख्याल आया कि अगर इस अंग्रेज़ी नाटक का हिंदुस्तानी ज़बान में तर्जुमा कर दिया जाए तो, यह नाटक और ज़्यादा दिलचस्प हो सकता है। इसमें उनकी मदद की फिल्म निर्देशक एम. एस सथ्यु ने। सथ्यु लगातार रंगमंच से जुड़े हुए थे। सथ्यु ने फ़िरोज़ अब्बास खान की मुलाक़ात मशहूर उर्दू लेखक जावेद सिद्दीक़ी से कराई। जावेद सिद्दीक़ी ने अंग्रेज़ी नाटक का हिंदुस्तानी तर्जुमा किया। तर्जुमा बेहद शानदार हुआ था।नाटक का नाम रखा गया " तुम्हारी अमृता"।

इस नाटक में बतौर मुख्य कलाकार फिरोज अब्बास खान ने फारुक शेख और शबाना आजमी को कास्ट किया। नाटक को लेकर फ़िरोज़ खान, अपने साथी कलाकार फ़ारूक़ शेख और शबाना आज़मी के साथ, जेनिफ़र कपूर थिएटर फेस्टिवल में पहुँचे। तीनों ही थोड़ा सा डरे हुए थे। इसकी वजह यह थी कि नाटक में सिर्फ़ दो ही किरदार थे, जो एक दूसरे से कुछ दूरी पर, मेज़ कुर्सी पर बैठकर सिर्फ़ ख़त पढ़ते हैं। यही नाटक था। नाटक में कोई बैकग्राउंड संगीत, परिधान परिवर्तन का इस्तेमाल नहीं था। खैर, " तुम्हारी अमृता" का पहला शो किया गया। शो उम्मीद से कहीं बढ़कर कामयाब साबित हुआ। फिर तो इस नाटक ने धूम मचा दी। यह नाटक लगातार बीस सालों तक खेला जाता रहा और इसके ज़रिये फ़ारूक़ शेख, शबाना आज़मी ने रंगमंच जगत में भी बहुत लोकप्रियता हासिल की। 

14 दिसम्बर सन 2013 को नाटक " तुम्हारी अमृता" का मंचन मुहब्बत की इमारत "ताज महल" के सामने किया गया। यह ख़ास मौक़ा इसलिए भी था क्योंकि नाटक " तुम्हारी अमृता" अपने इक्कीसवे साल में क़दम रख चुका था। नाटक खत्म होने के बाद, शबाना आज़मी ने फ़ारूक़ से कहा कि इस नाटक को खेलते हुए इक्कीस साल हो गये हैं और आज ताज महल के सामने इसे परफॉर्म करने के बाद, अब इस नाटक को बंद कर देना चाहिए। यह सुनकर फ़ारूक़ शेख तपाक से बोले "अरे ऐसे क्यों, अभी तो ये नाटक मैं इक्कीस साल और करूँगा।" मगर शायद क़िस्मत ने कुछ और ही सोच रखा था। 27 दिसंबर साल 2013 को फारुक शेख का निधन हो गया। इस तरह इक्कीस वर्षों से खेले जा रहे नाटक "तुम्हारी अमृता" पर विराम लगा। फारुक तो चले गए मगर उनका नाटक और शबाना आजमी से उनकी दोस्ती अमर हो गई।

 

 

 

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TAGS: Shabana Azmi, Farooq Sheikh, Bollywood, Hindi cinema, Entertainment Hindi films news, Indian films, Hindi movies,
OUTLOOK 18 January, 2023
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