चक दे इंडिया ने पूरे किए 15 साल, जानें फिल्म सी जुड़ी रोचक बातें
शाहरुख खान की मशहूर फिल्म "चक दे इंडिया" ने अपनी रिलीज के 15 साल पूरे कर लिए हैं। हॉकी पर आधारित फिल्म "चक दे इंडिया" 10 अगस्त 2007 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।
आदित्य चोपड़ा को जयदीप साहनी की कहानी आई पसंद
लेखक जयदीप साहनी ने जब साल 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम की जबरदस्त जीत के बारे में अखबारों में पढ़ा तो उनके भीतर महिला हॉकी टीम को लेकर कहानी लिखने की इच्छा पैदा हो गई। जयदीप साहनी ने कहानी लिखी और एक रोज मौका मिलने पर निर्देशक आदित्य चोपड़ा को सुना दी। आदित्य चोपड़ा फिल्म "बंटी और बबली" के बाद नई कहानी की तलाश कर रहे थे। जब उन्होंने जयदीप साहनी की कहानी सुनी तो उन्हें कहानी पसंद आई। उन्होंने निर्माता के रूप में फिल्म बनाने का निर्णय लिया। शिमित अमीन को फिल्म के निर्देशन की जिम्मेदारी मिली।
हॉकी खिलाड़ियों और कलाकारों ने मिलकर किया अभिनय
चूंकि यह फिल्म हॉकी पर बनाई जानी थी इसलिए यह जरूरी था कि हॉकी से जुड़ी छोटी सी छोटी बात भी ध्यान में रखी। इसी सोच के साथ फिल्म में एक्टर्स के साथ साथ प्रोफेशनल महिला हॉकी खिलाड़ियों को भी अभिनय के लिए शामिल किया गया। सभी ने मिलकर ट्रेनिंग की, वर्कशॉप में हिस्सा लिया। हॉकी खिलाड़ियों के लिए अभिनय और एक्टर्स के लिए हॉकी खेलना आसान नहीं था। लेकिन जुनून और मेहनत से फिल्म का निर्माण संभव हुआ और फिल्म ने कामयाबी हासिल की।
शाहरुख खान की जबरदस्त एक्टिंग
शाहरूख खान को हिंदी फिल्म जगत में रोमांटिक हीरो के रूप में जाना जाता है। फिल्म "चक दे इंडिया" शाहरूख खान की मूल छवि से अलग थी। इस फिल्म में कोई रोमांस और लव एंगल नहीं होना था। यह एक रिस्क था, जिसे शाहरूख और निर्माताओं ने समझते बूझते हुए लिया। शाहरूख ने कोच कबीर की भूमिका को जिया और उसमें जान डाल दी। फिल्म में शाहरूख खान के द्वारा दी गई स्पीच दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रही।
शाहरुख की लोकप्रियता का इस्तेमाल कर के दर्शक जुटाए गए
शिमित अमीन फिल्म का फाइनल सीक्वेंस शूट करने के लिए सिडनी स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ चाहते थे। स्टेडियम में फिल्म का सबसे जरूरी सीन यानी हॉकी मैच शूट किया जाना था। मगर स्टेडियम में भीड़ कैसे जुटाई जाए और वह भी सिडनी में। इसका एक तरीका निकाला गया। घोषणा कर दी गई कि सिडनी स्टेडियम में शाहरूख खान आ रहे हैं। शाहरूख खान को देखने स्टेडियम में भीड़ उमड़ आई और उसी भीड़ के साथ शिमित अमीन ने फिल्म के दृश्य शूट किए।
फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया
शिमित अमीन को फिल्म बनाते हुए ऐसा कई बार महसूस हुआ कि फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो है और दूसरा हाफ बहुत तेज है। लेकिन कहानी और किरदार की मांग कुछ ऐसी थी कि शिमित अमीन को फिल्म में बैलेंस बनाने में दिक्कत आ रही है। चूंकि मैं कई हॉकी खिलाड़ी थे, जिनकी अपनी पृष्ठभूमि थी और कोच कबीर का एक इतिहास था, जिसे दिखाने के लिए फर्स्ट हाफ में काफी समय चाहिए था। खैर इन्हीं आशंकाओं के बीच कि कहीं फिल्म की लंबाई दर्शकों को बोझिल न महसूस हो, फिल्म पूरी हुई और रिलीज हुई। रिलीज होने पर फिल्म के आंकड़े चौंकाने वाले थे। फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आ रही थी। फिल्म की कहानी और गानों ने पूरे देश में देशभक्ति का माहौल बना दिया था।
फिल्म का गीत संगीत सुपरहिट साबित हुआ
हिन्दी सिनेमा में बहुत समय से अच्छे देशभक्ति गीत की जरूरत महसूस हो रही थी। देशभक्ति गीत भी ऐसा, जिससे भारतीय खेलों की झलक मिलती हो। आदित्य चोपड़ा की इस मांग को जयदीप साहनी और संगीतकार सलीम सुलेमान ने पूरा किया। जयदीप साहनी ने "चक दे इंडिया" नाम का गाना लिखा, जो आने वषों में भारतीय खेलों की पहचान बनने वाला था। सलीम सुलेमान का संगीत इतना अद्भुत था कि जो भी गीत सुनता, उसके अंदर राष्ट्रप्रेम की भावना हिलोरे लेने लगती।